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मोहिनी एकादशी कब है? जानिए इस दिन किन लोगों के रखना चाहिए व्रत, क्या है पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी का बेहद महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं मोहिनी एकादशी कब है, किन लोगों को इस दिन व्रत रखना चाहिए, साथ ही जानेंगे मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने की सही विधि और शुभ मुहूर्त.  
कब है मोहिनी एकादशी?
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 7 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगी. इसका समापन अगले दिन 8 मई को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा. ऐसे में इस बार मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई को किया जाएगा.
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मोहिनी एकादशी का धार्मिक महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान अमृत और विष निकला था, तब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध होने लगा. इस युद्ध को शांत करने और असुरों से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था. इसी कारण इस एकादशी को 'मोहिनी एकादशी' कहा जाता है. यह तिथि मोह, अज्ञान और पाप से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है.
किन लोगों को रखना चाहिए मोहिनी एकादशी का व्रत?
    मान्यताओं के अनुसार, मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. ऐसे में जो लोग अपने जीवन में मानसिक शांति की तलाश में हैं, उनके लिए मोहिनी एकादशी का व्रत रखना विशेष फलदायी हो सकता है.
    दांपत्य जीवन में कलह या असंतुलन से जूझ रहे लोगों के लिए यह व्रत विशेष लाभकारी माना गया है.
    इन सब से अलग विद्यार्थी, नौकरीपेशा और व्यापारी वर्ग के लोग भी इस व्रत को रखकर सफलता के मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं.
व्रत और पूजा की विधि
    मोहिनी एकादशी से एक दिन पहले दशमी तिथि को सात्विक भोजन कर ब्रह्मचर्य का पालन करें.
    एकादशी के दिन प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लें.
    पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं और नारायण को चंदन, तुलसी दल, फूल, धूप और भोग अर्पित करें.
    इसके बाद ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
    इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, गीता पाठ करना विशेष फलदायक माना जाता है.
    आखिर में भगवान की आरती करें.
पारण का समय और शुभ मुहूर्त
मोहनी एकादशी के दिन दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 26 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा. ये समय बेहद शुभ माना जा रहा है. वहीं, व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाएगा. आप सुबह 05 बजकर 34 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक पारण कर सकते हैं. पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देना शुभ माना गया है.

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शौर्यपथ