आस्था /शौर्यपथ / अगस्त माह में बहुत ही खास 2 एकादशी आ रही है। एक एकादशी जहां सभी पापों का नाश करने में सक्षम है, वहीं दूसरी एकादशी संतान देने वाली मानी गई है।
इस वर्ष श्रावण मास कामिका और पुत्रदा एकादशी व्रत मनाया जाएगा। कामिका एकादशी का यह व्रत लोक हित के लिए बहुत जरूरी है। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। यह एकादशी 4 अगस्त 2021, बुधवार को मनाई जाएगी। पौराणिक ग्रंथों में इस एकादशी का इतना महत्व है कि इसकी कथा सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
इस दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन करने का विधान है। इस एकादशी के दिन श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन इन नामों से पूजन करने से गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर स्नान से जो मिलता है, वह विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है। जो फल ग्रहण के समय काशी में स्नान करने, समुद्र, वन सहित पृथ्वी दान करने से भी प्राप्त नहीं होता वह भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है।
शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य श्रावण में भगवान का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्य करना चाहिए। यह पूजन सभी पापों के नाश करने में सक्षम है।
अगस्त माह में दूसरा एकादशी का व्रत 18 अगस्त 2021, बुधवार मनाया जाएगा। इस दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। यह दिन संतान प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन संतान प्राप्ति की कामना के लिए भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा भी की जाती है।
यदि पूरे मन से नि:संतान दंपति यह व्रत करता हैं तो उन्हें संतान सुख अवश्य मिलता है। यह एकादशी संतान प्राप्ति तथा उसके दीघार्यु जीवन के लिए बहुत महत्व की मानी गई है।
एकादशी को कतई न करें इनमें से कोई भी कार्य, वरना आ सकती है मुसीबत
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी अत्यंत पवित्र तिथि है। इस दिन तन-मन-धन की पवित्रता को बनाए रखने के पूरे प्रयास करना चाहिए। यह तिथि इतनी शुभ है कि मन, कर्म और वचन की थोड़ी सी अशुद्धि भी आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती है। शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी के दिन कौन से कार्य बिलकुल भी नहीं करने चाहिए...। आइए जानते हैं कौन से 11 काम हैं, जो एकादशी के दिन कतई नहीं करने चाहिए।
1. जुआ खेलना- जुआ खेलना एक सामाजिक बुराई है। जो व्यक्ति जुआ खेलता है, उसका परिवार व कुटुंब भी नष्ट हो जाता है। जिस स्थान पर जुआ खेला जाता है, वहां अधर्म का राज होता है। ऐसे स्थान पर अनेक बुराइयां उत्पन्न होती हैं। इसलिए सिर्फ आज ही नहीं बल्कि कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए।
2. रात में सोना- एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के निकट बैठकर भजन करते हुए ही जागरण करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
3. पान खाना- एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है। पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। इसलिए एकादशी के दिन पान न खा कर व्यक्ति को सात्विक आचार-विचार रख प्रभु भक्ति में मन लगाना चाहिए।
4. दातून करना- एकादशी पर दातून (मंजन) करने की भी मनाही है। इस निषेध के शास्त्रसम्मत कारण नहीं मिलते हैं।
5. दूसरों की बुराई करना- परनिंदा यानी दूसरों की बुराई करना। ऐसा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं। इसलिए एकादशी के दिन दूसरों की बुराई न करते हुए भगवान विष्णु का ही ध्यान करना चाहिए।
6. चुगली करना- चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है। इसलिए सिर्फ एकादशी ही नहीं अन्य दिनों में भी किसी की चुगली नहीं करना चाहिए।
7. चोरी करना- चोरी करना पाप कर्म माना गया है। चोरी करने वाला व्यक्ति परिवार व समाज में घृणा की नजरों से देखा जाता है। इसलिए सिर्फ एकादशी ही नहीं अन्य दिनों में भी चोरी जैसा पाप कर्म नहीं करना चाहिए।
8. हिंसा करना- एकादशी के दिन हिंसा करने की मनाही है। हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है। इससे मन में विकार आता है। इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए।
9. स्त्रीसंग- एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता। अतः एकादशी पर स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए।
10. क्रोध- एकादशी पर क्रोध भी नहीं करना चाहिए। इससे मानसिक हिंसा होती है। अगर किसी से कोई गलती हो भी जाए तो उसे माफ कर देना चाहिए और मन शांत रखना चाहिए।
11. झूठ बोलना- झूठ बोलना व्यक्तिगत बुराई है। जो लोग झूठ बोलते हैं, उन्हें समाज व परिवार में उचित मान सम्मान नहीं मिलता। इसलिए सिर्फ एकादशी पर ही नहीं अन्य दिनों में भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।