शौर्य की बाते / शौर्य वो नाम जिस पर मेरी दुनिया टिकी है . शौर्य हाँ यही नाम है जिससे मेरी पहचान बनी किन्तु अब सिर्फ नाम ही रह गया मेरी जिदगी में . जिस शौर्य के बिना एक पल जीना दूभर था अब सारी जिन्दगी उसी के बिना जीना है क्योकि शौर्य ने जीने के लिए अपनी बहन को जो छोड़ दिया शायद शौर्य को भी मालूम था कि उसके मम्मी पापा उसके बिना नहीं रह इसलिए अपने जन्म के 9 साल बाद अपनी छोटी बहन को बुला लिया दुनिया में और खुद दुनिया से दूर एक अनजाने जगह पर लम्बी सफर के लिए चला गया . और दे दी जिम्मेदारी सिद्धि की . हम तो शौर्य के साथ ही चले जाते पर सिद्धि का क्या होता .उसके जीने के हक को कैसे छिनते . शायद यही हमारा भाग्य है कि एक पत्थर की तरह जिन्दगी जी रहे है जिसमे ना कोई अहसास ना कोई भाव बस सिर्फ सुनी सुबह और अँधेरी रात कब सुबह होती है कब रात इसका भी कोई अहसास नहीं .
आज त्यौहार का समय चल रहा है सब तरफ एक उमंग दिख रही है एक उत्साह है किन्तु ये सब हमारे लिए बेमानी है जिन्दगी तो हमने जी ली बस अब एक कहानी के अंत का इंतज़ार है कब हमारी कहानी का आखरी अध्याय लिखा जाएगा इसी पल के इंतज़ार में हम दोनों जी रहे है ताकि जब अंत हो तब नयी शुरुवात फिर से शौर्य के संग हो . हम तुझे बहुत याद करते है मेरे लाल बस तुझे ही याद करते है . आजा मेरे लाल आजा मेरा बेटा आजा निक्की ...( शरद पंसारी - एक बेबस बाप )