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पीडीएस चावल की कालाबाजारी , दुर्ग खाद्य विभाग की उदासीनता का परिणाम ... Featured

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दुर्ग /शौर्यपथ / शहर में पीडीएस के राशन की कालाबाजारी थमने का नाम ही नहीं ले रही है . शहर की ऐसी कई दुकाने होंगी जहां पीडीएस का राशन मिल जाता है किन्तु इस पर अभी तक खाद्य विभाग द्वारा कही कोई बड़ी कार्यवाही की गयी हो कहि नजर नहीं आता . अभी हाल में ही पीडीएस चावल की कालाबाजारी पर कार्यवाही जिला पुलिस द्वारा हुई वही लॉक डाउन के समय भी ऐसी ही कार्यवाही भी जिला पुलिस की सक्रियता से हुई इन सब बातो में ख़ास बात यह है कि पीडीएस के चावल आखिर खुले बाज़ार में कैसे आ जाते है इतनी बड़ी मात्र में . राशन कार्ड धारक के पास महीने में ३५ किलो चावल ही मिलता है अगर वो उसे बेचता है तो खरीददार मौजूद रहते है तभी बेच सकता है . जबकि पीडीएस के चलाव की खरीदी बिक्री खुले बाज़ार में प्रतिबंधित है बावजूद इसके यह व्यापार जोर पर है और जिम्मेदार विभाग मौन है .
इस मामलो में अगर मय सबुत शिकायत की जाए तो जिला खाद्य अधिकारी और उसकी जाँच टीम तुरंत खानापूर्ति में लग जाती है और राशन दूकान वाले अपने इस दो नंबर के व्यापार में फिर सक्रीय हो जाते है . अगर किसी मामले को संज्ञान में लेकर जाँच की बात कही जाती है तो अधिकारियों और उनकी टीम द्वारा समय का अभाव / व्यवस्तता का बहना बनाया जाता है . जबकि खाद्य अधिकारियों का कार्य ही है कि कालाबाजारी पर रोक लगाए किन्तु शायद ही ऐसा कोई मामला आया हो जिसमे खाद्य अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही की गयी हो .
राशन दूकान संचालको की चोरी पर विभाग का मौन समर्थन ?
ऐसे ही एक मामला आया था जनवरी २०२० में जिसमे राशन दूकान संचालिका द्वारा फर्जी तरीके से फोटो के द्वारा हितग्राही का राशन का आहरण कर लिया गया था जिस पर हितग्राही द्वारा जब संचालिका से इस पर बात की तो संचालिका द्वारा हितग्राही से दुर्व्यवहार कर भगा दिया गया था तब हितग्राही ने वार्ड पार्षद भारद्वाज की मदद से मामले की शिकायत जिलाधीश को की उपरान्त खाद्य विभाग हरकत में आया और फिर सम्बंधित अधिकारी श्रीमती नेहा तिवारी सोसायटी पहुंची एवं जाँच का जिम्मा नायब तहसीलदार सत्येन्द्र शुल्क के द्वारा किया गया . जाँच में ये स्पस्ट हो गया कि संचालिका द्वारा फर्जी तरीके से राशन का आहरण किया गया . ऐसा नहीं कि एक ही फोटो से ऐसा कार्य हुआ है . अगर तकनिकी रूप से देखा जाए तो हितग्राही के अंगूठे का निशाँन तीन बार में भी मैच नहीं होता तब फोटो का आप्शन खुलता है और इस कार्य में तकरीबन २ मिनट का समय लग ही जाता है किन्तु वार्ड नम्बर ११ के राशन दूकान जिसकी संचालिका मिश्रा है के दूकान में शासकीय दस्तावेजो की माने तो १० मिनट के समय में १२-१४ हितग्राहियों के राशन का आहरण हुआ है जो कि जाँच का विषय है .
मामले को शौर्यपथ ने उठाया तब हुई जाँच
मामले का पता चलते ही शौर्यपथ समाचार पत्र द्वारा प्रमुखता से उठाया गया था और खाद्य अधिकारी से कम समय में ज्यादा हितग्राहियों के राशन आहरण के मुद्दे पर बात की गयी थी तब अधिकारी द्वारा मामले की जाँच की बात कही गयी थी .
मिलीभगत की शंका ...
शिकायतकर्ता और वार्ड पार्षद द्वारा मामले की प्रगति पर लगातार संपर्क किया जाता रहा किन्तु अधिकारियों द्वारा जाँच जारी की बात कही जाती रही फिर लॉक डाउन का काल में सब कार्य ठन्डे बस्ते में चला गया . जब एक बार फिर वार्ड पार्षद द्वारा मामले की जानकारी ली गयी तो कार्यालय से बताया गया कि जाँच पूरी हो गयी और ५००० रूपये का जुर्माना लगाया गया जांच कब पूरी हुई इस बारे में गोल मोल जवाब मिलता रहा फिर विभाग से जवाब मिला कि मार्च में ही जांच और जुर्माने की कार्यवाही हो गयी . सबसे बड़ा सवाल यह है कि मामले की लगातार जानकारी मांगने पर आखिर सम्बंधित अधिकारियों द्वारा क्यों अँधेरे में रखा जाता रहा . फर्जी तरीके से हितग्राहियों के राशन का आहरण करने वाले संचालक के पुराने रिकार्ड की जाँच क्यों नहीं की जा रही . इस बारे में अधिकारी श्रीमती नेहा तिवारी का कहना है कि आप जिसकी जिसकी शिकायत करेंगे जांच की जायेगी . तो क्या सिर्फ शिकायत का इंतज़ार कर रहे है अधिकारी क्या मामले के संदेहास्पद स्थिति में स्वयं संज्ञान लेने से क्यों पल्ला झाड रहे है क्या इस तरह एक स्वस्थ कार्य पद्दति की कल्पना की जा सकती है अधिकारियों से जो मामले के संदेहास्पद होने के बाद भी शिकायत का इंतज़ार करते हुए समय बिता रहे है क्या ऐसे ही छत्तीसगढ़ी मुखिया के गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ को साकार करेंगे या फिर शासन को गुमराह करते हुए कार्य को अंजाम देते रहेंगे ...

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शौर्यपथ