शौर्य की बाते। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है ऐसे में सभी दल अपने-अपने पक्ष में मतदान के लिए प्रजा प्रसार में पुरजोर तरीके से लग चुके हैं । छत्तीसगढ़ के साजा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का मुख्य मुकाबला है जहां भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी के रूप में ईश्वर साहू को चुनावी मैदान में उतारा है वही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मंत्री रविंद्र चौबे को अपना प्रत्याशी बनाया है ।
जहां एक तरफ चुनाव में विकास की बातें महंगाई रोजगार स्वास्थ्य यह मुद्दा होना चाहिए किंतु भारतीय जनता पार्टी के द्वारा इन दिनों सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो चलाया जा रहा है जो आने वाले समय में इस नफरत के बीच को एक बड़े पेड़ के रूप में विकसित कर सकता है कहते हैं बाल मन एक कच्ची मिट्टी की तरह होता है इसे जिस रूप में डाला जाए उसके रूप में ढल सकता है इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा एक वीडियो वायरल किया जा रहा है जिसमें मासूम बच्चे धर्म की बात करते हुए नजर आ रहे हैं कहते हैं राजनीतिक धर्म होना चाहिए ताकि राजनीति एक सही दिशा में आगे बढ़ सके परंतु साजा विधानसभा क्षेत्र में इस प्रकार से वीडियो चल रहा है उसमें राजनीति में धर्म नहीं धर्म की राजनीति नजर आ रही है । वीडियो में एक व्यक्ति बच्चों से यह सवाल पूछ रहा है कि साजा विधानसभा में कौन जीतेगा जिसमें बच्चे जवाब देते हैं कि ईश्वर साहू जीतेगा तब पूछने वाला व्यक्ति रविंद्र चौबे के बारे में सवाल करता है कि रविंद्र चौबे क्यों नहीं जीतेगा तब बच्चे यह जवाब देते हैं कि पठान डाहर सपोर्ट करते है । फिर जय श्री राम के नारे लगते है । बच्चो में धर्म की आस्था होनी चाहिए किंतु दूसरे के धर्म के प्रति नफरत के बीच पैदा करना कहां की राजनीति है ऐसे बच्चों से इस तरह के सवाल पूछना और उनकी बातों को सोशल मीडिया में डालकर प्रचार करना कहीं तक भी मेरी नजर में सही नहीं है आज बच्चों को शिक्षा की स्वास्थ्य की अच्छे समाज की आवश्यकता है क्या भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ जाएगी तो पूरे प्रदेश के और देश के मुसलमान को इस देश से बाहर भगा सकती है । झूठे वादों , नफरती बातो के साथ आखिर कब तक इस प्रकार से नफरत के माहौल को बढ़ाया जाएगा आज देश में मुसलमान को ही नहीं ईसाइयों को जैनियों को पंजाबियों को या अन्य धर्म मानने वालो को संविधान यह अधिकार देता है कि वह भारत के नागरिक हैं और भारत की तरक्की में निर्माण में उनका भी पूरा योगदान है फिर इस तरह की नफरत भरी बातों को बच्चों के द्वारा कहलवाकर सोशल मीडिया में प्रचारित करना कहीं से भी सही नहीं है ऐसे वीडियो पर निर्वाचन आयोग को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए भारत में नफरत नहीं एकता के साथ ही आगे बढ़ा जाता है और यही कोशिश रही तो ही प्रदेश ही नहीं देश भी आगे बढ़ेगा आखिर कब तक हिंदू मुसलमान की बातें चुनावी मुद्दा बनती रहेंगे ।
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बच्चे ईश्वर का रूप है उन्हे अच्छे संस्कार देने की जिम्मेदारी समाज के सभी वर्ग की है उन्हे राजनीति में इस्तमाल न करे ।
यह लेखक के निजी विचार है ।