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जन्मदिन विशेष : कभी चुनाव नही जीत पाए बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर

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लेख । शौर्यपथ । 14 अप्रैल को भारतीय संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का जन्मदिन है दुनिया के सबसे बड़े संविधान डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन काल में कई विपरीत परिस्थितियों का सामना किया और हर परेशानियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहे किंतु उनके बारे में एक सच्चाई यह भी है कि वे कभी भी स्वतंत्र भारत के आम चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाए । 

डॉ. भीम राव अंबेडकर आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में अनुसूचित जाति संघ के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1952 में हुए पहली लोकसभा चुनाव में अम्बेडकर उत्तरी बंबई से एससीएफ पार्टी से उम्मीदवार थे और उनको एक समय उन्हीं के सहयोगी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नारायण काजोलोलर ने हरा दिया था।

1954 में भंडारा में हुए लोकसभा उप चुनाव एक बार फिर अम्बेडकर लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भी अम्बेडकर की बुरी तरह हार हुई। अम्बेडकर उपचुनाव में तीसरे नम्बर पर रहे। दूसरे लोकसभा चुनाव से पहले ही अम्बेडकर की मौत हो चुकी थी। अम्बेडकर की मौत 65 साल की उम्र में 6 दिसम्बर को 1956 में हो गयी।

अम्बेडकर ने 1942 में ही अनुसूचित जाति संघ (एससीएफ) नाम से एक राजनीतिक दल का निर्माण किया था। एससीएफ की स्थापना अम्बेडकर ने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए की थी, लेकिन इस दल का 1946 में हुए भारत की संविधान सभा के लिए के चुनावों में खराब प्रदर्शन किया था।

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