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निगम प्रशासन की महिमा राजस्व निरीक्षक दुर्गेश गुप्ता बना स्वास्थ अधिकारी सेनेटरी इस्पेक्टर भुपाल सिंह हुआ मातहत .. Featured

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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग निगम में भले ही प्रशासनिक सेवा से आये अधिकारी ने पद संभाल लिया किन्तु आज भी दुर्ग निगम में अधिकारियों को जिम्मेदारी पद और वरीयता के हिसाब से नहीं अपितु निकटता के पैमाना भी दी रही है कुछ ऐसा ही नजारा है दुर्ग निगम प्रशासन में . मामला है दुर्ग निगम के स्वास्थ्य विभाग से जुदा . दुर्ग निगम में जब से स्वास्थ्य विभाग दुर्गेश गुप्ता को दिया गया तब से ही उनके कार्य पद्दति पर लगातार सवाल उठ रहे है . आम जनता से दुकानदारों से दुर्व्यवहार की कई बाते सामने भी आयी है मनमर्जी से जुर्माना वसूलने की आम जनता को नाहक परेशां करने की बदले की भावना से कार्यवाही की बात कई बार उठ चुकी है लॉक डाउन के समय लाखो के व्यापार करने वाले प्रतिबंधित जर्दा बेचने वालो पर सिर्फ चंद रूपये की कार्यवाही वही एक डब्बा कचरा फेकने वालो पर हजारो की कार्यवाही के साथ प्लेसमेंट में भर्ती के नाम पर अवैध उगाही के चर्चे भी चलते रहते है ऐसे कई लोग है जिन्होंने ये आरोप लगाए है किन्तु मामले की तह तक जाने की दिलचस्पी ना ही स्वास्थ्य प्रभारी हमीद खोखर ने उठाई ना ही प्रशानिक प्रमुख आयुक्त ने . सार्वजनिक शौचालय का ठेका निरस्त करना व मनचाहे समिति को देना ये बात भी लगातार होती रहती है . कहा तो यहाँ तक जा रहा है कि प्रत्येक शौचालय के मासिक भुगतान पर भी कमीशन का खेल चलता है वही सफाई कर्मियों के वार्ड परिवर्तन पर भी पैसे का खेल लगातार सुनने में आता है .
एक राजस्व निरीक्षक पद में रहते हुए एक समय तीन तीन विभाग का प्रभार भी प्रशासनिक शक्तियों के अधर पर दुर्गेश गुप्ता को मिल गया था किन्तु बाकलीवाल सरकार के विभागीय मंत्रियो के लगातार विरोध के बाद एक प्रभार से दुर्गेश गुप्ता को हटा दिया गया वही वर्तमान में लाइसेंस विभाग और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी निभा रहे दुर्गेश गुप्ता के कार्यो की बात करे तो आज भी शहर के ऐसे कई स्थान है जहाँ खुले आम कचरा फेका जाता है जिस पर कार्यवाही नहीं होती वही आज भी छोटे छोटे दुकानदारों पर कार्यवाही की गाज गिरती नजर आ रही है . आज भी शहर में ऐसे कई दुकाने है जो बिना लाइसेंस के संचालित है जिस पर लाइसेंस विभाग भी कार्यवाही कर सकता है किन्तु विभाग मौन धारण किये हुए है , शहर के बीच पोल्ट्री फ़ार्म स्थापित है जिसकी शिकायत वार्ड पार्षद द्वारा भी की जा चुकी है किन्तु स्वास्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता इस मामले में मौन है जबकि अनुज्ञप्ति जारी करने वाला लाइसेंस विभाग भी उन्ही के अंतर्गत है . ऐसा नहीं है कि निगम में स्वास्थ्य विभाग में कोई सेनेटरी अधिकारी नहीं है . इसी निगम में वर्षो से स्वास्थ्य विभाग में कार्य कर रहे चीफ सेनेटरी इस्पेक्टर के पद पर जसबीर सिंह भुपाल कार्यरत है किन्तु पद में वरिष्ठ होने के बावजूद भी दुर्गेश गुप्ता के अंतर्गत कार्य कर रहे है . जिस विभाग में कनिष्ठ और वरिष्ठ को महत्व नहीं दिया जाए उस विभाग के कार्य प्रणाली पर स्वतः ही प्रश्चिन्ह लग जाता है किन्तु शहर में सडको पर झाड़ू लगाना ही सफाई व्यवस्था के कर्तव्यों से इतिश्री माना जाए तो कोई दो राय नहीं कि ये कार्य हो रहा है किन्तु सिर्फ झाडू लगाने से सफाई व्यवस्था दुरुस्त होती तो इतने बड़े विभाग का क्या कार्य . आज भी शहर के ऐसे कई सार्वजानिक शौचालय है जो गंदगी से लिप्त है , ऐसे कई स्थान है जहाँ गंदगी का ढेर है , ऐसे कई दुकाने है जो बिना लाइसेंस के संचालित है , ऐसी कई संस्थाने है जो बसाहट में है और किसी भी बड़ी बिमारी का कारण बन सकते है किन्तु राजस्व निरीक्षक से स्वास्थ्य अधिकारी बने दुर्गेश गुप्ता मौन है ,वातानुकूलित कमरे से आदेश निकालने वाले और जमीनी हकीकत से अनजान आयुक्त मौन है , शहर को स्वक्ष रखने की बात करने वाले स्वास्थ्य प्रभारी मौन है , बेहतरीन निगम का दर्ज़ा दिलाने का प्रण करने वाले महापौर मौन है . दुर्ग के हर कार्य का श्रेय लेने वाले विधायक वोरा मौन है ये वही विधायक वोरा है जिन्होंने आज से लगभग 2 साल पहले सफाई व्यवस्था को लेकर दुर्ग निगम कार्यालय के सामने धरना भी दिया था फिर आज दुर्ग की बदहाल स्थिति पर मौन क्यों है विधायक जी क्या ये धरना प्रदर्शन सिर्फ सत्ता की चाबी के लिए था . क्या दुर्ग निगम में पद और वरीयता को कभी महत्तव दिया जाएगा या सिर्फ संबंधो के आधार पर जिम्मेदारी दी जाएगी वैसे भी वर्तमान समय में दुर्ग निगम में आधे से ज्यादा जनप्रतिनिधि अपरोक्ष रूप से ठेकेदारी में व्यस्त है किसी ने रिश्तेदारों के नाम पर कार्य ले रखा है तो किसी ने दोस्तों के नाम पर . ऐसे होगा आदर्श दुर्ग निगम का निर्माण ...

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शौर्यपथ