पेंड्रीडीह की महिलाओं को गोधन न्याय योजना के तहत मिली 1 लाख 32 हजार 282 रूपए की राशि
बाड़ी की साग-सब्जी बनी आय का जरिया
राजनांदगांव / शौर्यपथ / ग्रामीण संस्कृति, परिवेश एवं संसाधनों के अनुरूप जब ग्रामीण विकास की दिशा तय की जाती है, तब उसकी परिणति सामाजिक परिवर्तन के रूप में होती है। शासन की किसान हितैषी नरवा, घुरवा, गरुआ एवं बाड़ी योजना गावों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है और खुशहाली एवं समृद्धि ला रही है। वहीं सामाजिक चेतना की मशाल भी है, जिसकी रोशनी से ग्रामीण महिलाओं को आगे बढऩे का आत्मविश्वास और संबल मिला है। इसकी एक बानगी छुरिया विकासखंड के ग्राम पेंड्रीडीह में दिखी, जहाँ महिलाओं की जिंदगी बदल रही है। मेहनतकश महिलाओं का कारवां सफलता की राह पर आगे बढ़ा है। पेंड्रीडीह आदर्श गौठान में 5 महिला स्व सहायता समूह कार्यरत है।
गौठान से लगे 6 एकड़ की सामुदायिक बाड़ी में जैविक खाद से साग-सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। कलेक्टर श्री टोपेश्वर वर्मा ने अपने भ्रमण के दौरान समूह की महिलाओं को सब्जी उत्पादन के लिये प्रोत्साहित किया था। बाड़ी में टमाटर, बैंगन, बरबट्टी, मूली, जिमीकंद का उत्पादन हो रहा है। स्वादिष्ट सब्जियां होने के कारण इनकी आस-पास के बाजार में मांग बढ़ी है और समूह की आय में वृद्धि हुई है। गोधन न्याय योजना के तहत गौठान में एकत्रित गोबर से समूह की महिलाओं को 1 लाख 32 हजार 282 रूपए की राशि मिली। राधाकृष्ण आदर्श गौठान समिति में 703.20 क्विंटल गोबर खरीदी गई, जिसमें से 390 क्विंटल गोबर का वर्मी टैंक में भराई किया गया है और वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है। माँ भवानी स्वसहायता समूह के सदस्यों द्वारा टैंक में 65 किलो वर्मी डाला गया है और 243 किलो वर्मी खाद तैयार कर लिया गया है, जिसे सैम्पल जांच के लिए भेजा गया है। जनपद सीईओ छुरिया श्री प्रतीक प्रधान ने बताया कि अभी गौठान में 5 समूह जिनमें राधाकृष्ण स्वसहायता समूह, जय माँ दंतेश्वरी स्वसहायता समूह, जय माँ गायत्री स्वसहायता समूह, जय माँ शीतला एवं जय लक्ष्मी स्वसहायता समूह कार्यरत है और बहुत अच्छा कार्य कर रही हैं। एनजीजीबी की टीम इनका सहयोग कर रही है।