दुर्ग / शौर्यपथ / किसी भी कार्यस्थल पर वहां कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए सुरक्षा के भाव का होना अति आवश्यक है। वर्तमान में संविधान के अधिनियम और अंगीकरण के साथ लाखों लोगों विशेषकर महिलाओं के लिए नये युग का उदय हुआ है। जिसके तहत समाज में उनकी भूमिका के संबंध में पारंपरिक धारणा को पीछे छोड़ते हुए उन्हें पुरूषों के समान अधिकार एवं अवसरों की समानता प्रदान की जा रही है। इसी कड़ी में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम निर्मित किया गया है। इसका उद्देश्य प्रत्येक महिलाओं के लिए उसकी आयु और नियोजन प्रास्थिति पर ध्यान दिये बिना सभी प्रकार के लैंगिक उत्पीड़न से मुक्त, सुरक्षित और समर्थकारी वातावरण उपलब्ध कराना है। छत्तीसगढ़ राज्य में इसका क्रियान्वयन सुचारू रूप से हो इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग एवं श्रम आयुक्त छत्तीसगढ़ द्वारा प्रत्येक प्राइवेट सेक्टर में इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया गया है।
आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने के लिए 10 या 10 से अधिक लोगों का संस्था में होना अनिवार्य है। समिति में न्यूनतम 4 सदस्य होंगे- एक पीठासीन अधिकारी जो कि सीनियर लेवल की महिला कर्मचारी होगी, एक सदस्य गैर सरकारी संगठन से होगा अन्य दो कर्मचारी ऐसे सदस्य होंगे जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध हों। जिन संस्थानों में कार्य करने वालों की संख्या 10 से कम है वे जिला स्तर पर गठित स्थानीय परिवाद समिति में अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि कोई नियोजक नियमानुसार आंतरिक समिति का गठन नहीं करता है और अधिनियमों के किन्हीं नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके लिए दंड का प्रावधान भी किया गया है।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने जिले के सभी नियोजकों को शीघ्र से शीघ्र लिखित आदेश के द्वारा निर्धारित प्रारूप में आंतरिक परिवाद समिति के गठन करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा संस्थान ऐसे स्थल पर आदेश लगाए जहा वो सभी के लिए दृश्य हो। जिला इस अधिनियम के कार्यान्वयन पर निगरानी तो रखेगा ही और कार्यस्थल पर हुए लैंगिक उत्पीड़न के सभी मामलों के संबंध में दायर किये गए मामलों की संख्या और निराकरण का ब्यौरा भी रखेगा। इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। जिसमें अधिनियम के उपबंधों का प्रचार-प्रसार के लिए उपाय किये जाएंगे।