छत्तीसगढ़ / शौर्यपथ / पेंशन योजना एक ऐसी योजना है जिसके कारण उन कर्मचारियों का परिवार में महत्तव अंतिम साँस तक बरक़रार रहता है जो औलादे अपने माता पिता को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझती है . आज ऐसा कई जगह देखने को मिलता है जहा जो परिवार के बुजुर्ग जब सेवानिवृत होकर घर में अपना समय गुजरते है और सेवानिवृत की एक मुश्त राशि जब उनके बैंक खातो में आती है तो परिवार के अन्य सदस्य तब तक उनके आगे पीछे मंडराते है जब तक उनके बैंक खातो में लाखो रूपये रहते है एक बार ये रूपये उनके कब्जों में गए नहीं कि फिर असली रंग दिखना शुरू हो जाता है तब उम्र के आखिरी पडाव में ऐसे बुजुर्ग परिवार से तो दूर हो ही जाते है साथ ही एक एक रूपये के लिए भी तरसते रहते है . किन्तु पेंशन राशि के महीने दर महीने आने से परिवार के हर सदस्य का प्यार उन पर हमेशा बना रहता है . ऐसा नहीं कि हर बुजुर्ग के साथ यह होता है किन्तु कुछ के साथ ऐसी घटना अक्सर सामने आती रहती है . भूपेश सरकार की इस पेंशन योजना को पुनह लागू करने से कर्मचारियों में जिस तरह की ख़ुशी दिखाई दी उससे तो यह साफ़ है कि आने वाले समय में हर वो पेंशनधारी अपनी जिन्दगी की आखिरी साँस तक सर उठा कर परिवार के मुखिया के रूप में अपनी जिन्दगी जीता रहेगा और परिवार में कभी तिरस्कार का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योकि किसी ने भी क्या खूब कहा है पैसा भगवान् तो नहीं किन्तु भगवान् से कम भी नहीं . मेरे निजी नजरिये के के अनुसार भूपेश सरकार का यह फैसला कई परिवार को एक सूत्र में बांधे रखने में एक कारगार कदम है जिसकी जितनी भी सराहना कि जाए बहुत ही कम है जैसे सूर्य को रौशनी दिलाने के सामान . भूपेश सरकार के पेंशन स्कीम की पुनः लागू करने पर साधुवाद .
शरद पंसारी
संपादक - दैनिक शौर्यपथ समाचार पत्र