August 02, 2025
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भारत

भारत (838)

विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी सना, छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का क्षण

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) की महिला बॉक्सर सना माचू को भारतीय बॉक्सिंग टीम में चयनित होने पर हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने कहा कि सना का चयन न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। बिलासपुर रेल मंडल में सीसीटीसी के पद पर पदस्थ सना माचू अब इंग्लैंड के लिवरपूल में 4 से 14 सितंबर तक आयोजित होने वाली विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ की बेटियों की बढ़ती प्रतिभा, मेहनत और आत्मविश्वास का प्रतीक है। उन्होंने विश्वास जताया कि सना अपने दमदार प्रदर्शन से देश का नाम विश्व पटल पर रोशन करेंगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगी। मुख्यमंत्री ने सना को चैंपियनशिप के लिए अपनी शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले केन्द्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू; विभागीय प्रगति, शहरी विकास और छत्तीसगढ़ के जमीनी मुद्दों पर हुई विस्तृत चर्चा
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर प्रधानमंत्री को दी बधाई; शहरी फैलाव, भूमि अधिकार और योजना समन्वय पर रखे अहम सुझाव

नई दिल्ली /रायपुर / शौर्यपथ /

   भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री तथा बिलासपुर लोकसभा सांसद तोखन साहू ने आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। उन्होंने प्रधानमंत्री को आतंकवाद विरोधी अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफल संचालन के लिए बधाई दी। यह अभियान देश में सक्रिय आतंकवादी खतरों को समाप्त करने के उद्देश्य से चलाया गया था। श्री साहू ने प्रधानमंत्री के निर्णायक नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि यह अभियान भारत की "आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता" की नीति और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा के प्रति हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता का परिचायक है।
  इस अवसर पर साहू ने प्रधानमंत्री को आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अंतर्गत चल रही प्रमुख आवासीय और शहरी विकास योजनाओं की प्रगति की जानकारी दी और छत्तीसगढ़ राज्य की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत चर्चा की।
 श्री साहू ने प्रधानमंत्री को बताया कि देशभर में अराजक शहरी विस्तार (अर्बन स्प्रॉल) एक गंभीर चुनौती बन चुका है। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि निजी कारों पर निर्भरता को कम करने और मिश्रित-प्रयोजन विकास (जहां आवासीय, वाणिज्यिक और सार्वजनिक उपयोग के स्थान एक साथ हों) को बढ़ावा देकर इस विस्तार पर अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि "हमारा ध्यान जन-परिवहन उन्मुख विकास (ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट) पर है, जिसमें आवासीय, वाणिज्यिक और सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों का समावेश होता है। इससे निजी वाहनों की निर्भरता कम होती है। विभिन्न शोधों से स्पष्ट है कि इस प्रकार की योजना से कार उपयोग में 20% से 50% तक की कमी लाई जा सकती है, जिससे शहरी भीड़ घटेगी और सतत शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा।"
  बैठक में प्रधानमंत्री ‘सूर्य गृह मुफ्त बिजली योजना’ को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएम-आवास) से जोड़ने के विषय पर भी चर्चा हुई। श्री साहू ने प्रस्ताव रखा कि इस योजना के अंतर्गत दी जाने वाली निःशुल्क बिजली को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित सभी घरों में लागू किया जाए। इससे बिजली के वितरण की लागत घटेगी, टिकाऊ शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा और लाभार्थी ऊर्जा दक्ष घरों में निवास कर सकेंगे। साथ ही, सरकारी सब्सिडी युक्त लघु ऋणों तक उनकी पहुंच सुगम हो सकेगी जिससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।
  श्री साहू ने प्रधानमंत्री को छत्तीसगढ़ राज्य की जमीनी स्थिति और क्षेत्रीय चुनौतियों से भी अवगत कराया। उन्होंने सामाजिक-आर्थिक विकास, शहरी योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्य सरकार की भूमिका और जटिल भूमि विवादों पर चर्चा की।
  विशेष रूप से "बड़े झाड़ का जंगल" से लगे क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि वहां की बस्तियों में लोग दो से तीन पीढ़ियों से निवासरत हैं, लेकिन उन्हें वैध स्वामित्व नहीं मिल पा रहा है। इससे वे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं और अतिक्रमी माने जाने के कारण बेदखली का खतरा बना रहता है। ये क्षेत्र जल, बिजली, और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं क्योंकि उनका दर्जा अभी भी वन क्षेत्र का है और इसलिए शहरी योजनाओं में उन्हें प्राथमिकता नहीं मिलती। छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में ऐसे भूमि विवाद सामाजिक तनाव का कारण बनते हैं।
   श्री साहू ने बताया कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 में हाल ही में किए गए संशोधन अब इन निवासियों को कानूनी स्वामित्व दिलाने में सहायक होंगे, जिससे वे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ले सकेंगे। उन्होंने गैर-महत्वपूर्ण वन भूमि के प्रबंधन, दस्तावेज प्रक्रिया को सरल बनाने, और पूरक वृक्षारोपण जैसी रणनीतियों के माध्यम से वन विभाग एवं शहरी विकास एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
  बैठक में विचारों का रचनात्मक आदान-प्रदान हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री ने सभी विषयों पर मार्गदर्शन दिया और आवास तथा शहरी बुनियादी ढांचे के सतत विकास में केंद्र की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना, क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना और यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी नागरिक पीछे न छूटे।
 श्री साहू ने प्रधानमंत्री की दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता, समावेशी विकास की प्रतिबद्धता, और "सबका साथ, सबका विकास" के मूल मंत्र को चरितार्थ करने के प्रति आभार प्रकट किया, जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत की प्रगति का लाभ हर वर्ग तक पहुंचे।

रायपुर / शौर्यपथ /
  भारतीय कृषि में जैविक और अजैविक तनाव प्रबंधन तथा नीतियों पर दो दिवसीय विचार-मंथन सत्र का आयोजन 21 और 22 जुलाई को आईसीएआर–राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान (एनआईबीएसएम), रायपुर में हुआ। यह कार्यक्रम आईसीएआर–राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान (एनआईएएसएम), बारामती और भारतीय कृषि अर्थशास्त्र सोसायटी (आईएसएई), मुंबई के सहयोग से तथा नाबार्ड, रायपुर के आंशिक समर्थन से आयोजित किया गया।
   सत्र में देशभर के करीब 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें प्रमुख वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और नीति निर्माता शामिल थे। उन्होंने कृषि में जैविक (कीट, रोग, आक्रामक प्रजातियां) और अजैविक (सूखा, लवणता, बाढ़, ताप) तनावों के प्रबंधन के विज्ञान आधारित दृष्टिकोण पर चर्चा की। इस अवसर पर भविष्य की नीतियों और कार्यक्रमों के लिए एक नीति पत्र तैयार करने पर सहमति बनी।
  उद्घाटन सत्र में डॉ. एच.सी. शर्मा, पूर्व कुलपति, एचपीकेवी, पालमपुर; डॉ. पी.के. चक्रवर्ती, पूर्व एडीजी (पीपी एंड बी), सदस्य, एएसआरबी; डॉ. पी.के. राय, निदेशक, एनआईबीएसएम; डॉ. के. सम्मी रेड्डी, निदेशक, एनआईएएसएम; डॉ. डी.के. मारोठिया, अध्यक्ष, आईएसएई; श्री ज्ञानेंद्र मणि, सीजीएम, नाबार्ड और डॉ. ए. अमरेंद्र रेड्डी, संयुक्त निदेशक, एनआईबीएसएम ने विचार व्यक्त किए।
इस दौरान तनाव प्रबंधन पर आधारित दो प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।
  तकनीकी सत्रों में जैविक तनाव प्रबंधन में वैज्ञानिक और नियामक नवाचार पर डॉ. एच.सी. शर्मा, जैविक तनाव के लिए नीति और संस्थागत रणनीतियों पर डॉ. पी.के. चक्रवर्ती, अजैविक तनाव के लिए तकनीकी हस्तक्षेप पर डॉ. अंजनी कुमार (आईएफपीआरआई) और अजैविक तनाव लचीलापन बढ़ाने की रूपरेखाओं पर डॉ. के.एल. गुर्जर (डीपीपीक्यूएस) ने प्रस्तुतियां दीं।
 चर्चाओं से तैयार नीति पत्र भविष्य में शोध, निवेश और राष्ट्रीय कार्यक्रमों को दिशा देगा। कार्यक्रम का समापन डॉ. के. श्रीनिवास द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी प्रतिभागियों और सहयोगी संस्थाओं का आभार व्यक्त किया।

नई दिल्ली, 19 जुलाई 2025
भारत ने आज अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और स्वर्णिम अध्याय लिखा। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से 18 दिन की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर 15 जुलाई को सफलतापूर्वक लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को आज भारत सरकार के मंत्रिमंडल ने सामूहिक रूप से अभिनंदन किया और इस उपलब्धि को "राष्ट्रीय गौरव का क्षण" बताया।

मंत्रिमंडल की बैठक में कहा गया कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला की यह उड़ान न केवल भारत की तकनीकी और वैज्ञानिक श्रेष्ठता का प्रतीक है, बल्कि यह अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को भी दर्शाता है।

इस मिशन की शुरुआत 25 जून 2025 को हुई थी, जिसमें शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट के रूप में Axiom-4 क्रू के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे। यह पहली बार था जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री ISS पर गया। उनका यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से ऐतिहासिक रहा, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक निर्णायक मोड़ भी साबित हुआ।

ISS पर रहते हुए उन्होंने Expedition 73 के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर माइक्रोग्रैविटी में मानव मांसपेशियों की पुनर्रचना, शैवाल और सूक्ष्मजीवों की वृद्धि, फसलों की अनुकूलता, और सायनोबैक्टीरिया के व्यवहार जैसे उन्नत वैज्ञानिक प्रयोगों में योगदान दिया। इसके अलावा, अंतरिक्ष में मानव संज्ञानात्मक क्षमताओं पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया गया।

सरकार ने इस उपलब्धि के लिए ISRO, DRDO और वैज्ञानिकों की टीम को भी विशेष बधाई दी, जिनके समर्पण और तकनीकी कौशल ने इस मिशन को संभव बनाया।

मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की भी सराहना की और कहा कि उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण, स्पेस प्रोग्राम में गहरी आस्था और निर्णायक नीतियों ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर किया है।

सरकार ने यह भी रेखांकित किया कि बीते वर्षों में भारत ने कई अंतरिक्ष उपलब्धियाँ हासिल की हैं—

  • 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग,

  • आदित्य-L1 मिशन द्वारा सूर्य पर महत्वपूर्ण शोध,

  • और स्पेस सेक्टर में सुधारों के चलते 300 से अधिक स्टार्टअप्स का उदय।

इन उपलब्धियों ने भारत की स्पेस इकॉनॉमी, रोजगार, और इनोवेशन इकोसिस्टम को नई गति दी है।

ग्रुप कैप्टन शुक्ला की सफलता को मंत्रिमंडल ने युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का प्रतीक बताया। सरकार का मानना है कि इससे बच्चों और युवाओं में वैज्ञानिक सोच का विकास होगा और वे साइंस व टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर बनाने को प्रोत्साहित होंगे।

गगनयान मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए, यह मिशन भारत के लिए भविष्य के बड़े लक्ष्य हासिल करने की ओर एक मजबूत कदम है।

अंत में, मंत्रिमंडल ने इस उपलब्धि को "विकसित भारत 2047" के विजन के लिए एक प्रेरक ऊर्जा बताया और विश्वास जताया कि भारत अंतरिक्ष में विश्व की अग्रणी शक्तियों में एक बनकर उभरेगा।


?️ गौरवशाली भारत, उन्नत अंतरिक्ष विज्ञान
? "ये सिर्फ एक मिशन नहीं, ये भारत की अंतरिक्ष यात्रा का स्वर्णिम मोड़ है" – मंत्रिमंडल

युवाओं को सशक्त बनाने और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम

?️ नई दिल्ली / शौर्यपथ संवाददाता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देशभर में आयोजित 16वें रोजगार मेले में विभिन्न सरकारी विभागों और संस्थानों में 51,000 से अधिक नवचयनित युवाओं को नियुक्ति पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने युवाओं को बधाई देते हुए कहा कि “रोजगार केवल नौकरी नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में योगदान का माध्यम है।”

? युवाओं के लिए अवसर, देश के लिए भविष्य

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे रोजगार मेला अभियान के माध्यम से अब तक लाखों युवाओं को स्थाई सरकारी रोजगार दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य केवल रोजगार प्रदान करना नहीं है, बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें देश के विकास में सक्रिय भागीदार बनाना है।

? सामाजिक विकास की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार का लक्ष्य केवल आर्थिक समृद्धि नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग तक अवसरों की समान पहुंच सुनिश्चित करना है। रोजगार मेलों के माध्यम से युवाओं को सक्षम, प्रशिक्षित और संगठित बनाकर उन्हें ‘विकसित भारत’ के निर्माण में शामिल किया जा रहा है।

? 1 लाख करोड़ का बजट प्रावधान, 3.5 करोड़ रोजगार की संभावना

सरकार ने इस अभियान को व्यापक रूप देने के लिए केंद्रीय बजट में लगभग ₹1 लाख करोड़ का विशेष प्रावधान किया है। इसके माध्यम से लगभग 3.5 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित किए जाने की संभावना जताई गई है।


? मुख्य बिंदु:

  • 16वां राष्ट्रीय रोजगार मेला देशभर में आयोजित

  • प्रधानमंत्री मोदी ने 51,000 नियुक्ति पत्र सौंपे

  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नवचयनितों को संबोधित किया

  • 1 लाख करोड़ की बजट योजना से 3.5 करोड़ रोजगार सृजन का लक्ष्य

  • युवाओं को राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनाने की पहल

लखनऊ/शौर्यपथ संवाददाता

लखनऊ के चौक स्थित प्रसिद्ध बड़ी काली जी मंदिर परिसर में एक नए ब्लॉक के उद्घाटन अवसर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में महिला सैनिकों और पायलटों की अहम भूमिका की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से भारतीय सेना पाकिस्तान स्थित 9 आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने में सफल रही।

रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर महिला शक्ति को राष्ट्र की रक्षा और गौरव का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "आज भारतीय सेना में महिलाएं केवल सहयोगी नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' इसका सजीव उदाहरण है।"

कारगिल युद्ध की 26वीं वर्षगांठ पर वीरों को किया याद

राजनाथ सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि इस वर्ष कारगिल विजय की 26वीं वर्षगांठ है। उन्होंने कैप्टन मनोज पांडे सहित उन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने भारत माता की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

उन्होंने बताया कि कैप्टन मनोज पांडे जिस गोरखा राइफल्स रेजीमेंट से जुड़े थे, उसका नारा है — "जय महाकाली, आयो गोरखाली", जो न केवल एक युद्धघोष है बल्कि वीरता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक भी है।

धार्मिक धरोहरों के संरक्षण पर बल

अपने संबोधन में मंत्री ने यह भी कहा कि देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को भव्य बनाने की दिशा में सरकार लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा:

“काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल कॉरिडोर, सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण और अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर — ये सब उसी मिशन का हिस्सा हैं, जिससे हमारी संस्कृति और आस्था को वैश्विक पहचान मिल रही है।”

राजनाथ सिंह ने इस मौके पर लखनऊ स्थित महाकाली मंदिर को भी और अधिक भव्य और दिव्य रूप देने के लिए सार्वजनिक सहभागिता की अपील की।


? मुख्य बिंदु:

  • ऑपरेशन सिंदूर में महिला सैनिकों की भूमिका को सराहना

  • कारगिल युद्ध की 26वीं वर्षगांठ पर शहीदों को श्रद्धांजलि

  • गोरखा राइफल्स और कैप्टन मनोज पांडे का उल्लेख

  • धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की बात

नई दिल्ली // शौर्यपथ:
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अब उन FASTags को ब्लैकलिस्ट करने का निर्णय लिया है जो वाहनों पर सही तरीके से अफिक्स (चिपकाए) नहीं किए गए हैं। यह कदम ईमानदारी से टोल कलेक्शन और "वाहन से जुड़ा FASTag" सिद्धांत को सख्ती से लागू करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

NHAI ने कहा है कि—

  • यदि FASTag को वाहन की विंडस्क्रीन पर ठीक से स्थायी रूप से नहीं चिपकाया गया है, तो उसे अवैध माना जाएगा।

  • ऐसे सभी FASTags को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा और उनसे टोल वसूली बंद कर दी जाएगी।

  • इससे टोल प्लाजा पर बेईमानी से बचा जा सकेगा, जैसे एक ही FASTag को कई वाहनों पर उपयोग करना।

NHAI की मंशा:
यह कदम FASTag प्रणाली को पारदर्शी और वाहन-विशिष्ट बनाने के लिए है। इससे टोल कलेक्शन प्रक्रिया और ज्यादा कुशल, सुरक्षित और निष्पक्ष होगी।

क्या करना जरूरी है?

  • वाहन मालिकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका FASTag उनके वाहन के विंडस्क्रीन पर ठीक से चिपका हो।

  • यदि किसी कारण से FASTag क्षतिग्रस्त हो या चिपका नहीं है, तो उसे तुरंत बदलवा कर सही जगह पर लगाना होगा।

पृष्ठभूमि:
FASTag को केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रहण प्रणाली के रूप में अनिवार्य किया है, जिससे नकद लेनदेन कम हो और टोल प्लाजा पर जाम न लगे।

?️ राष्ट्रीय समाचार:

  1. लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा शुरू

    • विपक्ष ने मणिपुर, बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा।

    • सरकार ने "विकसित भारत" के लक्ष्य की ओर तेज़ गति से बढ़ने की प्रतिबद्धता दोहराई।

  2. चंद्रयान-3 मिशन को एक वर्ष पूरा

    • इसरो ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की सफल लैंडिंग की वर्षगांठ पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया।

  3. नई शिक्षा नीति पर राज्यों की आपत्ति

    • कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार से भाषा और पाठ्यक्रम को लेकर पुनर्विचार की मांग की।


? अंतरराष्ट्रीय समाचार:

  1. एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

    • आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता पर भारत की भूमिका को रेखांकित किया।

  2. भारत-अमेरिका रक्षा समझौते को अंतिम रूप

    • संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर सहमति; रक्षा उपकरण निर्माण में सहयोग बढ़ेगा।


?️ राज्यीय समाचार:

  1. छत्तीसगढ़: बस्तर में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा का दौरा

    • पांच जिलों में जनसुनवाई, सड़क और स्वास्थ्य योजनाओं की समीक्षा।

  2. उत्तर प्रदेश: मानसून की सक्रियता से बाढ़ के हालात

    • कई जिलों में NDRF की तैनाती, स्कूलों में छुट्टियाँ घोषित।

  3. महाराष्ट्र: मराठा आरक्षण आंदोलन फिर तेज

    • कोल्हापुर और औरंगाबाद में रैलियाँ; सरकार से स्थायी समाधान की मांग।


? आर्थिक समाचार:

  1. रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर

    • विदेशी निवेशकों की बिकवाली और तेल कीमतों में तेजी से असर।

  2. GST कलेक्शन जून में ₹1.80 लाख करोड़ के पार

    • अब तक की दूसरी सबसे ऊंची वसूली; सरकार ने बताया यह 'राजकोषीय मजबूती' का संकेत।


? ज्ञान-वैज्ञानिक/तकनीकी समाचार:

  1. UGC-NET परीक्षा 2025 की नई तिथि घोषित

    • पेपर लीक के बाद परीक्षा अब अगस्त में आयोजित होगी।

  2. भारतीय वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर नई रिपोर्ट जारी की

    • 2050 तक भारत के कई तटीय शहरों पर खतरे की चेतावनी।


? मनोरंजन / खेल समाचार:

  1. T20 विश्वकप 2026 की मेज़बानी भारत को

    • ICC की घोषणा: 2026 में पुरुषों का T20 वर्ल्ड कप भारत और श्रीलंका में होगा।

  2. 'कल्कि 2898 AD' बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई

    • फिल्म ने 800 करोड़ का आंकड़ा पार किया; आलोचकों और दर्शकों से प्रशंसा।

टोंक जिले में कानून का खौफ नहीं: ग्रामीणों ने पुलिस टीम को खदेड़ा, कार्रवाई के दौरान उग्र हुआ विरोध

राजस्थान / शौर्यपथ /

  टोंक जिले के अलीगढ़ थाना क्षेत्र के गढ़ी गांव में कानून व्यवस्था उस समय पूरी तरह से चरमरा गई जब अवैध शराब के खिलाफ दबिश देने पहुंची पुलिस टीम को ग्रामीणों ने न सिर्फ घेर लिया बल्कि जबरन गांव से खदेड़ भी दिया। इस पूरी घटना ने पुलिस की कार्यशैली, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते असंतोष और कानून व्यवस्था की जमीनी सच्चाई को उजागर कर दिया है।


? घटना का विवरण:

पुलिस को गढ़ी गांव में अवैध शराब के निर्माण और बिक्री की सूचना मिली थी। शुक्रवार सुबह अलीगढ़ थाने की एक टीम गांव में दबिश देने के लिए पहुंची। टीम में कुछ पुरुष पुलिसकर्मी और दो अन्य सरकारी अधिकारी शामिल थे।

जैसे ही पुलिस ने गांव के कुछ घरों की तलाशी शुरू की, ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। आरोप है कि पुलिसकर्मी बिना महिला कर्मियों के महिलाओं के घरों में घुस गए और अभद्र भाषा तथा बल प्रयोग किया। यह देख ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा और भीड़ ने पुलिस को घेर लिया।

स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को अपना वाहन छोड़कर भागना पड़ा। कुछ जवानों को ग्रामीणों ने लाठी-डंडों से पीटने की कोशिश भी की, जिसमें दो पुलिसकर्मी हल्के रूप से घायल हुए हैं।


? पुलिस की प्रतिक्रिया:

थाना प्रभारी ने कहा,

"हमें गुप्त सूचना मिली थी कि गांव में अवैध शराब बन रही है। जैसे ही हमने कार्रवाई शुरू की, भीड़ इकट्ठा हो गई और हमला कर दिया। यह प्रशासनिक कार्य में बाधा और पुलिस पर हमला है।"

पुलिस ने अज्ञात 15–20 ग्रामीणों के खिलाफ IPC की धारा 353 (सरकारी कार्य में बाधा), 332 (पुलिसकर्मी पर हमला) सहित अन्य धाराओं में FIR दर्ज कर ली है


?‍?‍? ग्रामीणों का पक्ष:

ग्रामीणों ने बताया कि—

  • पुलिस रात में बिना पूर्व सूचना के आई

  • टीम में कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं थी।

  • उन्होंने महिलाओं और बच्चों से भी दुर्व्यवहार किया।

  • निर्दोष लोगों को पकड़ने की कोशिश की गई।

कुछ ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस जबरन घरों में घुसकर चोरी का सामान बरामद बताने की कोशिश कर रही थी।


⚖️ प्रशासन की प्रतिक्रिया:

जिलाधिकारी और एसपी ने इस घटना को गंभीर मानते हुए बयान दिया कि—

  • “स्थिति की जांच के आदेश दिए गए हैं। दोषी कोई भी हो, कार्रवाई तय है।”

  • पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि संवेदनशील गांवों में कार्रवाई से पहले जनप्रतिनिधियों और पंचों से संवाद स्थापित करें


?️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:

इस घटना ने स्थानीय राजनीति में भी हलचल मचा दी है।
विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए कहा कि—

  • राज्य में कानून का भय खत्म हो गया है।

  • पुलिस की कार्यशैली जनविरोधी और अराजक है।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस का रवैया दमनात्मक हो चला है।


? निष्कर्ष:

टोंक जिले की यह घटना यह दर्शाती है कि पुलिस और जनता के बीच विश्वास की खाई बढ़ती जा रही है। यदि प्रशासन ने समय रहते सामूहिक संवाद और संवेदनशील कार्रवाई की रणनीति नहीं अपनाई, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में और भी गंभीर रूप ले सकती हैं।

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