दुर्ग / शौर्यपथ / पुरे छत्तीसगढ़ में अगर कोई निगम लगातार घाटे में है तो वह है दुर्ग निगम लेकिन यह घाटा केवल शहर की जनता के लिए है . शहर में अगर किसी तरह के जनहित के कार्य की बात करे तो निगम प्रशासन के पास इतना मद नहीं रहता और मद आने का इंतज़ार करती है किन्तु जब यही कार्य निगम प्रशासन को अपने मनपसंद इंजिनियर या ठेकेदार से करवाना हो तो यही निगम कही से भी मद की व्यवस्था कर लेती है और जब इस पर किसी तरह की शिकायत की जाए तो शिकायत को दबाने में कार्यवाही में लेटलतीफी में और बातो को घुमाने में निगम के जिम्मेदार अधिकारी एक दक्ष राजनेता की तरह बात करने लग जाते है .
शौर्यपथ समाचार पत्र द्वारा ऐसे कई मामलो पर निगम आयुक्त को संज्ञान में लाया गया किन्तु निगम आयुक्त बर्मन द्वारा कार्यवाही के नाम पर सिर्फ दिन और महीने ही बताये जा रहे है चाहे वो व्ही.पी. मिश्रा की शिकायत पर जाँच कर रहे अधिकारी प्रभारी ईई गोस्वामी की कार्यप्रणाली हो या फिर अमृत मिशन के कार्य में हो रही मिलावट खोरी की जाँच की बात हो निगम आयुक्त द्वारा सिर्फ और सिर्फ समय ही दिया जा रहा है किन्तु कार्यवाही नहीं .
ऐसे ही एक मामले में निगम के सब इंजिनियर जो कि वर्तमान में अमृत मिशन के कार्य को कार्यालय में बैठ कर निरीक्षण कर रहे है जिनके कार्यो में लापरवाही पर शहर के विधायक भी नाराजगी जता चुके है किन्तु आयुक्त बर्मन द्वारा ना तो कार्य में सुधार की कोई पहल की गयी और ना ही कार्य की जाँच .
सब इंजिनियर भीम राव द्वारा फर्जी नाम से आयुक्त बंगले में कार्य करवाया गया जिसमे शौचालय के नाम पर संधारण मद से लाख रूपये के लगभग सिर्फ बाथरूम की साज सज्जा में ही खर्च कर दिया गया वो भी तब जब कि पूर्व में रह रहे आयुक्त सुन्दरानी भी उसी बंगले में निवास करते रहे तो क्या बाथरूम में सजावट के नाम पर निगम के लाख रूपये खर्च करने वाले जिम्मेदार अधिकारी की कार्यप्रणाली पर आयुक्त बर्मन मौन क्यों है , अमृत मिशन में हो रही मिलावट खोरी पर जाँच का आदेश देने वाले आयुक्त बर्मन आदेश का पालन नहीं करने वाले सब इंजिनियर पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे है जबकि यही आयुक्त बर्मन है जो निगम के अधिकारिक सोशल मिडिया ग्रुप पर सेवानिवृत्त के बाद हुए बिदाई समारोह पर भेदभाव लगाने वाले निगम कर्मचारी को नोटिस देने में देरी नहीं की जबकि 25 दिनों पहले सब इंजिनियर भीम राव को जाँच का आदेश देने के बाद भी आदेश का पालन नहीं करने पर मौन है जबकि निगम के एक सब इंजिनियर को विगत कई महीनो से बिना प्रभार के रखे हुए है और आरोप यह है की कार्य में लापरवाही बरती जाती है आखिर एक अधिकारी के लिए एक नियम और दुसरे के लिए दूसरा .
क्या दुर्ग निगम की इस प्रशासनिक अव्यवस्था पर जिला प्रशासन संज्ञान लेकर कोई ठोस कार्यवाही करेगा या फिर निगम प्रशासन की ये कार्यप्रणाली ऐसे ही गतिमान रहेगी ?