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कोई मुद्दा नहीं तो बजरंगबली का नाम ही सही .... भाजपा मुद्दों की तलाश में बजरंगबली के सहारे सत्ता के द्वार में जाने की जुगत .....

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       रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में कोई ऐसा मुद्दा नहीं मिल रहा जिसके सहारे आने वाले विधान सभा में भाजपा सत्ता के द्वार तक पहुँच सके . देश का शायद छत्तीसगढ़ ही पहला ऐसा प्रदेश होगा जिसने अपने चुनावी घोषणा पत्र के एक बड़े हिस्से को पूरा कर दिया हो और साथ में ऐसी कई योजनाओं को क्रियान्वित किया है जो घोषणा पत्र में भी नहीं था .
   आज प्रदेश में शिक्षा की बात करे तो स्वामी आत्मानंद स्कूल , स्वास्थ्य में डॉ. खूबचंद बघेल योजना , गोधन न्याय योजना , गौठान योजना , नालो को संरक्षित कर कृषि क्षेत्र में बढ़ोतरी , वनोपज का समर्थन मूल , भूमिहीन मजदूरो के लिए योजना ऐसी  कई योजनाये है जिसे लागू भी किया गया और जमीनी स्तर पर क्रियान्वित भी किया गया . ऐसे में प्रदेश भाजपा अब मुद्दों की तलाश में है वही छोटी छोटी बात में कई बातो को जोड़कर बड़ी बात बनाने का प्रयास भी निरंतर ज़ारी है . उसी तारतम्य में अगर बजरंग बलि जी को ताले में बंद करने की बात को ही ले ले तो साफ़ नजर आ रहा है कि बात कुछ और ही कही गयी किन्तु प्रचार किसी और तथ्यों का किया जा रहा है .
  बता दे के कर्णाटक विधान सभा चुनाव के अपने संकल्प पत्र में कांग्रेस ने पीएफआई और बजरंग दल पर बेन का उल्लेख किया किन्तु कही पर भी हिन्दुओ के आराध्य बजरंग बलि जी को ताले में बंद करने की बात नहीं कही गयी किन्तु कर्णाटक के एक चुनावी सभा में देश के पीएम मोदी जी  ने बजरंग बलि को ताले में बंद करने का आरोप कांग्रेस पर लगा दिया बस फिर क्या इसकी आंच छत्तीसगढ़ में पहुंचनी थी जो पहुंच गयी और जैसा कि सभी को मालुम है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भारत के ऐसे राजनेता /मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री नहीं है जो प्रेस की बातो का सवालों का जवाब ना दे . मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कर्नाटक चुनाव में संकल्प पत्र में पीएफआई और बजरंग दल पर बेन लगाने पर वहा की सरकार बनने के बाद विचार किया जाएगा वही छत्तीसगढ़ में बजरंगदल के कार्यो पर नजर रखी जा रही है यहाँ सब ठीक है . कांग्रेस ने बजरंग दल ,पीएफआई पर बेन लगाने के विचार का उल्लेख किया ना कि हिन्दुओ के आराध्य देव बजरंगबली जी पर .
   किन्तु प्रदेश भाजपा के द्वारा और उनके कई राजनेताओ के द्वारा बजरंगबली को ताले में बंद ? की बात का पुरजोर प्रचार करते हुए मुख्यमंत्री को हिन्दू विरोधी होने का अभियान छेड़ दिया गया . सोशल मिडिया के माध्यम से ऐसा प्रचार अभियान शुरू हो गया कि सच धुंधला  होते जा रहा और झूठ तेज रौशनी में नहा गया बिलकुल ठीक उसी तरह जिस तरह आलू से सोना बनाने की बात कही किसी और ने थी और प्रचार किसी और का हो गया क्योकि यहाँ की राजनीति में नेता सिर्फ अपने मन की बात कहता है आम जनता की सुनता ही नहीं हाँ ये जरुर है कि हर 5 साल में हाथ जोड़ का वोट मांगने ज़रूर दरवाजे पर आ जाता है .
  आश्चर्य है कि प्रदेश में स्वयमेव ही मुख्यमंत्री की खुर्सी की दौड़ में अपने आप को रखने वाले राजनेता भी बजरंग बलि जी को ताले में बंद करने की बात का आरोप लगाने में मुखिया बनने कि जुगत लगा रहे है क्यों देश के पीएम ने यह बात जो कह दी अब उनकी बात का प्रचार करना तो ज़रूरी क्योकि ये भारत है यहाँ बड़े बड़े जादू होते है देश की जनसँख्या 600करोड़ पहुँच जाती है , तीन अलग अलग सदी के महापुरुष / संत एक मंच पर बैठ कर मंत्रणा करते है , डिजिटल कमरे का अविष्कार के पहले ही फोटो शूट हो जाता है जैसे बातो पर भी आँख बंद कर विश्वास कर लेते है क्योकि चाटुकारिता परमोधर्म माना जाता है राजनीति में .
   अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ में जिस तरह से भाजपा के बड़े बड़े नेता बजरंग बलि को ताले में बंद करने वाले आरोप लगा रहे उसे क्या सिद्ध कर पायेंगे या आराध्य देव बजरंगबली के नाम के सहारे सत्ता के द्वारा तक पहुँचने में कामयाब होंगे क्योकि विकास की बात , महंगाई की बात तो कही नजर नहीं आ रही अब तक ...( लेखक के निजी विचार )

sharad pansari

chief editore (SHOURYAPATH NEWS )

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Last modified on Sunday, 07 May 2023 12:37
शौर्यपथ

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