दुर्ग । शौर्यपथ । घोटाला और दुर्ग निगम एक सिक्के के दो पहलू है । शायद ही कोई विभाग होगा निगम का जिसमे कभी कोई घोटाला नही हुआ । अगर पिछले कुछ साल की ही बात करे तो डॉग हाउस घोटाला , फ्लेक्स घोटाला , नाला सफाई में मनमाने तरीके से व्यय भाजपा के शहरी सरकार के समय का घोटाला था । वैसे ही एक घोटाले का वर्तमान में उजागर हुआ । पार्किंग घोटाला के बात की शुरुवात विपक्ष नेता अजय वर्मा ने की । प्रेस विज्ञप्ति जारी कर प्रतिपक्ष के नेता ने वर्तमान बाज़ार प्रभारी पर पार्किंग घोटाले का आरोप लगाया आरोप लगते ही बाजार प्रभारी ने सारे घोटाले की जड़ निगम आयुक्त व बाज़ार प्रभारी दुर्गेश गुप्ता पर लगा कर अपने आपको बचाने की कोशिश की किंतु यह भूल गाए कि साल भर से जिस विभाग के प्रभारी है उस विभाग में क्या हो रहा है इसकी भी जानकारी प्रभारी को नही । अपने ही विभाग की अधूरी जानकारी होने का फायदा विपक्ष बखूबी उठा रहा है । भाजपा शासन के समय लाखो करोड़ो के घोटाले पर मौन रहने वाला मोदी आर्मी संगठन कुछ लाख के घोटाले पर विरोध कर राजनीतिक रोटी सेंक रहा । जबकि पार्किंग घोटाले का उदय ही निगम प्रशासन की जांच रिपोर्ट आने के बाद हुआ । अब जबकि जांच प्रगति पर है और किसी मुकाम तक नही पहुंची ऐसे में निगम प्रशासन की कार्य पद्दति पर आरोप लगा कर घोटाले पर मिठाई खिला कर खुशिया मनाने की प्रथा क्या घोटाले को समर्थन देना है । घोटाले पर जन आक्रोश होना चाहिए ना कि बैंड बाजा , आतिशबाज़ी के साथ खुशिया मनाना चाहिए विरोध के लाख तरीके है किंतु जनता के पैसों की बर्बादी करने वालो पर विरोध सख्त और तटस्थ होना चाहिए । पार्किंग घोटाले पर निगम प्रशासन सहित शहरी सरकार के मुखिया को निर्णायक कदम उठाना चाहिए । जिस प्रकार भाजपा सरकार के समय हुए घोटाले पर जांच के नाम पर जो लेट लतीफी होती रही जिसका परिणाम रहा कि भाजपा की 20 साल की सत्ता हांथ से निकल गयी अगर वर्तमान सरकार के मुखिया पार्किंग घोटाले पर कोई ठोस कदम ना उठा कर शामिल लोगों को चाहे वो बाजार प्रभारी हो , बाजार अधिकारी , ठेकेदार या प्रशानिक मुखिया कीड़ी को भी बचने या आरोप प्रत्यारोप कर मामले की दिशा को भटकाएंगे तो शहर की जनता को आने वाले चुनाव में इसका जवाब भी देना होगा ।