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सरकार के नए नियमों को लेकर छग कान्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन ने जताया विरोध

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राजनांदगांव / शौर्यपथ / छग कान्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष बीरेश शुक्ला ने पत्रकारवार्ता में बताया कि गौण खनिज की छग शासन द्वारा राजपत्र में प्रकाशित दरें एवं बाजार दर के द्वारा निर्माण ठेकेदारों की जो कटौती की जा रही है, जो कि व्यवहारिक नहीं है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार की रॉयल्टी की दरों की कटौती ठेकेदारों के द्वारा स्वीकार्य है, परंतु बाजार दर अनुचित है। वर्तमान में समय में अगर बाजार दर से कटौती की जायेगी, तो ठेकेदारों के द्वारा निर्माणाधीन कार्यों का घर बेचकर भुगतान करना पड़ेगा। चूंकि भवन निर्माण में आरसीसी का रेट 4231 रूपये घन मीटर एसओआर में दर है, अगर वह भवन 20 प्रतिशत बिलो में निर्माण हेतु निवदा ली गयी है तो उस समय आरसीसी का रेट 3385 रूपये होगा और गिट्टी की रॉयल्टी 520 घनमीटर होगी, शेष 2865 रूपये में जीएसटी, आईटी, लेबर, सीमेंट और विभागीय सिस्टम में शिष्टाचार इन तमाम कटौती के बाद ठैकेदार को 5 वर्ष की रखरखाव करना है, कुल मिलाकर इस प्रकार की कटौती शासन द्वारा की गयी है। इस परिस्थिति में निर्माण करना संभव नहीं है।
शुक्ला ने बताया कि रोड निर्माण में जीएसबी का एक घनमीटर का मूल्य 1372 रूपये है। 20 प्रतिशत बिलो में ठेकेदारों द्वारा अनुबंध किया गया है, तो इसका 274 रूपये घटाने के बाद 1098 रूपये जिसमें 520 रूपये रॉयल्टी की कटौती, शेष 578 रूपये जीएसटी आईटी और विभागीय शिष्टाचार के बाद निर्माण एजेंसी के पास कुछ नहीं बचता, घर से पैसा लगाकर 5 वर्ष रखरखाव करना है, इसी तरह से मुरूम और रेत में इसी प्रकार की कटौती होती है। इससे स्पष्ट होता है कि ठेकेदारों के द्वारा निर्माण करना, भवन, रेाड, ब्रिज, एनीकट, कैनाल का निर्माण करना संभव नहीं है।
शुक्ला ने बताया कि लोक निर्माण विभाग में निर्माण कार्यों के रखरखाव हेतु पांच वर्ष की समय सीमा निर्धारित की गयी है एवं जल संसाधन विभाग में दस वर्षों की रखरखाव निर्धारित एवं एनीकट बांध डेम दस वर्ष रखी गयी है, जो पूर्णता व्यवहारिक नहीं है। जिसे संसोधित किया जाये, अथवा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और एडीबी द्वारा जो निर्माण कार्य कराये जा रहे है, उनमें रखरखाव हेतु विभाग द्वारा भुगतान किया जाता है, इस नियम को लागू किया जाये।
शुक्ला ने बताया कि निर्माण विभागों में तृतीय पार्टी चेकिंग की शर्ते निर्माण कार्यों में लागू की गयी है। प्रदेश के निर्माण ठेकेदारों को चेकिंग की शर्ते मंजूर है, परंतु चेकिंग की समय सीमा निर्धारण कर एवं निर्माण विभागों को जो ठेकेदारों के भुगतान 5 प्रतिशत एसडी राशि एवं पीजी की राशि की कटौती की जाती है। श्री शुक्ला ने शासन से अनुरोध किया है कि अतिरिक्त सुरक्षा निधि की राशि को थर्ड पार्टी चेकिंग में लाना अनिवार्य न किया जाये। निर्माण कार्य समाप्त होते ही अतिरिक्त सुरक्षा की राशि रिलीज किया जाये।
शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में छग शासन द्वारा ई श्रेणी पंजीयन शुरू की गयी है, जिसमें बेरोजगार नवयुवकों को इस श्रेणी में पंजीयन कराके एक वर्ष में ब्लॉक स्तर पर 50 लाख रूपये तक की निर्माण करने की पात्रता होगी, हम सभी ठेकेदार शासन के निर्णय का स्वागत करते है, परंतु इस प्रकार से बस्तर परिक्षेत्र में 50 लाख तक का निर्माण कर्य में मेनुवल टेंडर नियम लागू किया गया है। उस नियम को आगे बढ़ाते हुए शासन से अनुरोध है दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर परिक्षेत्र एवं अंबिकापुर परिक्षेत्र में इस नियम को लागू किया जाये, चूंकि छग प्रदेश में 16 हजार रजिस्टर्ड ठेकेदार है, जिनममें 80 प्रतिशत ठेकेदार 20-30 लाख का निर्माण कार्य करते है, चूंकि ठेकेदारों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। श्री शुक्ला ने मांग की है कि नगर पालिक निगम में रॉयल्टी विभाग द्वारा काटी जाये और नगर पालिका का लंबित भुगतान रिलीज किया जाये।
इस अवसर पर छग कान्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन जिला अध्यक्ष संजय सिंगी, जिला महासचिव आलोक बिंदल, जिला उपाध्यक्ष सुरेन्द्र पांडे सहित बड़ी संख्या में छग कान्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन के सदस्य उपस्थित थे।

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