नई दिल्ली / शौर्यपथ /संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत ने चीन के शिनजियांग हालात से जुड़े मसौदा प्रस्ताव पर वोट नहीं दिया। अब अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत के इस कदम पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस और शिवसेना सांसदों की तरफ से भारत के वोट नहीं देने पर सवाल उठाए गए हैं। पूछा गया है कि जब चीन की बात आती है, तो इतनी झिझक क्यों होती है।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, 'चीन पर इतनी झिझक क्यों? भारत सरकार चीनी घुसपैठ को लेकर संसदीय बहस के लिए तैयार नहीं होगी। भारत UNHRC में शिनजियांग में मानवाधिकार पर बहस के लिए लाए प्रस्ताव से दूर रहेगा। विदेश मंत्रालय सांसदों को ताइवान जाने के लिए राजनीतिक मंजूरी नहीं देगा।'
वहीं, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है, 'हिंदी-चीनी भाई-भाई। लाल आंख से लेकर बंद आंख तक का सफर।'
क्या है मामला
47 सदस्यीय परिषद में चीन के शिनजियांग में मानवाधिकार की स्थित पर बहस के लिए मसौदा प्रस्ताव लाया गया था। अब परिषद के 19 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया और 17 समर्थन में रहे। जबकि, भारत के अलावा अर्जेंटीना, आर्मेनिया, बेनिन, ब्राजील, गाम्बिया, लीबिया, मलावी, मलेशिया, मैक्सिको, यूक्रेन ने मतदान नहीं किया।
हालांकि, भारत ने यह कदम क्यों उठाया? इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। मामले के जानकार बताते हैं कि भारत पारंपरिक रूप से देश विशिष्ट प्रस्तावों के खिलाफ मतदान करता है या दूर रहता है।