बिलासपुर / शौर्यपथ / शहर का ऐतिहासिक अस्पताल अब इतिहास में दर्ज होने वाला है अस्पताल की हालत इतनी खराब है कि इसका ओपीडी, आईपीडी इमरजेंसी सहित प्राथमिक उपचार की सेवा भी बंद हो चुकी है अस्पताल परिसर के भीतर मेडिकल के नाम पर केवल एक दवाई दुकान चल रही है अस्पताल में हर प्रकार की सर्विस बंद है उसके बावजूद अस्पताल के स्वयंभू डायरेक्टर जोगी की दहशत सर चढ़कर बोलती है जिसके चलते व्यवस्था को चुप रहने बाध्य करती है बंद आईसीयू में टेबल की धूल साफ करती हुई नर्स ने अपना नाम तक नहीं बताया उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर में नवीन सिंह नाम का आदमी होगा जो बताएगा वही सत्य होगी की क्यों ओपीडी में डॉक्टर निगम, डॉ सरकार, डॉ जोगी के कमरों में ताले डले है वही अस्पताल के पुरानी बिल्डिंग का प्रथम फ्लोर जर्जर हो चुका है और इस बार इसके पूर्व कोई दुर्घटना घट जाए इससे पहले इसे खतरनाक भवन घोषित कर दिया जाना चाहिए वही आपातकाल भवन की लाइट रात को मरीज को भ्रम में डालने का काम कर रही है अस्पताल के गेट पर शाम 7:00 बजे से ही सुबह 7:00 बजे तक के लिए ताला डल जाता है गेट के अंदर कोविड-19 के संबंध में 3 एक्ट का हवाला देते हुए यह सूचना लिखी है कि परिसर के भीतर रहने वाले शाम 7:00 से सुबह 7:00 बजे तक बाहर ना निकले यदि यह अस्पताल चालू है तो शाम 7:00 बजे से मुख्य प्रवेश द्वार पर ताला कैसे डाला जा सकता है अस्पताल की अघोषित रूप से बंद हो जाने की कोई जानकारी स्वास्थ्य विभाग को क्यों नहीं है...