दुर्ग / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने फर्जी जाती प्रमाण्पत्र के सहारे आगे बढऩे वालो पर सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए है समय सीमा भी 15 दिन तय की गयी प्रशासनिक अधिकारियों पर सरकार क्या कार्यवाही कर रही है ये अभी तक ज्ञात नहीं किन्तु दुर्ग निगम में भी एक ऐसा मामला आया है जहा फर्जी जाती प्रमाण पत्र के सहारे पार्षद बन कर लाभ लिया जा रहा है . मामला वार्ड 29 का है जहा से पार्षद बबिता गुड्डू यादव है जो कांग्रेस की उम्मीदवार रामकली यादव को हरा कर निगम में पहुंची है . बबिता गुड्डू यादव पर फर्जी जाती प्रमाण पत्र के सहारे चुनाव लडऩे का मामला प्रकाश में आते ही कांग्रेस की छाया पार्षद रामकली यादव ने इसकी शिकायत भी कर दी किन्तु महीनो गुजर गए शिकायत पर कार्यवाही अभी भी तहसील न्यायलय में लंबित है जबकि बबिता गुड्डू यादव जो शादी के पहले ब्राह्मण जाति से थी शादी के बाद यादव हो गयी किन्तु न्यायायलय के नियमानुसार उच्च जाती से निम्न जाती में शामिल होकर लाभ का पद ग्रहण नहीं किया जा सकता किन्तु बबिता गुड्डू यादव द्वारा लाभ के पद ( पार्षद पद ) के लिए चुनाव लड़ा गया और जीत भी हांसिल हुई जिसकी शिकायत भी हुई किन्तु शिकायत के महीनो बाद भी स्थिति जस की तस .
जब एक पार्षद के मामले का निराकरण करने में प्रशासन को इतनी देरी हो रही तो सोंचिये जो लाभ के बड़े बड़े पद पर विराजमान है उन पर जाँच व कार्यवाही होने में कितने वर्ष लग सकते है . वैसे तो प्रशासन इस बार सख्त दिखाई पड़ रही है अब देखना यह है कि दुर्ग निगम की पार्षद बबिता गुड्डू यादव पर जाँच और फैसला कब तक आता है . चर्चा तो यह भी है कि दुर्ग निगम के कुछ पार्षद और भी है जो फर्जी जाती प्रमाण पत्र के सहारे चुनावी मैदान में उतर कर जीत हानिल किये है शौर्यपथ समाचार पत्र ऐसे अन्य मामलो का जल्द दस्तावेजो के साथ खुलासा करेगा ..
पूरा मामला है दुर्ग निगम के चुनाव का . दुर्ग निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 29 कांग्रेस की प्रत्याशी रामकली यादव का मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी बबिता गुड्डू यादव से रहा था . बबिता गुड्डू यादव की इस चुनाव में जीत हुई और रामकली यादव की हार हुई . रामकली यादव की हार शहर में चर्चा का केंद्र बनी रही . रामकली यादव वर्षो से कांग्रेस की सक्रीय कार्यकत्र्ता के साथ संगठन के कई पदों की जिम्मेदारी भी सकुशल निभाते हुए राजनीती में सक्रीय रही है . पेशे से अधिवक्ता रामकली यादव एक मिलनसार कांग्रेस नेत्री के रूप में जानी ज़ाती है . निगम चुनाव में हार के बाद भी जनता के फैसलों को स्वीकार करते हुए वार्ड व शहर में सक्रीय रही व कोरोना आपदा में जरूरत मंदों की सेव के लिए आगे रही . वही निर्दलीय पार्षद के रूप में बबिता की जीत भी चर्चा का विषय रहा किन्तु अचानक राजनीती घटनाक्रम में एक ऐसा मोड़ आया जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बबिता गुड्डू यादव द्वारा चुनाव में भरी गयी जानकारी गलत है और आरक्षण का गलत फायदा उठाया गया है .
बता दे कि वार्ड नम्बर 29 पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित था किन्तु बबिता गुड्डू यादव शादी के पहले ब्राहमण जाति होने का आरोप कांग्रेस नेत्री और वार्ड की छाया पार्षद रामकली यादव द्वारा लगाया जा रहा है . श्रीमती यादव द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि बबिता गुड्डू यादव द्वारा मिथ्या जानकारी के तहत चुनावी समर में जीत हांसिल की है जो भारतीय संविधान की खुली अवहेलना है . श्रामती रामकली द्वारा बबिता गुड्डू यादव के निर्वाचन को रद्द करने का आवेदन कलेक्टर कार्यालय कू दी गयी व पार्षदी रद्द करने की मांग की गयी है .
क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का राष्ट्रिय समाचार पत्र जनसत्ता में उल्लेख किया गया है जिसमे बताया गया है कि शादी के बाद महिला द्वारा जाती परिवर्तन कर आरक्षण श्रेणी में नौकरी प्राप्त की गयी जिसे असवैधानिक करार दिया गया . " सुप्रीम कोर्ट बोला - जाति जन्म से तय होती है शादी के बाद बदल नहीं जाती " ( 20 जनवरी 2018 )जिसका लिंक ( https://www.jansatta.com/national/supreme-court-said-caste-decided-by-birth-and-will-be-not-changed-after-marriage/553618/ ) अगर शादी से पहले बबिता गुड्डू यादव का नाम बबिता शर्मा पिता समारूराम शर्मा है तो यह तो स्पष्ट है कि बबिता ब्राह्मण जाती से सम्बन्ध रखती है वही अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को माने तो बबिता यादव की जाती शादी के बाद भी नहीं बदल सकती . अब देखने वाली बात यह है कि रामकली यादव के शिकायत पर प्रशासन क्या कार्यवाही करता है ?