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"भिलाई में तालाब सौंदर्यीकरण में भ्रष्टाचार का खुलासा, महज आधे घंटे की बारिश में ढही दीवार"

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"97 लाख रुपये के निर्माण कार्य में लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण हुआ बड़ा नुकसान, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग"

   दुर्ग / शौर्यपथ / भिलाई-चरोदा निगम क्षेत्र में बमनीन तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए 97 लाख रुपये की लागत से चल रहा निर्माण कार्य भ्रष्टाचार और लापरवाही की शर्मनाक मिसाल बन गया है। वार्ड क्रमांक 9 स्थित शीतला पारा में बमनीन तालाब की दीवार, जो हाल ही में बनाई गई थी, महज आधे घंटे की बारिश में ढह गई। यह घटना निगम क्षेत्र में चल रहे सौंदर्यीकरण कार्यों की गुणवत्ता पर गहरा सवाल उठाती है।

दीवार के गिरने से हुआ बड़ा नुकसान
यह हादसा रविवार शाम को अचानक आई तेज बारिश के कारण हुआ। बारिश में भारी पानी गिरने से तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए बनाई गई दीवार ढह गई, जिससे लगभग 100 फीट तक दीवार बिखर गई। बताया जा रहा है कि दीवार की नींव कमजोर थी, जिसके कारण यह दीवार बारिश का दबाव सहन नहीं कर पाई। दीवार के नीचे पेवल ब्लॉक लगाए गए थे, जो अब बिखर गए हैं और यह पूरी घटना निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाती है।

निर्माण कार्य में लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप
तालाब सौंदर्यीकरण में इस तरह की बड़ी लापरवाही को लेकर स्थानीय नागरिकों, पार्षद सुषमा चंद्राकर और सांसद प्रतिनिधि विपिन चंद्राकर ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम में चल रहे निर्माण कार्यों में निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया जा रहा। ठेकेदार ने काम में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा और केवल "कमीशन" को प्राथमिकता दी। स्थानीय नेताओं का कहना है कि कई बार निगम के अधिकारियों को निर्माण कार्यों का निरीक्षण करने की मांग की गई, लेकिन अधिकारियों ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया।

कमीशन खोरी का आरोप
स्थानीय नेताओं ने यह भी कहा कि निगम में बढ़ी हुई कमीशन खोरी के कारण निर्माण एजेंसी को गुणवत्ता पर ध्यान देने की कोई चिंता नहीं रही। इससे यह साफ़ हो गया है कि अधिकारियों ने जानबूझकर निर्माण कार्य की निगरानी में लापरवाही बरती, जिससे सार्वजनिक धन की बर्बादी हुई और जनता को नुकसान उठाना पड़ा।

पार्षद और सांसद प्रतिनिधि की तीखी प्रतिक्रिया
स्थानीय पार्षद सुषमा चंद्राकर और सांसद प्रतिनिधि विपिन चंद्राकर ने आरोप लगाया है कि कई बार निगम में काम की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए गए थे, लेकिन प्रशासन ने हमेशा इसे नजरअंदाज किया। चंद्राकर ने कहा, "हमने अधिकारियों से बार-बार निर्माण कार्य का निरीक्षण करने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने कभी कोई कार्रवाई नहीं की। अब एक और घटिया काम सामने आ गया है। यह साफ दिखाता है कि निगम में भ्रष्टाचार बढ़ चुका है और ठेकेदारों को गुणवत्ता पर ध्यान देने की कोई परवाह नहीं है।"

महापौर की प्रतिक्रिया
महापौर निर्मल कोसरे ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मुझे सुबह ही इस घटना की जानकारी मिली है और मैं अधिकारियों से पूरी जानकारी प्राप्त कर रहा हूं। हम इस मामले की गहरी जांच करेंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।" महापौर ने यह भी कहा कि निगम क्षेत्र में कुछ अन्य तालाबों का सौंदर्यीकरण कार्य भी चल रहा है और इस संबंध में उचित कदम उठाए जाएंगे।

स्थानीय नागरिकों का गुस्सा और सरकार से अपील
इस घटना ने स्थानीय नागरिकों को भी आक्रोशित कर दिया है। उन्होंने सरकार और निगम से अपील की है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए ठेकेदारों और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। नागरिकों का कहना है कि यदि प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो यह भ्रष्टाचार की सड़ी-गली स्थिति को और बढ़ावा देगा।

समाज का ध्यान और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह घटना इस बात का संकेत है कि जब तक सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक ऐसे भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामले सामने आते रहेंगे। इस तरह के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी, निरीक्षण और मानकों का पालन अनिवार्य होना चाहिए। सार्वजनिक धन का सही उपयोग सुनिश्चित करना सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की जिम्मेदारी है।

दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
सभी स्थानीय नेताओं और नागरिकों का यह स्पष्ट मत है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। ठेकेदार, निगम अधिकारी और उन सभी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, जिन्होंने निर्माण कार्य में लापरवाही बरती और सार्वजनिक धन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही किसी भी सरकार या प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि सार्वजनिक धन का सही तरीके से उपयोग हो और आम नागरिक को इसका लाभ मिल सके।

निष्कर्ष:
तालाब सौंदर्यीकरण में इस तरह की घटना यह साफ दिखाती है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही की वजह से विकास कार्यों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इस मामले की पूरी जांच करके दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।

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