एक ही फर्म को एकमुश्त सप्लाई के सवाल पर जिला शिक्षा अधिकारी दे रहे अजीब तर्क
राज्य शासन के आदेश की शैक्षणिक जिला जांजगीर-चांपा में की गई है जमकर अवहेलना
जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / राज्य माध्यमिक शिक्षा मिशन द्वारा 2009-10 से लेकर 2011-12 के बीच शुरू हुए जिले के हाईस्कूलों में स्टाफ व विद्यार्थियों की बैठक व्यवस्था के लिए प्रति स्कूल सात लाख 37 हजार रुपए की दर से फर्नीचर की खरीदी करने की प्रशासकीय मंजूरी इस शर्त पर दी गई थी कि डीईओ की सहमति से संबंधित स्कूलों के प्राचार्य सीएसआइडीसी से फर्नीचर की खरीदी करें, लेकिन राज्य सरकार के इस आदेश की शैक्षणिक जिला-जांजगीर-चांपा में जमकर अवहेलना की गई है। यहां डीईओ ने शासकीय आदेश की अनदेखी करते हुए एक ही फर्म को एक करोड़ 32 लाख रुपए के फर्नीचर सप्लाई का आर्डर दे दिया है।
बताया जा रहा है कि खरसिया के जिस फर्म को एकमुश्त फर्नीचर सप्लाई का आर्डर दिया गया है , वह छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा मंत्री एवं खरसिया विधायक उमेश पटेल का करीबी है। ऐसे में जांजगीर-चांपा के डीईओ की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर प्रश्नचिन्ह लग गए हैं। इधर, एक ही फर्म को एकमुश्त सप्लाई के सवाल पर डीईओ का अजीब तर्क है। उनका कहना है कि संचालक के आदेश पर फर्नीचर सप्लाई के लिए संबंधित फर्म को आदेश जारी किया गया है।
गौरतलब है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जांजगीर-चांपा लगातार आर्थिक अनियमितता एवं गड़बड़ी के मामलों को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है। यहां पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी, शासन-प्रशासन के नियम-कायदों को ताक पर रखकर अपनी मनमर्जी से न केवल कामकाज संचालित कर रहे हैं बल्कि, अपने चहेते सप्लायरों को आर्थिक लाभ पहुंचाने में भी पीछे नहीं हैं। दरअसल, ताजा मामला फर्नीचर खरीदी से संबंधित है, जिसमें डीईओ ने खरसिया के एक ही फर्म को एक करोड़ 32 लाख के फर्नीचर सप्लाई का आर्डर दे दिया है। जानकारी के अनुसार दरअसल राज्य माध्यमिक शिक्षा मिशन द्वारा 2009-10 से लेकर 2011-12 के बीच शुरू हुए जिले के हाईस्कूलों में स्टाफ व विद्यार्थियों की बैठक व्यवस्था के लिए प्रति स्कूल सात लाख 37 हजार रुपए की दर से फर्नीचर की खरीदी करने की प्रशासकीय मंजूरी इस शर्त पर दी गई थी कि डीईओ की सहमति से संबंधित स्कूलों के प्राचार्य सीएसआइडीसी से फर्नीचर की खरीदी करें, लेकिन राज्य सरकार के इस आदेश की शैक्षणिक जिला जांजगीर-चांपा में जमकर अवहेलना की गई है। यहां डीईओ ने शासकीय आदेश की अनदेखी करते हुए खरसिया के एक ही फर्म को एक करोड़ 32 लाख रुपए के फर्नीचर सप्लाई का आर्डर दे दिया है।
बताया जा रहा है कि जिसे फर्नीचर सप्लाई का एकमुश्त आर्डर दिया गया है वह छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा मंत्री एवं खरसिया विधायक उमेश पटेल का करीबी है, जिसके कारण जिला शिक्षा अधिकारी ने नियमों को ताक पर रखकर यह काम किया है। इधर, एक ही फर्म को एकमुश्त सप्लाई के सवाल पर डीईओ का अजीब तर्क है। डीईओ केएस तोमर का कहना है कि एक व्यक्ति रायपुर से सूची लेकर आया था। उसी व्यक्ति को डायरेक्टर के आदेश पर सप्लाई के लिए आदेश जारी किया गया है। बहरहाल, जिला शिक्षा अधिकारी के तर्क ने स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस शासनकाल में नियम-कायदे सिर्फ दिखावा के लिए हैं क्योंकि, यहां सत्ता के आगे सब नतमस्तक हैं।
सप्लायर की पत्नी है खरसिया नपाध्यक्ष
जिले के स्कूलों में खरसिया के जिस फर्म को एकमुश्त फर्नीचर सप्लाई का आर्डर दिया गया है, उस फर्म का संचालक सुनील शर्मा न केवल उच्च शिक्षा मंत्री एवं खरसिया विधायक उमेश पटेल का करीबी है बल्कि, उनकी पत्नी राधा शर्मा वर्तमान में नगर पालिका परिषद खरसिया की अध्यक्ष भी है। बताया जा रहा है कि इन्होंने नगर पालिका खरसिया में भी कई बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है, जिसकी शिकायत शासन-प्रशासन स्तर तक पहुंच चुकी है तो वहीं नपा खरसिया के सभी पार्षद इनके विरूद्ध हैं। चर्चा इस बात की भी है कि नपा खरसिया के सभी पार्षद इनके विरूद्ध शीघ्र ही अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं।
गुणवत्ताहीन फर्नीचर आपूर्ति की शिकायत
बता दें कि राज्य शासन द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सभी प्राचार्यों को तय मानकों के अनुरूप 28 फरवरी तक खरीदी और सीएसआईडीसी द्वारा गुणवत्ता सर्टिफिकेट मिलने के बाद 31 मार्च से पहले अनिवार्य रूप से भुगतान किया जाना है, लेकिन जिले में ऐसा नहीं हुआ है। यहां डीईओ ने खरसिया के एक ही पार्टी को 18 स्कूलों के लिए एक करोड़ 32 लाख रूपए के फर्नीचर सप्लाई की खरीदी का आदेश जारी कर दिया है तो वहीं सप्लायर द्वारा स्कूलों में गुणवत्ताहीन फर्नीचर आपूर्ति किए जाने की शिकायतें लगातार मिल रही है।
भंडार एवं क्रय नियम की जमकर अनदेखी
भंडार एवं क्रय नियम के अनुरूप स्थानीय सूक्ष्म सीएसआईडीसी रजिस्टर्ड लघु उद्योगों से यह खरीदी की जानी थी। मगर, जिले में ऐसा न करते हुए खरसिया के एक ही फर्म को एकमुश्त सप्लाई का आर्डर दे दिया गया। इधर, एक ही फर्म द्वारा 31 मार्च तक सभी स्कूलों में फर्नीचर सप्लाई और गुणवत्ता जांच संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग द्वारा फर्म को एडवांस पेमेंट कर कागजों में सारी औपचरिकता 31 मार्च से पहले पूरा करने व फंड को खर्च करने का उपाय है। दूसरी ओर शिक्षा विभाग में नियम के विपरीत की जा रही खरीदी पर चेंबर ऑफ कॉमर्स चांपा ने आपत्ति जताते हुए क्रय आदेश निरस्त करने की मांग की है।