नई दिल्ली /शौर्यपथ /मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर के मध्य में सुनवाई करेगा. हालांकि अदालत ने इसके लिए कोई तारीख नहीं दी है. याचिकाकर्ता की तरफ से इंदिरा जयसिंह और करुणा नंदी ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की. इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इसके लिए सुनवाई करने पर विचार करेंगे. ये तीन जज पीठ का मामला है इस पर हम अक्तूबर के मध्य में सुनवाई करेंगे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 15 फरवरी तक इस मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था.
कोर्ट ने सभी पक्षों से तीन मार्च तक लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है. मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले का बड़ा असर होगा. हमने कुछ महीने पहले सभी हितधारकों से विचार मांगे थे अब हम इस मामले में जवाब दाखिल करना चाहते हैं.इस मामले पर आज CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई की.
दरअसल पिछले साल 16 सितंबर को मैरिटल रेप अपराध है या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करने को तैयार हो गया था. अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. 11 मई 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने अलग-अलग फैसला दिया था. दरअसल, भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. हालांकि, इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे वक्त से मांग की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग की गई है.
दरअसल 11 मई को मैरिटल रेप अपराध है या नहीं, इस पर दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच का बंटा हुआ फैसला सामने आया था. सुनवाई के दौरान दोनों जजों की राय एक मत नहीं दिखी. इसी के चलते दोनों जजों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए प्रस्तावित किया था. सुनवाई के दौरान जहां पीठ की अध्यक्षता करने वाले जस्टिस राजीव शकधर ने मैरिटल रेप अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया था. वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा था कि IPC के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है.