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शिशु के लिए अमृत के समान है मां का दूध : रेणु प्रकाश

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० स्तनपान सप्ताहः धात्री माहिलाओं को बताए जा रहे हैं स्तनपान के फायदे
० स्वास्थ्य केंद्रों में बनाए अस्थाई ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर

राजनांदगांव / शौर्यपथ / जनस्वास्थ्य के प्रति सरकारी अस्पतालों की सक्रियता कोराना संक्रमण काल में भी देखने को मिल रही है। बच्चों की तंदरुस्ती के लिए कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु आवश्यक नियमों का पालन करते हुए जिलेभर में स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान धात्री माहिलाओं को स्तनपान कराने से होने वाले स्वास्थ्यगत लाभ की व्यापक जानकारी दी जा रही है। साथ ही उचित पोषण आहार व स्वच्छता के प्रति भी उन्हें जागरुक किया जा रहा है।
स्तनपान के प्रति समाज में जागरुकता लाने तथा इस विषय में विभिन्न भ्रांतियों को दूर करने के लिए हर साल 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत राजनांदगांव जिले के भी शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता शिविर लगाए जा रहे हैं। शिविरों में इस बात पर जोर दिया जा रहा है किए शिशु को स्तनपान जरूर कराना चाहिए, क्योंकि यह जच्चा व बच्चा दोनों के लिए लाभदायक होता है। शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम पौष्टिक आहार होता है। मां के दूध से बच्चे को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। इसीलिए 6 महीने तक शिशु को केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। इसके बाद स्तनपान कराने के साथ.साथ ऊपरी पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया, स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में अस्थाई ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर बनाए गए हैं। ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर्स में शिशुवती माताओं को स्तनपान के संबंध में जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा शिविर के माध्यम से भी शिशुवती माताओं को स्तनपान के विषय में जागरुक करने का प्रयास किया जा रहा है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं व शिशुवती माताओं को स्तनपान कराने का तरीका सिखा रहीं हैं। उन्होंने बताया, स्तनपान शिशु के लिए प्रकृति का वरदान है और मां का दूध अमृत के समान है। खासकर कोरोना संक्रमण के दौर में माताएं अपने शिशु को स्तनपान जरूर कराएं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी बताते हैं, शिशुवती माता को दूध, दलिया, पोषणयुक्त भोजन लेने के साथ-साथ खूब पानी पीना चाहिए। प्रसव के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर शिशु को मां के स्तनपान से मिलने वाला गाढ़ा दूध काफी महत्वपूर्ण होता है।

इसलिए महत्पूर्ण है स्तनपान सप्ताह
राजनांदगांव के एनएफएचएस-4 (2015-16) के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह पता चलता है कि, लगभग 67 प्रतिशत शिशुओं को ही जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराया गया है। वहीं 6 माह तक केवल स्तनपान की बात करें तो यह आंकड़ा लगभग 85 प्रतिशत है। एनएफएचएस-4 के आंकड़े कहते हैं, जिले में जागरुकता, कुपोषण, भ्रांतियों एवं अन्य कारणों से 15 प्रतिशत शिशुओं को 6 माह की उम्र तक केवल स्तनपान नहीं कराया जा रहा है। इसी तरह की कमियों को दूर करने के लिए हर वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इस दौरान महिलाओं को स्तनपान कराने हेतु जागरुक करने का प्रयास किया जाता है।

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शौर्यपथ

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