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नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति के बाद शुरू हो गया रूठने मनाने का दौर

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बिलासपुर / शौर्यपथ / देर से ही सही नगरपालिक निगम बिलासपुर में 11 एल्डरमैन की नियुक्ति हो गई। नियुक्ति के उपरांत कांग्रेस का एक गुट आदतन नाराज हो गया। जो स्वयं को निष्ठावान होने का प्रमाणपत्र देते है उन्होंने अपने पदों से इस्तिफा दे दिया। शहर विधायक शैलेष पांडेय व प्रदेश उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव को दिया गया। इस्तिफा देने वालों को यह अच्छे से पता है कि जिन पदों से वे इस्तिफा दे रहे है उन पदों पर वे नही रहना चाहते तो उन्हें अपना इस्तिफा कहा भेजना चाहिए। किन्तु यही तो राजनीति है। बिलासपुर में विधानसभा के चुनाव पहले हुए और निगम के बाद में इस दौरान लोकसभा के चुनाव भी हो गए। किसका प्रदर्शन कैसा रहा कौन पार्टी के लिए कब से कितना निष्ठावान है और कौन कितना अनुशासति है यह सब जानते है। ऐसा कहा जाता है कि 11 एल्डरमैन से 7 विधायक की पसंद है, और शेष चार पर अन्य को प्राथमिकता है, है तो सभी कांग्रेस के जब जोगी कांग्रेस से आए हुए ज्ञानेंद्र उपाध्याय को मरवाही में मुख्य भुमिका मिल सकती है तब बिलासपुर में कांग्रसियों को ही यदि पद मिल गया तो इतनी नाराजगी किस बात की।
विश्लेषण तो यह भी है कि नगर निगम बिलासपुर का 80 प्रतिशत भाग बिलासपुर विधानसभा है और शैलेष पांडेय बिलासपुर के निर्वाचित विधायक है। ऐसे में 11 एल्डरमैन में से 7 पर उनकी पंसद को प्राथमिकता मिली तो बुराई क्या है। यदि हाईकमान ने बिलासपुर की गुटिय राजनीति को समझा और आने वाले तीन वर्षों के लिए क्या उचित होगा पर एक नया कदम उठाया है तो इसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया जाना चाहिए। एक तरफ पार्टी की लड़ाई खबरों में नही आनी चाहिए का फरमान पार्टी पदाधिकारी देते है। निर्वाचित विधायक को अखबार में बोलने पर शहर अध्यक्ष ने चि_ी लिख कर पाठ तक पढ़ाया। किन्तु अब वही नैतिक्ता और पाठ कुछ पदाधिकारी भूल गए। किसने पार्टी के लिए कितना संर्घष किया सब जानते है। ऐसे में निगम में पार्टी कमजोर होगी वैसे भी इन दिनो शहर के कामकाज ठप है। भाजपा के वरिष्ठ नेता शहर सरकार को कोसना शुरू कर चुके है। कांग्रेस के भीतर के धमासान से उन्हें लाभ ही होगा।

00 पीएल पुनिया को बिलासपुर में नही मिल रही बधाई 00

कांग्रेस के हाईकमान ने छत्तीसगढ़ के लिए एक बार फिर से पीएल पुनिया को ही योग्य पाया है। ऐसा मान जाता है कि उनकी राजनीतिक सूझबूझ से ही प्रदेश में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला। रणनीति इतनी सटीक रही की एक बार जब जीत के आकड़े निकलना शुरू हुए तो किन्तु परन्तु की स्थिति ही नही बनी और इसी का परिणाम की प्रदेश में किसी असंतोष की चिंता सत्ता को नही करना पड़ती। राजनीति के जानकार बताते है कि श्री पुनिया को बिलासपुर के राजनीतिक समीकरणों की भी अच्छी जानकारी है। कौन पार्टी हित में कितनी इमानदारी से रहता है और कौन जनता के बीच पकड़ रखता है। ये वे अच्छे से जानते है। शहर के कांग्रेसी नेता जो छोटे-छोटे अवसरों पर भी विज्ञापन, होर्डिग्ंस से शहर को पाट देते है। उन्होंने प्रभारी के रूप में दुबारा पुनिया की नियुक्ति पर कोई बधाई नही दी ना ही हर्ष व्यक्त किया। इससे यह पता चलता है कि शहर के कांग्रेसी पदाधिकारी अपने वरिष्ठ नेताओं का कितना सम्मान करते है। पुरे शहर में केवल दो कांग्रेसी कार्यकर्ता ने पुनिया की नियुक्ति पर अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार अपनी होर्डिग्ंस लगवाई। यह भी कांग्रेस की गुटबाजी को इंगीत करता है।

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शौर्यपथ

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