दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग जिला प्रशासन द्वारा अवैध प्लाटिंग पर कार्यवाही प्रशासन की कार्यशैली का हिस्सा है किन्तु क्या यह कार्य शैली सरकार की नीतियों का विरोध नहीं कर रही है . भूपेश सरकार की नीतियों के अनुसार छोटे भूखंड के क्रय विक्रय की अनुमति २०१८ में दी गयी जिससे छोटे भूखंड जिसकी जितनी हैसियत उतनी जमीन खरीदने का सपना साकार हुआ इस फैसले से किसान को अपनी जमीन को टुकडो में बेचने पर कीमत भी ज्यादा मिलने लगी और बिल्डरों के मायाजाल से भी छुटकारा मिला वही इन सब खरीदी बिक्री के दस्तावेज का प्रमाणीकरण शासकीय कार्यालय द्वारा किये जाने रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा किये जाने के बावजूद अब इस खरीदी बिक्री पर सरकार की कार्यवाही से ऐसे जमीन मालिक पेशोपेश में है जिनके पास बड़े बड़े भूखंड है जिसे वो भूपेश सरकार के नीतियों के अनुरूप छोटे छोटे भूखंड में बेच चुके है और साथ ही वो खरीददार भी असम्जाश में है जिन्होंने अपनी जिन्दगी भर की कमाई ऐसे छोटे छोटे भूखंड खरीदने में लगा दिए है ताकि उनके सपनो का आशियाना तैयार हो . जिला प्रशासन द्वारा अवैध प्लाटिंग के नाम पर कार्यवाही तो कर दी किन्तु अब तक प्रशासन क्यों मौन रही क्योकि हर खरीदी बिक्री के दस्तावेज उन अधिकारियों के टेबल से ही गुजरते थे जो आज कार्यवाही के लिए मैदान में है क्या आम जनता के मेहनत की कमाई और उनकी जमीन के छोटे से टुकड़े पर भी जिला प्रशासन अवैध प्लाटिंग के नाम पर बुलडोजर चलाने के फिराक में है जिस जमीन के क्रय विक्रय के समस्त दस्तावेजो का रजिस्ट्री शुल्क जिला प्रशासन ने लिया , जिनका नामांतरण जिला पंजीयन कार्यालय में हुआ , जिनका प्रमाणीकरण तहसील कार्यालय में हुआ तब क्यों नहीं प्रशासन की नींद खुली आज जब खरीदी बिक्री हो गयी वैध और अवैध का मामला सामने आ गया आखिर प्रशासन रजिस्ट्री करने के पहले ही यह तय क्यों नहीं करती कि वैध प्लाटिंग और अवैध प्लाटिंग के मापदंड क्या है अगर प्रशासन के नजर में छोटे छोटे भूखंडो का क्रय विक्रय अवैध है तो फिर भूपेश सरकार के फैसले को जिला प्रशासन को शून्य कर देना चाहिए या फिर ऐसे क्षेत्र को चिन्हांकित कर देना चाहिए कि फला स्थान की खरीदी बिक्री अवैध प्लाटिंग क्षेत्र मानी जायेगी और फला स्थान की प्लाटिंग वैध ताकि खरीदने वालो की पूंजी सुरक्षित रह सके साथ ही यह भी सुनिश्चित हो कि भूपेश सरकार के फैसले के अनुरूप किस क्षेत्र में छोटे छोटे भूखंडो की खरीदी बिक्री की जा सकती है और किस क्षेत्र में नहीं ताकि आम जनता के साथ किसी प्रकार की कोई जालसाजी ना हो सके .
क्या फैसला था भूपेश सरकार का सत्ता में आने के बाद
5 डिसमिल से कम रकबे की जमीन खरीदने वालों को भूपेश सरकार का तोहफा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर छोटे भू-खण्ड धारकों को जमीन की खरीदी-बिक्री के पंजीयन में बड़ी राहत मिली है. बघेल ने छोटे भू-खण्डधारकों को रजिस्ट्री में आ रही दिक्कतों को देखते हुए राजस्व विभाग को इसका तत्काल निराकरण करने के निर्देश दिए गए थे. CM के निर्देश पर राजस्व विभाग द्वारा पूर्व में जारी आदेशों को स्थगित करते हुए २०१८ नया आदेश जारी किया गया है, जिसके अंतर्गत पांच डिसमिल से कम रकबे की खरीदी-बिक्री पर रोक हटा दी गई है. अब पांच डिसमिल से कम रकबे की भूमि का अब नामांतरण और पंजीयन आसान होगा. इससे हजारों निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.
बता दें घोषणा पत्र में कांग्रेस ने इस समस्या का त्वरित निराकरण का वादा किया गया था राजस्व विभाग द्वारा वाणिज्यिक-कर (पंजीयन) विभाग को पत्र जारी कर दिया गया है. इसके अनुसार रजिस्ट्री के लिए खसरा नंबर के नक्शा में अंकन की अनिवार्यता को स्थगित कर दी गई है. सचिव राजस्व विभाग द्वारा सचिव वाणिज्यिक-कर (पंजीयन) को जारी पत्र में कहा है कि पूर्व में छोटे भू-खण्डों का पंजीयन होने और उसका नक्शे में अंकन किए बिना खसरे में भूमि-स्वामी का नाम दर्ज किया गया है.
ऐसे खसरा नम्बरों का बिना विस्तृत सर्वेक्षण और गहन जांच के बिना नक्शे में अंकन संभव नहीं होने के कारण यदि कोई भूमि-स्वामी किसी खसरा नम्बर के धारित सम्पूर्ण भूमि को अंतरित करना चाहता है तो पंजीयन के लिए उस खसरा नम्बर के नक्शे में अंकन की अनिवार्यता को स्थगित की जाए. इसी तरह खसरा और नक्शा में आबादी भूमि के रूप में दर्ज भूमि में निवासरत व्यक्तियों द्वारा धारित भू-खण्डों का भूमि-स्वामीवार कोई भी भू-अभिलेख तथा नक्शा शासन द्वारा अभी तैयार नहीं कराया गया है.
इसलिए भूमि के रूप में अंकित खसरा नम्बर के अंदर यदि किसी व्यक्ति द्वारा विधिपूर्वक कब्जे की भूमि के विक्रय हेतु पंजीयन के लिए भू-अभिलेख एवं नक्शे की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए. राजस्व विभाग द्वारा यह भी कहा गया है कि यदि ले-आऊट के आधार पर किसी भूमि-स्वामी द्वारा किसी भू-खण्ड का विक्रय किया जाता है तो ले-आऊट को पंजीयन का आवश्यक अंग मानते हुए बिना नक्शा बटांकन के पंजीयन की कार्रवाई की जाए. कुछ प्रकरणों में रायपुर विकास प्राधिकरण तथा छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल द्वारा अनुमोदित ले-आऊट भुंईया Software में अपलोड नहीं किया गया है. ऐसे प्रकरणों में संबंधित संस्थान द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण के आधार पर भू-खण्डों के पंजीयन की कार्रवाई की जाएगी.
छोटे भूखंडो की खरीदी बिक्री से बढ़ा राजस्व ...
भाजपा सरकार के शासन में छोटे भूखंडो की कह्रीदी बिक्री पर रोक लगाने के कारण छोटे व माध्यम वर्ग के लोगो के लिए अपने बजट के अनुसार छोटा भूखंड लेना मुश्किल हो गया था किन्तु भूपेश सरकार के फैसले के बाद ऐसे लोगो के लिए अपनी जमीन अपना घर का सपना पूरा होते दिखा . प्रदेश के हर क्षेत्र में सरकार के फैसले के बाद छोटे भूखंडो की रजिस्ट्री तीव्र गति से बड़ी इससे आम जनता के सपने भी साकार हुए वही रजिस्ट्री शुल्क से शासन को राजस्व की भी प्राप्ति हुई .