बिलासपुर/शौर्यपथ /
आज 25 मई के दिन श्रीकांत वर्मा पीठ और उनके ट्रस्ट ने बिलासपुर में दो कार्यक्रम रख कर उस विरासत को क्लेम करने की कोशिश की जो विरासत श्रीकांत वर्मा जी ने बड़ी मेहनत से बिलासपुर, दिल्ली वाया नागपुर तक बनाई थी। कार्यक्रम के स्टेज पर हवन नाम से एक बोर्ड रखा था लिखने में कोई संकोच नहीं हवन ऐसा जिसमें आहुति नहीं हुई क्योंकि यहां आयोजक हवन में अग्नि प्रज्वलित करना भूल गए हवन तभी हो सकता है जब अग्नि प्रज्वलित हो रही हो यह शहर का दुर्भाग्य माना जाएगा कि यहां लोग सो रहे हैं सच्चाई यह है कि वह सोने का नाटक कर रहे हैं, कहते हैं सोते आदमी को जगाना आसान हैं जो सोने का नाटक कर रहा हो उसे नहीं जगाया जा सकता। यहां तो एक कदम आगे था जो जगाने आया था वह भी जगाने का नाटक कर रहा था जो सो रहा था वह भी नाटक कर रहा था। इसीलिए श्रीकांत वर्मा अवसान और अवदान जैसी कोई पहल परवाना नहीं चढ़ी प्रथम वक्ता ने बहुत सही कहा राजनीतिक कविता और प्रेम कविता श्रीकांत राजनैतिक कवि थे सपाट ठेट शब्द लड़ाई सत्य के लिए या सत्ता के लिए वाम में या दक्षिण में वे सत्ता में रहकर सत्याग्रह कर रहे थे यह बड़ा कठिन काम है। वर्तमान ही नहीं कांग्रेस का जब कभी भी शासन आया यह बड़ी चिंतनीय बात है की उन्होंने अर्थात सत्ताधारी लोगों ने सोचने समझने का ठेका वाम विचारधारा को दे दिया।
गोया कांग्रेस के पास वह मस्तिष्क ही नहीं है जो सोचता हो तभी तो वामपंथियों को किराए पर लेकर आते हैं। सिम्स के ऑडिटोरियम की कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ संजय अलंग ने की उनके अध्यक्षसी भाषण की प्रतियां उनके संबोधन के पहले ही बांट दी गई जिसमें कहा गया है कि श्री वर्मा की कविताएं अपने समय से सीधे टकराती है। उनकी कविता प्रत्येक मानवता विरोधी ताकतों से सीधे टकराती हैं। असल में श्रीकांत वर्मा कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी के चुनाव प्रबंधक रहे कुछ ऐसा समझे कि आज यदि श्रीकांत होते तो पीके की स्टाइल में बड़ी कंपनी खोलकर बैठे होते यह बात अलग है कि वो धंधा केवल कांग्रेस के साथ करते, वर्मा की अंडरस्टैंडिंग कांग्रेस में राजीव गांधी तक बनी रही तभी तो राजीव गांधी ने 84 के दंगों के बाद श्रीकांत वर्मा को अपना परामर्शदाता तथा राजनैतिक विश्लेषक बनाकर रखा। गरीबी हटाओ का नारा कांग्रेस को श्रीकांत वर्मा ने ही दिया था। भारतीय जनता पार्टी के संदर्भ में इसे ऐसे समझे जैसे महाजन ने भाजपा को शाइनिंग इंडिया दिया था। यह दोनों नारों से भारत का कोई भला नहीं हुआ हां कांग्रेस और भाजपा का भला हुआ क्योंकि आम आदमी तो अभी भी दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में सिर खपा रहा है।