दुर्ग / शौर्यपथ विशेष / दुर्ग शहर में 23 अगस्त को शायद ही कोई होर्डिंग ऐसी नहीं होगी जिसमे प्रदेश के मुख्यमंत्री के बधाई के पोस्टर ना लगे हो . शहर में कई कद्दावर कांग्रेसी नेताओ राजेन्द्र साहू , प्रदीप चौबे , लक्ष्मण चंद्राकर , मदन जैन , प्रतिमा चंद्राकर , जयंत देशमुख , मुकेश चंद्राकर , अरुण वोरा , धीरज बाकलीवाल ,आर.एन.वर्मा , ऋषभ जैन , नीलू ठाकुर आदि कई नेताओ सहित कार्यकर्ताओ की तस्वीर वाली मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जन्मदिन की शुभकामनाओ वाले पोस्टर से पूरा शहर पट गया था . अमूमन ऐसी ही स्थिति पूर्व की सरकार के समय डॉ.सरोजपाण्डेय , मुख्यमंत्री रमन सिंह , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आदि के जन्मदिन के समय भी ऐसी स्थिति रहती है और पूरा शहर इन संदेशो में होर्डिंग्स में दिखाई देता है किन्तु इस बार कुछ ऐसा हुआ कि चर्चा का केंद्र बन गया .
कोरोना आपदा के कारण 23 अगस्त के पूर्व और वर्तमान में भी ऐसे कई होर्डिंग्स है जो विज्ञापन की राह देख रहे है और खाली है . नगर पालिक निगम दुर्ग ने होर्डिंग्स के लिए शुल्क लेने हेतु 6 जोन में बाँट दिया है जिसे 4 कंपनियों द्वारा ठेका लिया गया है जिसमे दो कंपनी के पास दो दो और दो कंपनी के पास एक एक क्षेत्र का ठेका है . इन क्षेत्रो में होर्डिंग पर लगने वाले पोस्टर का शुल्क इन्ही कंपनी द्वारा लिया जाता है और निगम को सालाना शुल्क भुगतान किया जाता है . आज से पहले भी शहर में प्रदेश व देश के कद्दावर नेताओ के बधाई सन्देश इन्ही होर्डिंग्स पर लगाया जाता रहा जिसे कम से कम 4 से 5 दिन तक लगे रहने दिया जाता था जबकि उस हालत में होर्डिंग्स में अन्य कंपनी के प्रचार ( विज्ञापन ) लगे होते थे बावजूद इसके होर्डिंग्स के ठेकेदार 4-5 दिन तक बधाई सन्देश नहीं निकालते थे किन्तु इस वर्ष कोरोना आपदा में जब शहर के आधे से ज्यादा होर्डिंग्स खाली है बावजूद इसके ठेकेदारों द्वारा या अनजान व्यक्ति द्वारा 24 अगस्त को ही ऐसे सारे पोस्टर हटा दिए गए या चोरी हो गए . केवल वही पोस्टर सलामत रहे जिसमे बधाई सन्देश के प्रायोजक के रूप में शहर के विधायक के समर्थक या निगम के प्रभारी थे . अगर ये इत्तिफाक है तो बहुत ही गजब का इत्तिफाक है अगर ये किसी ऐसे व्यक्ति की साजि़श है जो शहर कांग्रेस को दो गुट में बाँट रहा है तो आने वाले दिनों में दुर्ग कांग्रेस के लिए गलत सन्देश है .
क्या शहर के वो कांग्रेसी जिनके पोस्टर गायब / उतारे / चोरी हुए है वो मामले को संज्ञान लेंगे या मौन रहकर आगे की रणनीति तय करेंगे ?