नई दिल्ली / शौर्यपथ / आरबीआई ने 2000 के नोट पर पाबंदी लगा दी 30 सितंबर के बाद 2000 नोट के वैधता समाप्त हो जाएगी और बाजार से इसका चलन बंद हो जाएगा 2016-17 में जब नोट बंदी का फैसला हुआ था तब आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा किंतु अब भारत सरकार के इस फैसले के बाद आम जनता को भी तरह की कोई परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है आम जनता तो वैसे भी काफी समय से 2000 के नोट के दर्शन नहीं कर पाई ऐसे में जिनके पास 2000 के नोट की तादाद ज्यादा है एक बार फिर उन्हें वापसी करने में तरह-तरह के रास्ते अख्तियार करने होंगे किंतु इस बार भारत सरकार की जांच एजेंसियों की नजर बराबर ऐसे लोगों पर रहेगी और निश्चित ही कई भ्रष्टाचारी फिर सामने आएंगे. आज भारत की जनता ₹2000 के नोट के बंद होने पर भले ही विचलित ना हो किन्तु एक बार उनके मन में फिर यह प्रश्न सामने आ गया कि 2016-17 में नोटबंदी के बाद भारत में कितना काला धन जमा हुआ इसकी जानकारी आखिर भारत सरकार उजागर क्यों नहीं कर रही है और इस काला धन को जिनसे भी जप्त किया गया है उनके नाम क्या है. नोटबंदी के ऐलान के समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा था कि भारत में इतना काला धन है कि नोटबंदी के फैसले के बाद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो जाएगी किंतु नोटबंदी के आज 7 साल बाद भी आम जनता को यह नहीं मालूम कि भारत में कितना काला धन सामने आया और उसके अपराधी कौन कौन है .2000 के नोट के बंद होने की घोषणा के बाद एक बार फिर आम जनता के मन में यह सवाल उठने लगा कि इसलिए बाकी नोटबंदी के आंकड़े तो अभी तक उजागर नहीं हुए तो क्या इस बार 2000 की नोट की बंद की घोषणा के बाद काला धन जमा करने वाले सामने आएंगे या इस बार भी मामला शून्य की तरह कहीं लुप्त हो जाएगा . जनता के मन में यह सवाल भी उठ रहा कि जब अल्प समय के लिए 2000 के नोट को लाया गया था जैसा कि भाजपा के नेता और कुछ चाटुकार मिडिया समूह द्वारा प्रचारित किया जा रहा तो फिर 2000 के नोट की छपाई में सरकार ने हजारो करोड़ क्यों बर्बाद कर दिए . क्या सिर्फ भारत की जनता को प्रयोग शाला के रूप में इस्तमाल कर रही सरकार . आखिर देश के प्रधान मंत्री मोदी जी कब तक मन की बात करेंगे और कब जनता के सवालों का जवाब देंगे . पुराने जमाने में राजा के दरबार में राजा ही अपनी बात कहता और उनके चाटुकारों का समूह उनके हर सही गलत बात पर वाह वाही करता तब राजतन्त्र था किन्तु अब लोकतंत्र है लोकतंत्र में जनता को उनके सवालों के जवाब मिलने चाहिए किन्तु ऐसा हो रहा हो कही नजर नहीं आता क्या फिर से भारत में राजतन्त्र की स्थापना हो रही है ....