बिलासपुर/शौर्यपथ /
जन रैली पर शासन के दिशा निर्देश को न मानने का भारतीय जनता पार्टी का जेल भरो आंदोलन इसी माह हुआ। 1 सप्ताह भीतर एक पूर्व नगर विधायक भारतीय जनता पार्टी को ऐसी कौन सी मजबूरी आन पड़ी की वह फिर से धरना आंदोलन के लिए आए। असल में पूरा खेल बिलासपुर में भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद विपक्षी नेतृत्व का है, ऊपर से राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की बैठक के बाद बनते बिगड़ते राजनीतिक समीकरणों का है इस बात पर सहमति बन गई बताई जाती है कि पिछली बार की तरह इस बार भी भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस या अन्य राजनीतिक दल से आने वाले स्थापित नेताओं के लिए अपना स्वागत द्वार खोल रखी है और कयास लगाया जा रहा है कि पहला नाम लोरमी विधायक छजका नेता का होगा और उन्हें बिलासपुर से चुनाव मैदान में उतारने की संभावना भी है । जब से यह समीकरण बना है कांग्रेस से अधिक खलबली भारतीय जनता पार्टी की कैंप में है कांग्रेस के आधा दर्जन वह नेता जो बिलासपुर विधायक से नाराज हैं इसी बात को लेकर खुश हैं कि ब्राह्मण के खिलाफ एक ठाकुर की मदद करने का मजा ही कुछ और है और उनके लिए लोरमी विधायक पुराना मित्र है और वैसी मित्रता नगर विधायक बिलासपुर से नहीं हुई लेकिन इस समीकरण से भारतीय जनता पार्टी में पूर्व विधायक खेमा वैसा ही नाराज है जैसा वीसी शुक्ल के भारतीय जनता पार्टी प्रवेश पर था। आखिर वह वर्षों से संचित राजनीतिक पृष्ठभूमि किसी आयातित नेता के लिए क्यों छोड़ दे..... लिहाजा अब पूर्व विधायक भारतीय जनता पार्टी एक तरफ सड़क पर उतरकर सत्ता को दिखावटी चुनौती दे रहे हैं और अपनी ताकत का एहसास भारतीय जनता पार्टी के हाईकमान को करा रहे हैं। इस सबके बीच भैया के वह कांग्रेसी मित्र जबरन दुखी हैं जो सत्ता सुख के दौरान उनकी परिक्रमा करते थे।