दीपक वैष्णव की ख़ास रिपोर्ट
कोण्डागांव / शौर्यपथ / जिला शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार पटेल के निर्देशानुसार संकुल केन्द्र हसलनार एवं संकुल केन्द्र हंगवा का गत दिवस सहायक जिला परियोजना अधिकारी समग्र शिक्षा कंवलसाय मरकाम एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी शंकरलाल मण्डावी विकासखण्ड कोण्डागांव के द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान विभिन्न स्कूलों के शिक्षक, शिक्षिका एवं भृत्य अनुपस्थित मिले। प्राथमिक शाला तोंदेभाटा श्रीमती किरणलता नागेश सहायक शिक्षिका, हायरसेकेण्डरी स्कूल ईसलनार नूतनकमार साह ब्याख्याता, श्रीमती गोदावरी साहू ब्याख्याता, जागेश्वर साहू ब्याख्याता, लोमनसिंह ठाकुर ब्याख्याता, हीरालाल मरकाम भृत्य, हरिनाथ नेताम भृत्य, हायरसेकेण्डरी स्कूल हंगवा चन्द्रकान्त नेताम ब्याख्याता, तुकेश्वर साहू ब्याख्याता, विनोद बेक व्यायाम शिक्षक, संतोषकुमार सिंह कृषि शिक्षक, पूनमसिंह स0शि. प्रयोगशाला, प्रवीण कुमार भारद्वाज अतिथि शिक्षक, सुनिलकुमार सिंह अतिथि शिक्षक, श्रीमती शशीकला भृत्य, महादेव कोर्राम, स्वीपर माध्यमिक शाला हंगवा, चन्दन सिंह सोड़ी संकुल समन्वयक, सुदनराम नेताम शिक्षक, राजेश सोरी स्वीपर प्राथमिक शाला हंगवा, सुमनदास साहू प्र.अ., भुरवाराम मण्डावी सहा.शि., लोमनसिंह नेताम सहा.शि., आसमन कोरोम स्वीपर कन्या आश्रम हंगवा, चन्दनसिंह पडोटी सहारूशि. उच्च प्राथमिक शाला तोतर योगेन्द्रकुमार साकेत, रामसिंह नेताम स्वीपर प्राथमिक शाला तोतर, श्री सुरेशकुमार बेर, प्र.अ., जितेन्द्रकुमार लकड़ा सहा.शि. प्राथमिक शाला चिखलापारा तोतर, जयलाल मरकाम सहाशि., योगेश पात्र सहा.शि. प्राथमिक शाला जौहर मरकाम सहा.शि. कैलाशसिंह ठाकुर सहा.शि. प्राथमिक शाला कोड़कापारा, के०डी0 सोनवानी सहा.शि. प्राथमिक शाला पितारीपारा, श्रीमती लीला श्रीवास्तव उच्च प्राथमिक शाला पितारीपारा, अवधकिशोर मिश्रा शिक्षक प्राथमिक शाला हंगवा एवं प्राथमिक शला तोतर पूर्णतः ताला बंद पाया गया। इन अनुपस्थित पाये गये सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिवस के भीतर समाधानकारक जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। जवाब संतोषप्रद नहीं होने की स्थिति में नियमानुसार कार्यवाही हेतु उच्च अधिकारी को प्रस्ताव प्रेषित किया जायेगा।
सरकारी नौकरी में लापरवाही मतलब सिर्फ कागजी कार्यवाही ...?
अगर आप सिर्फ कागजी कार्यवाही के बिना पर शिक्षा के स्तर में सुधार लाने की सोंच रहे है तो यह शायद छत्तीसगढ़ में संभव नहीं हो सकता . ऐसे तो कोई भी प्रदेश हो सरकारी नौकरी में लापरवाही पर अगर नोटिस प्रक्रिया से ही काम चल जाए तो फिर डर किस बात का . एक तरफ जहां भूपेश सरकार नियमितीकरण की दिशा में , शिक्षा के स्तर में सुधार लाने प्रयासरत है वही ऐसे लापरवाह शिक्षको की भी कमी नहीं जो नौकरी तो सरकार की कर रहे है किन्तु काम के नाम पर शून्य . जिस तरह से औचक निरिक्षण में शिक्षको की अनुपस्थिति सामने आयी है वह गंभीर विषय है . कार्य में लापरवाही करने वालो के ऊपर सिर्फ कागजी कार्यवाही से आगे कोई कड़ी और दंडात्मक कार्यवाही हो तभी लापरवाही में शायद कुछ अंकुश लग सकता है . आज हर शासकीय कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर जिस तरह से आन्दोलन करता है क्या उसी तरह से कार्य के दौरान इमानदारी नहीं बारात सकता क्या सरकारी नौकरी का इस तरह फायदा उठाने वाले शिक्षको पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए ?
जहां एक तरफ शासन प्रशासन बच्चों के भविष्य के लिए निरंतर प्रयत्न कर रही है वही कुछ शिक्षक अपनी जिम्मेदारी भूल कर स्कूलों में नजर नही आते ऐसे में शिक्षा का महत्व विद्यर्थियों को नही मिल पाता और विद्यार्थी शिक्षा से वंचित रह जाते है जिसे देखते हुए शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों द्वारा अब स्कूलोँ का दौरा किया जा रहा है . अब देखना यह है कि जिस तरह से इतने शिक्षको पर नोटिस जारी हुआ है उस पर प्रशासन और सम्बंधित विभाग किस तरह की कार्यवाही करता है सिर्फ कागजी कार्यवाही या उससे भी आगे कुछ ?