दुर्ग। शौर्यपथ। श्रीमती अलका बाघमार की शहरी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद सामाजिक लोगों के साथ प्रथम बैठक बजट पर चर्चा के दौरान सभी की चिंता बाजार की बदहाल स्थिति पर रही. काफी सालों से बाजार विभाग में कभी बाजार अधिकारी तो कभी सहायक बाजार अधिकारी के रूप में है प्रमुख भूमिका निभाते हुए थान सिंह यादव बाजार विभाग में हुए भ्रष्टाचार के कई मामलों में घिरे हुए हैं कांग्रेस शासन काल के समय पोस्टर मामले में चार घंटे के अंदर ही मारुति एडवरटाइजर्स को नोटिस देना और निष्कासन करने का खुला खेल सभी ने देखा जिसमें मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया और इस मामले में नगर पालिका निगम का लाखों रुपए का फीस लग चुका है वही पार्किंग घोटाले में 80000 के लगभग रुपए की विभागीय रिकवरी का नोटिस थान सिंह को मिला जिस पर अभी तक मामला अटका हुआ है और कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी. राजेंद्र प्रसाद चौक में दिए अस्थाई दुकान में हुए विवाद और संचालक के ऊपर FIR की अनुशंसा के बाद भी उक्त संचालक को अन्य नाम से दुकान देने का मामला भी सभी के सामने हैं जिस पर भी कार्यवाही अटकी हुई है तब भी बाजार विभाग की जिम्मेदारी पूर्व बाजार अधिकारी थान सिंह यादव के पास थी. वही शिवनाथ नदी क्षेत्र में महाशिवरात्रि पर्व पर एक दिन के पार्किंग घोटाले में भी ठेकेदारों द्वारा ज्यादा रकम वसूली मामले पर भी किसी प्रकार की कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तब भी प्रभार तात्कालिक बाजार अधिकारी के रूप में थान सिंह के पास था फ्लेक्स मामले में भी घोटाले की सुगबुगाहट बाजार विभाग को घेरे हुए हैं वहीं कांग्रेस शासन काल के समय यह चर्चा बड़े जोरो पर थी कि तात्कालिक बाजार अधिकारी थान सिंह प्रतिदिन बाजार विभाग के प्रभारी के घर जाकर हर बात की जानकारी देते रहे तब नामांतरण प्रक्रिया में भी काफी खेल हुआ जनसंपर्क विभाग में रहते हुए भी निविदा, नामांतरण वितरण मामले में भी कई बार तात्कालिक जनसंपर्क अधिकारी के कारण विभागीय कार्य में विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई. सालों से बाजार विभाग में रहते हुए इंदिरा मार्केट की बदहाल स्थिति में किसी भी प्रकार की सुधार की स्थिति नजर नहीं आई ऐसे में महापौर अलका बाघमार की शहरी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद सबसे पहले बाजार विभाग प्रभारी का स्थानांतरण हुआ वहीं अब एक बार फिर निगम में चर्चा का विषय है कि पूर्व बाजार अधिकारी थान सिंह यादव एक बार फिर बाजार विभाग में आने के लिए राजनीतिक जोर लगा रहे हैं ऐसी भी चर्चा है कि दुर्ग के किसी बड़े जनप्रतिनिधि से इस संबंध में लगातार संपर्क बनाए हुए हैं और इसके लिए मोटी रकम भी खर्च करने आतुर है सच्चाई क्या है यह जाँच का विषय है किन्तु बाजार विभाग मे विवादों के बड़े पुलिंदे का नाता पूर्व बाजार अधिकारी के साथ जुडा हुआ है.ऐसे में देखना है कि आने वाले समय में बाजार विभाग में विवादों को जन्म देने वाले पूर्व बाजार अधिकारी थान सिंह यादव को क्या शहरी सरकार एक बार फिर बाजार विभाग की जिम्मेदारी देगी या फिर सुशासन की दिशा में कार्य करते हुए महापौर बाघमार विवादित अधिकारियों को उनके मनचाहे विभाग से दूर रखेगी