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रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार छत्तीसगढ़ के भांचा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी की जीवनी उनके कार्य पर आधारित अंर्तराष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन करवा रही है जिसमे देश विदेश से रामकथा वाचक रामायण मंडली रामलीला मण्डलियों का दल शामिल होने आ रहे है तो भाजपा के पेट मे दर्द क्यो हो रहा है? भाजपा ने अंर्तराष्ट्रीय रामायण महोत्सव के आयोजन का विरोध कर अपने कालनेमि चरित्र को जनता के आगे प्रदर्शित किया है। भाजपा सिर्फ वोट लेने और चंदा लेने के तक ही जय श्री राम का नारा लगाती है कभी रामकाज नहीं करती है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि 15 साल तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी उन्हें किसी ने मना नही किया था की रामायण कथा मत करवाये? राम वन गमन पथ एवं विश्व की एकलौती मंदिर माता कौशल्या की मंदिर को विकसित मत करिये? श्री राम जी के नाम से वोट लेने के बाद भाजपा के नेता सत्ता सुख भोगने में जुट गए कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार करने में रमे रहे है। रमन सरकार के दौरान भाजपा के नेता पंडाल लगाकर दीनदयाल की कथा सुनते थे वह कभी रामायण कथा नहीं सुने। कभी राम वन गमन और माता कौशल्या का मंदिर, रामायण कथा कराने की सुध नहीं ली। आज जब छत्तीसगढ़ की संस्कृति परंपरा और हमारे पौराणिक महत्व के अनुसार जब अंर्तराष्ट्रीय रामायण पाठ हो रहा हैं तब भाजपा विरोध करके अपने काले कारनामे में पर्दा करना चाहती है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि आखिर भाजपा को छत्तीसगढ़ की संस्कृति कला परंपरा तीज त्यौहार के आयोजन से आपत्ति क्यों है? भूपेश सरकार जब तीजा पोरा, गोवर्धन पूजा, माटी पूजन, बोरे बासी दिवस, कर्मा जयंती, हरेली महोत्सव, विश्व आदिवासी महोत्सव का आयोजन करती है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गेड़ी चढ़ते है, भंवरा चलाते हैं, तब भाजपा विरोध करने के लिए सामने आती है। आखिर भाजपा को छत्तीसगढ़ के परंपराओं से इतनी नफरत क्यों है? आज अंर्तराष्ट्रीय रामायण का आयोजन हो रहा है तब भी भाजपा विरोध कर रही है? छत्तीसगढ़ की जनता भाजपा के इस कृत्य को देख रही है कि किस प्रकार से जो भाजपा श्री राम जी के नाम से नारा लगाती है वहीं भाजपा को रामायण कथा आयोजन से आपत्ति है। जनता के बीच में भाजपा का यह चरित्र पर्दाफाश हो गया।
नई दिल्ली / शौर्यपथ / भाजपा के द्वारा चुनावी वर्ष में फिल्मो के सहारे अपनी नैय्या पार लगाने की कोशीश अब उलटे उसी पर भारी पड़ रही है . द केरल स्टोरी जो साउथ की कहानी है जिस पर तथ्यात्मक सच्चाई की कोई खबर अभी तक कही नहीं दिखाई गयी सिर्फ फ़िल्मी स्टोरी के दम पर ही भाजपा के दिग्गज नेता साउथ में अपनी पकड़ मजबूत करने की जुगत लगा रहे थे किन्तु कर्नाटक चुनाव में ना तो भाजपा के द्वारा उठाये गए फ़िल्मी कहानी द केरल स्टोरी का सहारा मिला और ना ही बजरंगबली जी का आशीर्वाद मिला दोनों ही वार भाजपा के खाली हो गए हाँ ये जरुर रहा कि भाजपा के इस फिल्म के अपरोक्ष प्रचार के कारण फिल्म प्रोड्यूसर की अच्छी खासी कमाई हो गयी . पुरे देश में ऐसे कई भाजपा नेता देखे गए जो अपनी पूरी टीम के साथ इस फिल्म का आनंद लिया जिससे निर्माता को अच्छी कमाई और बिना खर्च किये अच्छा प्रचार मिल गया .
वही अगर द केरल स्टोरी विवाद की बात करे तो इस फिल्म में 32 हजार लडकियों के प्रताड़ना की बात प्रचारित की गयी किन्तु सत्यता के प्रमाण किसी ने नहीं दिए वही विपक्ष द्वारा एनसीआरबी के आंकड़े प्रस्तुत कर उलटे भाजपा को ही आइना दिखा दिया द केरल स्टोरी की बात तो सबने की किन्तु गुजरात में केन्द्रीय एजेंसी की प्रमाणित रिपोर्ट जिसमे 40 लडकियों के पिछले 5 साल में गायब होने के तथ्य पेश किये गए उस पर भाजपा के किसी कद्दावर नेता ने दो शब्द भी नहीं कहे क्या गुजरात की लडकियों को द केरल स्टोरी जैसी फ़िल्मी कहानी के आगे शून्य माना गया . क्यों नहीं भाजपा के नेता अब गुजरात से गायब हुई लडकियों के बारे में कोई जवाब दे रहे क्या लडकियों पर भी राजनीति अपने मतलब से की जा रही है . क्या ऐसे ही लोकतंत्र की स्वतंत्र भारत की कल्पना की थी आज़ादी के दीवानों ने जिन्होंने अपने खून से सींच कर देश को आजादी दिलाई क्या गुजरात की या अन्य प्रदेश से गायब हुई लडकियों के बारे में सभी एक होकर कोई ठोस कदम नहीं उठा सकते क्या फ़िल्मी कहानियों पर ही राजनितिक रोटी सकी जायेगी भविष्य में या धर्म के नाम पर बंटवारा किया जाएगा समाज को . आज धर्म के नाम पर कल समाज के नाम पर फिर जात के नाम पर फिर रंगभेद के नाम पर बस ये सिलसिला ही चलता रहेगा या फिर विकास और नवनिर्माण की बात पर होगी चर्चा ....
लेखक के निजी विचार
शरद पंसारी