August 02, 2025
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दुर्ग

दुर्ग (4774)

नागरिक ने शिविर मे पहुंचकर कराया समस्याओ का समाधान:
दुर्ग / शौर्यपथ /नगर निगम द्वारा सीमा क्षेत्र अंतर्गत आज पटरीपार वार्ड 57 एवं 58 हेतु शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन एवं कामकाज में पारदर्शिता हेतु समाधान शिविर का आयोजन 31 जुलाई को आई एच् एस डी पी आवास के कक्ष में आयोजित किया गया!पटरीपार वार्ड 57 एवं 58 मे समस्या समाधान शिविर मे हुआ त्वरित निराकरण.
शिविर में नगर निगम से सम्बंधित शिकायतों एवं योजनाओं के लिए शिविर का आयोजन किया गया था.शिविर में स्वास्थ्य, राशन, निराश्रित पेंशन, बाजार, आवास, जल, भवन, विद्युत्, आयुष्मान,स्वनिधि आदि विभाग द्वारा लाभान्वित करने आवेदन प्राप्त हुए. मोबाईल मेडिकल यूनिट स्वास्थ्य 80, आयुष्मान एवं स्वनिधि 08 हितग्राही लाभान्वित हुए. इसके अतिरिक्त राशन कार्ड, विद्युत्, आवास, स्वास्थ्य, जल, पेंशन आदि के आवेदन प्राप्त हुए!शिविर के अवसर पर उपस्थित नोडल अधिकारी व उपायुक्त मोहेंद्र साहू, थान सिंग यादव, नारायण यादव के साथ शिविर का निरीक्षण कर नागरिकों की समस्यायो को सुना और निराकरण हेतु आश्वासन दिया.इस अवसर पर पार्षद रेशमा सोनकर, पार्षद सरस निर्मलकर सहित निगम अधिकारी /कर्मचारी गण मौजूद रहे /

दुर्ग : जनता की अनदेखी और अंधेरे में डूबा विकास, जिम्मेदार कौन?
दुर्ग / शौर्यपथ विशेष /
दुर्ग नगर निगम और विधानसभा क्षेत्र की जनता इन दिनों गहरी निराशा और असंतोष का अनुभव कर रही है। महापौर श्रीमती अलका बाघमार और क्षेत्रीय विधायक गजेंद्र यादव – दोनों ही निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से शहरवासियों ने जो अपेक्षाएँ की थीं, वे अब सवालों के कटघरे में हैं। विकास की जगह अनदेखी, और विश्वास की जगह अब पछतावा सामने आ रहा है।
आवारा मवेशियों का आतंक और अतिक्रमण की भरमार
  शहर की सड़कों पर मवेशियों की लगातार बढ़ती मौजूदगी यातायात बाधित कर रही है, साथ ही दुर्घटनाओं की आशंका को बढ़ा रही है। विडंबना यह है कि जहाँ एक ओर शहर की मुख्य सड़कों पर यह संकट है, वहीं दूसरी ओर महापौर कभी नालियों की सफाई निरीक्षण में, तो कभी छोटे कार्यक्रमों में व्यस्त रहती हैं। जनता सवाल पूछ रही है कि प्राथमिक समस्याओं की अनदेखी आखिर क्यों?
  इसी प्रकार, कपड़ा लाइन और चप्पल लाइन में अतिक्रमण हटाने की निगम की कार्रवाई महज 'कागजी कार्रवाईÓ बनकर रह गई है। न व्यापारियों को कोई ठोस नुकसान पहुँचा, न आम जनता को कोई राहत मिली। अतिक्रमण का वही पुराना चेहरा अब फिर उभर आया है।
स्ट्रीट लाइट की रोशनी बुझी, उम्मीदें भी फीकी
 पटेल चौक से ग्रीन चौक तक की स्ट्रीट लाइट्स का हाल बेहाल है कुआं चौक से पुराने बस स्टैंड तक का क्षेत्र अंधेरे में डूबा हुआ है। यहाँ तक कि इंदिरा मार्केट मुख्य मार्ग, जहाँ चंद महीने पहले विधायक गजेंद्र यादव ने स्ट्रीट लाइट का उद्घाटन किया था, वहाँ की लाइटें दो से ढाई महीने से बंद हैं। उद्घाटन के समय बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन वे वादे रोशनी की तरह ही बुझ गए हैं।
  इसी तरह गौरवपथ, जो कभी शहर की शोभा कहलाता था, अब बरसात में आवारा मवेशियों और अंधेरे की मिसाल बन गया है। पिछली सरकार ने इसके सौंदर्यीकरण पर लाखों खर्च किए थे, लेकिन वर्तमान समय में वहाँ न रख-रखाव है, न रोशनी।


गंदगी, कचरे के ढेर और गुटबाजी की सियासत
  सड़क किनारे लगे कचरे के ढेर, बदबूदार नालियाँ और खुले में घूमते पशु यह बताने के लिए काफी हैं कि नगर निगम की साफ-सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। जनता का आक्रोश तब और बढ़ जाता है जब उन्हें यह एहसास होता है कि यह सब उस शहर में हो रहा है जिसने विधानसभा, नगर निगम और लोकसभा तीनों स्तरों पर अपने मतों से प्रतिनिधियों को चुना है।
  जनता का कहना है कि जब नगर निगम महापौर और विधायक दोनों एक ही दल के हों, तब इस तरह की बदहाल स्थिति नहीं होनी चाहिए। लेकिन वर्तमान में गुटबाजी और आपसी समन्वय की कमी विकास कार्यों पर भारी पड़ रही है। जनप्रतिनिधियों के बीच दिख रही यह 'राजनीतिक दूरीÓ कहीं न कहीं शहर की अधूरी सड़कों, जले हुए बल्बों, और कूड़े के ढेर में झलक रही है।
जनता पूछ रही है सवाल, जवाब कौन देगा?
अब जनता सवाल कर रही है –क्या केवल उद्घाटन कर देना ही विकास है?,क्या वार्डों में घूमकर नालियाँ देखना ही समाधान है?,क्या शहर को अंधेरे, अतिक्रमण और कचरे के हवाले छोड़ देना ही राजनीति है?
   शहर के दोनों प्रमुख जनप्रतिनिधियों – विधायक गजेंद्र यादव और महापौर अलका बाघमार – की जिम्मेदारी बनती है कि वे आपसी गुटबाजी से ऊपर उठकर जनता के हित में समन्वय से काम करें।
जनता ने उन्हें 5 वर्षों के लिए चुना है, अपनी सेवा के लिए – न कि बहानों, दिखावे और उदासीनता के लिए।
 यदि यही हाल रहा तो दुर्ग की जनता का भरोसा न केवल टूटा हुआ माना जाएगा, बल्कि यह भी साबित होगा कि विकास कार्यों को लेकर की जा रही लापरवाही एक सुनियोजित राजनीतिक चुप्पी का हिस्सा है।

   कबीरधाम / शौर्यपथ / भिलाई नगर विधायक द्वारा सोशल मिडिया में वीडियो जारी करते हुए प्रदेश के गृह मंत्री के ऊपर बड़ा आरोप लगते हुए कहा गया कि सामाजिक रूप से मुझे जानकारी मिली है की यादव समाज के एक युवा माखन यादव जो कवर्धा जिले के बोडला थाना अंतर्गत अचानकपुर तेंदूटोला निवासी युवक है । वो आज पुलिस के प्रताणना से तंग आकर फासी लगाकर आत्महत्या कर ली है ।
 ये हृदय विदारक दिल झकझोर देने वाली घटना है इस घटने के बाद मृतक परिवार यादव समाज और ग्रामीण जनों द्वारा पुलिस प्रशासन के इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ मृत शव को लेकर न्याय की मांग पर नेशनल हाइवे जाम कर धरने पर बैठ गए है । चुकी पीड़ित परिवार,यादव समाज सहित ग्रामीणजन प्रताड़ित कर आत्महत्या पर मजबूर करने वाले पुलिस अधिकारी कर्मचारीयो के खिलाफ तुरंत कार्यवाही और शासन से मृतक के परिवार को न्यायिक मुवावजा की मांग कर रहे है जो की न्याय संगत है ।

दुर्ग / शौर्यपथ
   बोधगया के महाबोधि महाविहार से जुड़े धार्मिक स्वामित्व विवाद पर जहां सुप्रीम कोर्ट से लेकर पटना हाई कोर्ट तक कानूनी प्रक्रिया चल रही है, वहीं देश के विभिन्न हिस्सों में बौद्ध समाज इस विषय को लेकर मुखर हो रहा है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बौद्ध अनुयायी इस मांग को लेकर पिछले एक माह से शांतिपूर्ण आंदोलन चला रहे हैं कि महाबोधि महाविहार का संचालन पूरी तरह बौद्ध समुदाय को सौंपा जाए।
बौद्ध धर्म के अनुसार बोधगया वह स्थल है जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह स्थान न केवल भारत, बल्कि विश्व के करोड़ों बौद्ध अनुयायियों की आस्था का केंद्र है। वर्तमान में इसका संचालन बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति अधिनियम 1949 (बी.टी.एम.सी. एक्ट) के अंतर्गत एक संयुक्त समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें बौद्धों के साथ हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
मूल मुद्दा क्या है?
बौद्ध संगठनों का तर्क है कि यह समिति संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में निहित धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है। इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें बी.टी.एम.सी. एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने तथा महाविहार का नियंत्रण पूर्णतः बौद्धों को सौंपे जाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को अनुच्छेद 32 के तहत स्वीकार करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को पटना हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया है।
 दुर्ग में चल रहा शांतिपूर्ण आंदोलन
इस न्यायिक प्रक्रिया के बीच, छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में 'ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम' की जिला इकाई द्वारा आंदोलन चलाया जा रहा है, जिसमें बौद्ध अनुयायी बोधगया मंदिर को पंडों व बाहरी नियंत्रण से मुक्त कर, बौद्धों को सौंपने की मांग कर रहे हैं। आंदोलन से जुड़े ज्ञापनों में यह भी कहा गया है कि यदि यह धार्मिक अधिकार बहाल नहीं किया गया, तो इससे देशभर में बौद्धों की आस्था को ठेस पहुंचेगी और असंतोष की स्थिति पैदा हो सकती है।
इस आंदोलन का नेतृत्व फोरम की जिला अध्यक्षा सविता बौद्ध एवं जिला प्रभारी जयंती बौद्ध द्वारा किया जा रहा है। ज्ञापन की प्रतिलिपियाँ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय व बिहार सरकार को प्रेषित की गई हैं।
 "हमारा आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण, अहिंसक और बौद्ध परंपरा की मर्यादाओं के अनुरूप है। हमारा उद्देश्य किसी समुदाय से संघर्ष नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकारों की पुनर्स्थापना है।"
— सविता बौद्ध, अध्यक्षा, ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम (दुर्ग)


 अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
महाबोधि महाविहार न केवल भारत का, बल्कि यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल है। इसका प्रबंधन और संचालन एक अत्यंत संवेदनशील विषय है, जिस पर भारत सरकार, बिहार प्रशासन और न्यायपालिका को सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
 निष्कर्ष
दुर्ग में चल रहा यह आंदोलन न केवल स्थानीय जनजागरण का प्रतीक है, बल्कि यह देशभर में बौद्ध समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की पुनर्स्थापना की एक अहिंसक पहल भी बन गया है। अब देशभर की निगाहें इस विषय पर पटना हाई कोर्ट और भारत सरकार के आगामी निर्णयों पर टिकी हैं।

डेयरियों की गंदगी पर 5000 का जुर्माना, नोटिस जारी किए जाएंगे
सभी सहायक राजस्व निरीक्षक वार्डों में फील्ड में रहकर करेंगे निगरानी
   दुर्ग /शौर्यपथ /नगर पालिक निगम! महापौर अलका बाघमार ने आज निगम परिसर के सभागार मे आज लोक कर्म प्रभारी देव नारायण चंद्राकर व राजस्व विभाग प्रभारी शेखर चंद्राकर सहित अधिकारियो की मौजूदगी मे वार्ड-वार इंजिनियरो व सहायक राजस्व निरीक्षकों की क्लास ली.
   उन्होंने कहा की शहर सीमा क्षेत्र अंतर्गतनिरीक्षण के दौरान उन्होंने वार्डों में सफाई व्यवस्था,अवैध निर्माण और कर वसूली की स्थिति का गहन परीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरों और सहायक राजस्व निरीक्षकों की बैठक लेकर कड़े निर्देश जारी किए।
-अवैध निर्माण पर तत्काल रोक का आदेश:
   महापौर श्रीमती अलका बाघमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि शहर में बिना अनुमति चल रहे निर्माण कार्यों की तुरंत जांच की जाए।यदि निर्माण की अनुमति नहीं है, तो उसे तत्काल रोका जाए और संबंधितों को नोटिस जारी किया जाए।उन्होंने निर्देश दिया कि सहायक राजस्व निरीक्षक फील्ड में रहकर हर निर्माण गतिविधि की निगरानी करें और वार्ड इंजीनियर को उसकी जानकारी दें।
गंदगी फैलाने वाली डेयरियों पर जुर्माना
महापौर ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र की सभी डेयरियों की सफाई व्यवस्था की जांच की जाएगी।जहां गंदगी पाई जाएगी, उन डेयरियों पर ₹5000 का जुर्माना लगाया जाएगा और उन्हें निगम द्वारा नोटिस जारी किया जाएगा।
उन्होंने सुपरवाइजरों को निर्देश दिए कि वे ARI के साथ मिलकर जुर्माने की वसूली सुनियोजित ढंग से करें।
फील्ड में रहकर करें कार्य, ईमानदारी से करें कार्य..
महापौर ने सभी सहायक राजस्व निरीक्षक को निर्देशित किया कि वे वार्डों में नियमित रूप से फील्ड में उपस्थित रहें, टैक्स वसूली में पारदर्शिता रखें और निर्माण कार्यों की अद्यतन जानकारी समय-समय पर दें।
महापौर श्रीमती अलका बाघमार एवं लोक कर्म प्रभारी देव नारायण चंद्राकर ने कहा की 15 दिन में देनी होगी रिपोर्ट, लापरवाही पर कार्रवाई तय, उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों और सहायक राजस्व निरीक्षकों को 15 दिनों के भीतर वार्डवार रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। जिन अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट नहीं दी जाएगी या कार्य में लापरवाही बरती जाएगी, उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
नियमों का पालन अनिवार्य
बैठक में नगर निगम के इंजीनियरिंग स्टाफ और राजस्व विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे। महापौर ने कहा कि शहर की छवि और नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अव्यवस्था किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी अधिकारी जिम्मेदारी के साथ फील्ड में काम करें और जनता को बेहतर सुविधा दें!इस अवसर पर लोककर्म प्रभारी देव नारायण चंद्राकर बाजार प्रभारी शेखर चंद्राकर, ज्ञानेश्वर ताम्रकार, कार्यपालन अभियंता दिनेश कुमार नेताम,सहायक अभियंता संजय ठाकुर, विनोद मांझी हरिशंकर साहू, पंकज साहू, विकास दमाहे, प्रेरणा दुबे, अर्पणा मिश्रा,राजस्व व बाजार अधिकारी शुभम गोयर सहित राजस्व विभाग अमला मौजूद रहे!

 हर वार्ड में बनेगा सफाई रजिस्टर, 12 बजे बाद क्लस्टर सिस्टम लागू होगा, कंट्रोल रूम से सीधे दर्ज होंगी शिकायतें

रिसाली / SHOURYAPATH /
नगर पालिक निगम रिसाली में सफाई व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से महापौर शशि सिन्हा की अध्यक्षता में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में कई निर्णय लिए गए। अब से हर वार्ड के सफाई सुपरवाइजरों को प्रतिदिन सफाई कार्यों की जानकारी संबंधित पार्षद को देनी होगी, साथ ही नागरिकों से सफाई की पुष्टि कराकर रजिस्टर में हस्ताक्षर लेना अनिवार्य किया गया है।

आयुक्त मोनिका वर्मा ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक वार्ड के लिए तीन अलग-अलग रजिस्टर बनाए जाएं, जिनमें:

  1. नाली की सफाई

  2. सड़क-बाजार क्षेत्र की सफाई

  3. पार्षद एवं नागरिकों की शिकायतें
    का रिकॉर्ड रखा जाएगा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि नाली सफाई की जानकारी “कहां से कहां तक” हुई, यह नागरिकों से प्रमाणित कराना होगा, जबकि सड़क और बाजार क्षेत्र की सफाई कार्यों की जानकारी सुपरवाइजर द्वारा पार्षद को दी जाएगी। यदि किसी पार्षद की ओर से सफाई कार्यों को लेकर कोई शिकायत है, तो उसे रजिस्टर के रिमार्क कॉलम में दर्ज कर तत्काल जन स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराना होगा।

? क्लस्टर प्रणाली होगी लागू — दोपहर के बाद भी दिखेंगे सफाईकर्मी

बैठक में कई पार्षदों ने यह शिकायत की कि दोपहर 12 बजे के बाद सफाईकर्मी वार्डों में नज़र नहीं आते, जबकि उनकी ड्यूटी दोपहर 2 बजे तक की है। इस पर आयुक्त ने एक नई कार्य योजना के तहत निर्देश दिया कि अब 3 से 4 वार्डों का एक क्लस्टर बनाया जाएगा। इन क्लस्टर्स में सफाई कर्मचारी बल्क में एकत्र होकर हर दिन किसी एक वार्ड में गहन सफाई कार्य करेंगे। इसके लिए पार्षदों को रोस्टर उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए गए हैं।

☎️ नागरिकों के लिए कंट्रोल रूम — सीधे शिकायत दर्ज करने की सुविधा

नवाचार के तहत आयुक्त ने जनस्वास्थ्य विभाग में एक कंट्रोल रूम स्थापित करने की घोषणा की है। शीघ्र ही इसके लिए टेलीफोन नंबर सार्वजनिक किए जाएंगे, जिससे नागरिक सीधे कंट्रोल रूम से संपर्क कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
शिकायतें प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध की जाएंगी और संबंधित सुपरवाइजर को तत्काल कार्रवाई के लिए सौंपा जाएगा।

?️ बैठक में उपस्थिति

बैठक में महापौर शशि सिन्हा के साथ नेता प्रतिपक्ष शैलेन्द्र साहू, एमआईसी सदस्य अनिल देशमुख, जहीर अब्बास, रंजीता बेनुआ, ममता यादव, जमुना ठाकुर, चन्द्रभान ठाकुर, गोविन्द चतुर्वेदी, विनय नेताम, धर्मेन्द्र भगत, अनुप डे, शीला नारखेड़े, सोनिया देवांगन, रमा साहू, हरीशचन्द्र नायक, खिलेन्द्र चंद्राकर, पार्वती, सारिका साहू सहित कई पार्षद उपस्थित रहे।


? निष्कर्ष:
रिसाली नगर निगम द्वारा उठाए गए ये कदम पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक सहभागिता को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। यदि यह मॉडल सफल रहा, तो इसे अन्य नगरीय निकायों में भी लागू किया जा सकता है।

– संवाददाता

 91 कर्मियों की सेवाओं को किया गया सम्मानित, संयंत्र प्रबंधन ने दी उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं

भिलाई / SHOURYAPATH /
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र से जुलाई 2025 माह में सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों के सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन भावपूर्ण वातावरण में किया गया। इस माह कुल 91 कर्मचारी सेवा से निवृत्त हो रहे हैं, जिनमें 14 कार्यपालक तथा 77 गैर-कार्यपालक कर्मचारी शामिल हैं। इन सभी कर्मियों ने संयंत्र की प्रगति में अपने योगदान से नई ऊँचाइयाँ सुनिश्चित कीं।

कार्यपालकों हेतु विदाई समारोह इस्पात भवन स्थित निदेशक प्रभारी सभागार में आयोजित किया गया, जहाँ संयंत्र के वरिष्ठ कार्यपालक निदेशकगण एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। वहीं गैर-कार्यपालकों के लिए समारोह का आयोजन भिलाई निवास परिसर में हुआ, जहाँ सहकर्मियों ने आत्मीय वातावरण में उन्हें विदाई दी।

सेवानिवृत्त होने वाले कार्यपालकों में प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • मुख्य महाप्रबंधक: राजीव कुमार श्रीवास्तव

  • महाप्रबंधक: सुधीर सोरते, सेवाराम जटरेले, श्याम नारायण सिंह

  • अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी: डॉ. नोहर सिंह ठाकुर

  • उप महाप्रबंधक: सुनील कुमार

  • सहायक महाप्रबंधक: मोहम्मद आरिफ खान, मृदुल कुमार श्रीवास्तव, राजिल कुमार रणदीवे, दीपांकर कुमार मजुमदार, राज कुमार शुक्ला, जीएमवी पद्मिनी कुमार

  • वरिष्ठ प्रबंधक: बीरेंद्र कुमार सिंह

  • उप प्रबंधक: अनिल कुमार फुले

कार्यक्रम में संयंत्र के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति आदेश-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया और उनके समर्पित कार्यकाल की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।

भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने सेवानिवृत्त सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि “संयंत्र की आधारशिला को मजबूत बनाने में आपके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। आपका परिश्रम, अनुशासन और संगठन के प्रति निष्ठा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेगी।”

इस अवसर पर सभी सेवानिवृत्त कर्मियों को स्वस्थ, सम्मानजनक एवं आनंदमय जीवन की शुभकामनाएं दी गईं।

पीओपी मूर्तियों पर नगर निगम का बड़ा फैसला,अब सिर्फ मिट्टी के गणेश ही होंगे विराजमान, महापौर और आयुक्त ने की नागरिकों से अपील
दुर्ग निगम सख्त, पीओपी मूर्ति बेचने पर होगी कड़ी कार्रवाई और जुर्माना
नगर निगम का बड़ा फैसला – पीओपी मूर्तियाँ बैन, विक्रेताओं को जारी की चेतावनी
दुर्ग /शौर्यपथ /आगामी गणेश उत्सव को देखते हुए नगर पालिक निगम दुर्ग एवं जिला प्रशासन ने शहर में पीओपी प्लास्टर ऑफ पेरिस से निर्मित मूर्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण और जल स्रोतों की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। आदेश के अनुसार, अब नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत सभी घरों, कार्यालयों और सार्वजनिक पंडालों में केवल मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियाँ ही स्थापित की जा सकेंगी।
महापौर श्रीमती अलका बाघमार एवं आयुक्त सुमित अग्रवाल ने मूर्ति विक्रेताओं को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे केवल मिट्टी से निर्मित गणेश मूर्तियाँ ही विक्रय के लिए रखें। पीओपी से बनी मूर्तियाँ न केवल जल स्रोतों को प्रदूषित करती हैं, बल्कि इनके अपघटन में भी लंबा समय लगता है जिससे जल जीवों और पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है।
महापौर अलका बागमार ने कहा-नगर निगम का यह प्रयास शहर को स्वच्छ और हरित बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है। पीओपी मूर्तियाँ हमारे तालाबों और नदियों को दूषित करती हैं। हम सभी को मिलकर इस पहल में सहयोग करना चाहिए। मैं शहर के सभी नागरिकों से अपील करती हूँ कि वे मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियाँ ही खरीदें और इस बार एक पर्यावरण-अनुकूल गणेश उत्सव मनाएं।”
नगर निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल ने कहा निगम द्वारा लगातार निगरानी की जाएगी। यदि किसी विक्रेता या आयोजक को पीओपी मूर्तियाँ बेचते या स्थापित करते पाया गया, तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जुर्माना भी वसूला जाएगा। निगम की टीम बाजारों और मूर्ति विक्रय स्थलों पर नियमित निरीक्षण करेगी।"
उन्होंने यह भी बताया कि नगर निगम द्वारा शहर के प्रमुख चौकों, बाजारों और वार्डों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि आम नागरिकों को पीओपी मूर्तियों के दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दी जा सके और वे मिट्टी की मूर्तियाँ अपनाने के लिए प्रेरित हों।
निगम की अपील:
नागरिक मिट्टी से बनी मूर्तियाँ ही खरीदें
पीओपी मूर्तियों की जानकारी मिलने पर नगर निगम को सूचित करें
मूर्ति विसर्जन के लिए नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थानों का ही उपयोग करें
यह कदम न सिर्फ पर्यावरण के हित में है, बल्कि भावी पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान है। नगर निगम ने सभी धार्मिक समितियों, गणेश उत्सव मंडलों और गणेश मूर्ति विक्रेताओं से भी सहयोग की अपेक्षा की है।

मेयर ने कहाँ पौधरोपण सिर्फ फोटो खींचने के लिए न हो,बल्कि वृक्षारोपण के बाद पेड़ की
सेवा देकर उसे बड़ा भी करें:
मेयर ने कहा कि हम सबका दायित्व है कि हम अपने आसपास में लगे वृक्षों की रक्षा करें एवं आने वाली पीढी को स्वच्छ वातावरण में सांस लेने एक पौधे जरूर लगाए:
दुर्ग//शौर्यपथ / नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण एवं शहर को प्रदूषण मुक्त व हराभरा करने नगर निगम के अलावा अन्य संस्थाओं द्वारा भी शहर में वृक्षारोपण किया जा रहा है। इसी कड़ी में रविवार को पुलिस लाइन वार्ड क्रमांक 48 के मैदान में आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम में मेयर श्रीमती अलका बाघमार ने पौध रोपण किया।इस दौरान मेयर ने मौजूद लोगो से कहाँ कि पौधरोपण सिर्फ फोटो खींचने के लिए न हो,
बल्कि वृक्षारोपण के बाद पेड़ की
सेवा देकर उसे बड़ा भी करें:
मेयर अलका बाघमार के साथ पार्षद लोकेश्वरी ठाकुर के अलावा बड़ी संख्या मे वार्डवासियो ने वार्ड 48 के मैदान मे नीम, बादाम, गुलमोहर, अमलताश, मौलश्री प्रजाति के पौधे लगाए।
महापौर ने कहा कि आज शहर को विकसित करने जिस गति से वृक्षों की कटाई हो रही है, उस गति से पेड़ लगाए नहीं जा रहे है, जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषित और आक्सीन की कमी हो रही है।
महापौर ने कहा कि पेड़ न लगाने के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है और आक्सीन की कमी हो रही है। जिसका परिणाम हमने कोरोना के दूसरी लहर में पूरे देश में आक्सीजन की कमी को देखा है। जिससे अधिकांश लोगों की जाने गई है। पूरा देश इस सदमे से उबर नहीं पाया है। इस बात को ध्यान में रखते हम सबको प्रण लेकर अपने घर एवं उसके आसपास पौधे लगाना है, ताकि भविष्य में आक्सीजन की कमी जैसी स्थिति दोबारा निर्मित न हो। उन्होंने कहा कि हम सबका दायित्व है कि हम अपने आसपास में लगे वृक्षों की रक्षा करें एवं आने वाली पीढी को स्वच्छ वातावरण में सांस लेने एक पौधे जरूर लगाए।

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