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कलेक्टर ने सुपोषण प्रचार रथ को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
मोहला /शौर्यपथ / आदिवासी समुदायों के समग्र विकास और शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ दिलाने के उद्देश्य से धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान अंतर्गत जिले में 16 जून से 30 जून तक ग्राम स्तर पर विशेष जागरूकता एवं लाभ संतृप्ति शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
इसी क्रम में आज कलेक्टर श्रीमती तुलिका प्रजापति ने कलेक्ट्रेट परिसर से महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित पोषण अभियान 2.0 सुपोषण प्रचार रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह प्रचार रथ जिले के चिन्हांकित 35 जनजातीय ग्रामों में जाकर आमजन को पोषण, स्वास्थ्य एवं शासन की विभिन्न योजनाओं के प्रति जागरूक करेगा।
इन शिविरों का उद्देश्य विशेष रूप से जनजातीय समुदायों तक सरकारी योजनाओं और सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कर उन्हें सशक्त बनाना है।
प्रत्येक चयनित ग्राम में ग्राम स्तरीय शिविरों के माध्यम से विभिन्न सुविधाएं और प्रमाण पत्र सांकेतिक रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे। जिसमें पहचान व सामाजिक सुरक्षा के लिए हितग्राहियों का आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड, जाति व निवास प्रमाण पत्र बनाया जाएगा। कृषि व वित्तीय सहायता के लिए किसान क्रेडिट कार्ड, मुद्रा ऋण, पीएम-किसान पंजीयन व जन धन खाता खोला जाएगा, बीमा योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा किया जाएगा और वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन के लिए पात्र हितग्राहियों का चयन कर लाभान्वित किया जाएगा। आंगनबाड़ी लाभ, टीकाकरण की सुविधा दी जाएगी इसी प्रकार रोजगार व आजीविका से जोड़ने के लिए मनरेगा, पीएम-विश्वकर्मा योजना में पंजीकृत किया जाएगा व गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण के लिए प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का लाभ व टीकाकरण की सुविधा दी जाएगी। इन शिविरों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मितानिन, पटवारी, मनरेगा अधिकारी, कृषि विभाग के कर्मचारी, छात्रावास अधीक्षक, महिला व बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक, पेंशन विभाग प्रतिनिधि, ग्राम सचिव, आधार ऑपरेटर आदि मौजूद रहेंगे। इस दौरान आदिवासी विकास विभाग सहायक आयुक्त श्री प्रकाश लहरे, महिला बाल विकास अधिकारी श्री चंद्र शेखर मिश्रा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।
जल जीवन मिशन ने दिया आत्मनिर्भरता का अमृत
रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशानुरूप केंद्र एवं राज्य सरकार की सभी योजनाओं का उचित क्रियान्वयन कर आमजनों को समय पर लाभ पहुंचाया जा रहा है। अंतिम पंक्ति पर खड़े व्यक्ति को लाभ पहुंचाकर जनकल्याण सुनिश्चित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल जिले मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी- भरतपुर के विकासखंड मनेंद्रगढ़ स्थित ग्राम पंचायत पाराडोल की एक साधारण गृहिणी श्याम बाई की कहानी अब बदलाव, आत्मनिर्भरता और सामाजिक जागरूकता की मिसाल बन चुकी है। कभी पानी के लिए लंबी दूरी तय करने वाली श्याम बाई आज पूरे गांव में प्रेरणा का प्रतीक बन गई हैं।
श्याम बाई को पानी के लिए रोज़ाना “एक किलोमीटर का संघर्ष करना पड़ता था“
वर्षों से जल संकट की मार झेलते हुए श्याम बाई न केवल अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही थीं, बल्कि सुबह-सवेरे एक किलोमीटर दूर से पानी ढोना उनकी दिनचर्या बन गई थी। गर्मियों में कुएं सूख जाते थे, सार्वजनिक नल काफी दूर होते थे और हर दिन का अधिकांश समय केवल पानी लाने में ही चला जाता था। जिसके चलते उनकी सेहत पर विपरीत असर पड़ता था और अपने बच्चों को भी ज्यादा समय नहीं दे पाती थी।
जब उम्मीदों को मिला सहारा, गांव आया जल जीवन मिशन
श्याम बाई का जीवन तब बदला जब केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “जल जीवन मिशन” का प्रभावशाली क्रियान्वयन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किया गया। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मेहनत, ग्राम पंचायत की सक्रिय भूमिका और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से ग्राम पाराडोल में घर-घर नल कनेक्शन पहुंचाए गए। अब हर घर में स्वच्छ, सुरक्षित और पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी मिल रहा है।
पानी से बढ़ा श्याम बाई का आत्मविश्वास, बना आजीविका का साधन
इस बदलाव ने न केवल श्याम बाई को राहत दी, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर किया। पानी की चिंता मिटते ही श्याम बाई ने अपने खाली समय का सदुपयोग करते हुए गांव की महिलाओं के साथ मिलकर एक स्व-सहायता समूह बनाया, जिसमें वे अचार, पापड़ और अन्य घरेलू उत्पाद बनाकर स्थानीय हाट-बाजार में बेच रही हैं। इससे उनकी आय बढ़ी है, आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अब अपने परिवार की आय में भागीदार बन गई हैं।
गांव में जल जीवन मिशन लागू होने के बाद वहां की पूरी तस्वीर बदल गई है। अब बच्चों को स्कूल जाते वक्त साफ पानी मिलता है, जल जनित बीमारियां घट गई हैं और महिलाओं का समय बच रहा है। महिलाएं अब सिर्फ घर तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में भी सशक्त भूमिका निभा रही हैं। घरेलु आवश्यकताओं को पूरा करने में अपना सहयोग देने से उनका समाज एवं परिवार में मान-सम्मान भी बढ़ा है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को दिल से धन्यवाद
श्याम बाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को इस योजना के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, यह केवल पानी नहीं है, यह सम्मान, आत्मविश्वास और अवसरों की सौगात है। पहले हम पानी के लिए दूर जाते थे, अब पानी हमारे घर आता है और हम गरिमा के साथ जीते हैं।
शक्ति की प्रतीक बनीं श्याम बाई हर महिला के लिए एक संदेश
श्याम बाई की यह प्रेरक कहानी इस बात का प्रमाण है कि जब सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर तक ईमानदारी से पहुंचती हैं, तो वे न केवल जीवनशैली बदलती हैं बल्कि समाज की तस्वीर भी संवारती हैं। जल जीवन मिशन महज एक योजना नहीं, बल्कि यह करोड़ों परिवारों के जीवन में खुशहाली और स्वाभिमान की एक नई सुबह है। श्याम बाई आज केवल एक नाम नहीं, बल्कि वे उन करोड़ों महिलाओं की आवाज़ बन चुकी हैं, जो वर्षों से जल संकट का सामना कर रही थीं। उनकी कहानी बताती है कि जब सरकार, समाज और तकनीक एक दिशा में काम करते हैं, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह जाता।
रायपुर/शौर्यपथ /राज्य में लगातार बढ़ते तापमान और उमस के प्रकोप को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की आशंका को मद्देनज़र बड़ा निर्णय लिया है। शासकीय, अनुदान प्राप्त, गैर अनुदान प्राप्त एवं अशासकीय सभी शालाएं जो 16 जून 2025 से प्रारंभ हो चुकी हैं, अब 17 जून से 21 जून 2025 तक प्रातः 7: 00 बजे से 11: 00 बजे तक संचालित की जाएंगी। यह भी शासन ने स्पष्ट किया है कि दिनांक 23 जून 2025 से सभी स्कूलों का संचालन सामान्य समयानुसार किया जाएगा।
रायपुर/शौर्यपथ /राज्यपाल रमेन डेका से आज यहां राजभवन में छत्तीसगढ़ अग्रवाल संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक अग्रवाल एवं अन्य पदाधिकारियों ने भेंट कर अपनी मांग के संबंध में अनुरोध पत्र सौंपा।
इस अवसर पर श्री सियाराम अग्रवाल, श्री महेंद्र सक्सेरिया, श्री जयदेव सिंद्यल, श्री संजय अग्रवाल, श्री श्लोक अग्रवाल एवं श्री नंद किशोर उपस्थित थे।
रायपुर/शौर्यपथ /राज्यपाल की सुरक्षा में तैनात निरीक्षक श्री नीलकिशोर अवस्थी के उप पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नत होने पर आज राजभवन में स्टार सेरेमनी का आयोजन किया गया। राज्यपाल श्री रमेन डेका ने उनके कंधे पर उप पुलिस अधीक्षक का रैंक लगाया। श्री डेका ने उन्हें बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव डॉ. सी. आर. प्रसन्ना, परिसहाय स्क्वा. लीडर श्री निशांत कुमार, मुख्य सुरक्षा अधिकारी श्री प्रशांत कतलम एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर//शौर्यपथ / भाजपा सरकार के इशारे पर, प्रवर्तन निदेशालय ईडी द्वारा जिला मुख्यालय सुकमा स्थित राजीव भवन को अटैच किये जाने के खिलाफ कांग्रेस ने प्रदेश के सभी जिलों में भाजपा सरकार एवं प्रवर्तन निदेशालय ईडी का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया। ईडी भारतीय जनता पार्टी के एजेंट की भांति काम कर रही है। भाजपा राज्य में विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए ईडी का दुरुपयोग कर रही है। ईडी के अधिकारी भी अपने शासकीय कर्मचारी होने की मर्यादा को भूलकर भाजपा कार्यकर्ता की भांति काम कर रही है। कांग्रेस इसका विरोध करती है तथा ईडी के कार्यप्रणाली के विरोध में पूरे प्रदेश में ईडी का पुतला दहन किया गया।
आज रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी, दुर्ग शहर, दुर्ग ग्रामीण, भिलाई, बेमेतरा, राजनांदगांव शहर, राजनांदगांव ग्रामीण, कवर्धा, जगदलपुर शहर, सुकमा, नारायणपुर, कोण्डगांव, बीजापुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, मुंगेली, कोरबा शहर, कोरबा ग्रामीण, जांजगीर चांपा, रायगढ़ शहर, रायगढ़ ग्रामीण, जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर, कोरिया में ईडी का पुतला फूंका गया।
छत्तीसगढ़ में आवागमन होगा और सुगम:बस्तर अंचल को मिला बड़ा तोहफा
डबल इंजन सरकार में तेजी से हो रहा बस्तर का विकास: कोंडागांव जिले में 307.96 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा 11.38 किमी लंबा 4-लेन केशकाल बाईपास
रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी द्वारा 307.96 करोड़ रुपए की लागत से पेव्ड शोल्डर मानक के साथ 4 लेन में केशकाल बाईपास निर्माण की स्वीकृति प्रदान करने पर प्रदेशवासियों विशेषकर बस्तर अंचल की जनता की ओर से हार्दिक आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि यह बाईपास केशकाल घाट खंड में यातायात बाधाओं को दूर कर सुगम, सुरक्षित व निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि डबल इंजन सरकार में तेजी से बस्तर अंचल का विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्वीकृति केंद्र और राज्य सरकार की समन्वित विकास नीति का परिणाम है, जो बस्तर जैसे जनजातीय अंचल को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक और ठोस कदम है। इस ऐतिहासिक स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी की दूरदृष्टि और पहल के लिए आभार जताते हुए इसे बस्तर के विकास के लिए निर्णायक कदम बताया है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-43 (नया NH-30) पर केशकाल घाट खंड को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए 307.96 करोड़ रुपए की लागत से 11.380 किलोमीटर लंबा 4-लेन बाईपास निर्माण अपग्रेड की स्वीकृति दी गई है। यह बाईपास पेव्ड शोल्डर मानक के अनुरूप होगा और इसके बनने से बस्तर अंचल में कनेक्टिविटी को नया आयाम मिलेगा। यह परियोजना विशेष रूप से केशकाल घाट के कठिन भौगोलिक खंड को पार करने में सहूलियत प्रदान करेगी।
बाईपास के निर्माण से न केवल वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा, बल्कि वाहन चालकों को तेज, सुगम और निर्बाध यात्रा का अनुभव भी मिलेगा।
बाईपास निर्माण से शहरी क्षेत्रों में यातायात का दबाव कम होगा, जिससे स्थानीय नागरिकों को जाम और दुर्घटना की समस्या से राहत मिलेगी। इसके साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी गिरावट आएगी, जिससे पर्यावरणीय संतुलन को भी बढ़ावा मिलेगा।
कोई भी स्कूल अब शिक्षक विहीन नही
एकल शिक्षकीय स्कूलों में 80 फीसद की गिरावट
10,372 स्कूलों का एकीकरण, शिक्षकों का व्यापक युक्तियुक्तकरण
छात्रों को मिलेगी बेहतर शैक्षणिक सुविधा
रायपुर/शौर्यपथ / राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की एक व्यापक और सार्थक पहल की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुरूप मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में यह दूरगामी सुधार, वास्तव में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने और लंबे समय से चली आ रही शैक्षिक विसंगतियों के समाधान का कारगर प्रयास है।
युक्तियुक्तकरण से पहले, छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण अंचल की शालाओं में शिक्षकों की कमी, नगरीय इलाकों और उसके समीप की शालाओं में जरूरत से ज्यादा शिक्षकों की पदस्थपना के कारण शिक्षा प्रभावित हो रही थी और इसका असर बच्चों के परीक्षा परिणाम पर भी पड़ रहा था।
राज्य के लगभग 212 प्राथमिक शालाएं और 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं पूरी तरह से शिक्षक विहीन थीं, जबकि 6,872 प्राथमिक शालाएं और 255 पूर्व माध्यमिक शालाएं केवल एक शिक्षक के साथ संचालित हो रही थीं। इसके अतिरिक्त 211 शालाएं ऐसी थीं जहाँ छात्र संख्या शून्य थी, लेकिन शिक्षक पदस्थ थे। इसके अलावा, 166 शालाओं को समायोजित किया गया, इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की 133 शालाएं शामिल थीं, जिनकी दर्ज संख्या 10 से कम थी और दूरी 1 किमी से कम थी, तथा शहरी क्षेत्रों की 33 शालाएं थीं, जिनकी दर्ज संख्या 30 से कम थी और दूरी 500 मीटर से कम थी।
इन चुनौतियों के बावजूद, छत्तीसगढ़ का छात्र-अध्यापक अनुपात (पीटीआर) राष्ट्रीय औसत से उल्लेखनीय रूप से बेहतर था, प्राथमिक शालाओं के लिए पीटीआर-20 था, जबकि राष्ट्रीय औसत 29 है और पूर्व माध्यमिक शालाओं के लिए पीटीआर-18 था, जबकि राष्ट्रीय औसत 38 है। हालांकि, वितरण असमान था। राज्य में लगभग 17,000 प्राथमिक शालाएं और लगभग 4,479 पूर्व माध्यमिक शालाएं थीं, जिनका पीटीआर-20 से कम था। अकेले शहरी क्षेत्रों में 527 ऐसे विद्यालय थे, जिनका पीटीआर-10 से कम था, जिनमें 15 या उससे अधिक शिक्षकों वाली 08 प्राथमिक शालाएं, 10-15 शिक्षकों वाली 61 शालाएं और 6-9 शिक्षकों वाली 749 प्राथमिक शालाएं थीं, ये आंकड़े बेहतर संसाधन आवंटन की जरूरत को दर्शाते हैं।
इस पहल का मुख्य बिंदु एक ही परिसर में संचालित लगभग 10 हजार 372 शालाओं का एकीकरण था, जिनमें प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल थे। इस विलय से कई लाभ मिलने की उम्मीद है, जिनमें शाला त्यागी छात्रों की संख्या में कमी और छात्रों को बार-बार स्थानांतरण प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता का समाप्त होना शामिल है। यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने, छोटी कक्षाओं के छात्रों को बड़ी कक्षाओं के छात्रों का सहयोग प्राप्त होने, और कंप्यूटर, विज्ञान प्रयोगशाला, खेल-कूद तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से शैक्षणिक समझ और अभिरुचि में वृद्धि के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होगा। इस दृष्टिकोण से प्रशासनिक व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।
विद्यालयों के समायोजन के साथ-साथ, जिला, संभाग और राज्य स्तर पर काउंसलिंग के माध्यम से एक महत्वपूर्ण शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया भी की गई। इस प्रक्रिया के तहत जिला स्तर पर लगभग 13 हजार 793 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया। संभाग स्तर पर 863 का और राज्य स्तर पर 105 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया।
युक्तियुक्तकरण अभियान के प्रारंभिक परिणाम अत्यधिक आशाजनक हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षा विभाग का कहना है कि कोई भी विद्यालय बंद नहीं किया जा रहा है और कोई भी शिक्षक पद समाप्त नहीं हो रहा है। इसके बजाय ध्यान बेहतर अधोसंरचना वाले विद्यालयों का संचालन सुनिश्चित करने पर है।
युक्तियुक्तकरण के पश्चात राज्य में शिक्षक विहीन विद्यालयों की संख्या शून्य हो गई है। एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में प्रभावशाली 80 प्रतिशत की कमी आई है अब लगभग 1,200 शालाएं एकल शिक्षकीय हैं। एक ही परिसर में स्थित 10,372 विद्यलायों का एकीकरण और 166 ग्रामीण एवं शहरी विद्यालयों का समायोजन पूरा हो चुका है। इससे लगभग 89 प्रतिशत विद्यार्थियों को बार-बार प्रवेश प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। छात्रों को अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध होंगे और विद्यालय की समय सारिणी एवं अन्य गतिविधियों में अधिक एकरूपता रहेगी। इस पहल का उद्देश्य उपचारात्मक शिक्षण द्वारा छात्रों की समझ को बेहतर बनाना भी है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करके, छत्तीसगढ़ न केवल वर्तमान कमियों को दूर कर रहा है, बल्कि एक ऐसे भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रख रहा है। जहाँ प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्राप्त होगी, जिससे समग्र विकास और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा। युक्तियुक्तकरण का यह कदम एक अधिक कुशल, न्यायसंगत और प्रभावी शैक्षिक वातावरण बनाने के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
मुख्यमंत्री के हाथों 31 मेधावी श्रमिक बच्चों को मिली 2-2 लाख की प्रोत्साहन राशि
मुख्यमंत्री ने 38 हजार श्रमिकों के खातों में ऑनलाइन अंतरित किए 19.71 करोड़ की सहायता राशि
रायपुर /शौर्यपथ /"हम श्रमिक परिवारों के सशक्तिकरण और उत्थान के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। आपका स्नेह और सहयोग ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है और हम सब मिलकर एक विकसित, समृद्ध और सशक्त छत्तीसगढ़ के संकल्प को साकार करेंगे।" मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में आयोजित मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के तहत कक्षा दसवीं और बारहवीं के टॉप 10 में स्थान पाने वाले पंजीकृत श्रमिकों के 31 मेधावी बच्चों को दो-दो लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि का वितरण कर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में पंजीकृत राज्य के 38 हजार 200 निर्माण श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के तहत 19.71 करोड़ रूपए से ज्यादा की सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की।
मुख्यमंत्री ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में उत्कृष्ट परिणाम हासिल करने वाले श्रमवीरों के मेधावी बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारी सरकार श्रमिक परिवारों की आवश्यकताओं को भली-भांति समझती है और उनके समग्र कल्याण के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि आज श्रमिक परिवार का बच्चा विदेश जाकर पढ़ना चाहे तो उसके लिए भी 50 लाख रुपए तक की सहायता का प्रावधान श्रम विभाग द्वारा किया गया है। श्री साय ने कहा कि हम नवाचार के साथ कदमताल करते हुए ऐसी नीतियां बना रहे हैं, जिनसे प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मिले। प्रदेश की आकर्षक उद्योग नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि अब तक 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव राज्य सरकार को प्राप्त हो चुके हैं, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
श्री साय ने श्रम मंत्रालय में केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि श्रमिकों से मेरा विशेष लगाव है और श्रमिकों के हित में कार्य करना हमेशा संतुष्टि देता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रथम कार्यकाल में दो वर्षों तक श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी और उनके नेतृत्व में श्रम राज्यमंत्री के रूप में श्रमिकों के पेंशन सुधार की दिशा में हमने कई ऐतिहासिक कदम उठाए और न्यूनतम पेंशन की राशि सुनिश्चित की। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्रमिकों को लेकर संवेदनशील है और उनके निर्देश पर ही श्रमिकों के प्रोविडेंट फंड (PF) में वर्षों से पड़ी लगभग 27 हजार करोड़ रुपए की अन्क्लेम्ड राशि का उपयोग उनके हित में करने का बड़ा निर्णय भी इस दौरान हमने लिया था। राज्यमंत्री के रूप में यूनिवर्सल पीएफ नंबर की शुरुआत हमारी सरकार ने की, जिससे श्रमिकों द्वारा बार-बार पीएफ राशि क्लेम करने की समस्या दूर हुई।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर सभी से आग्रह करते हुए कहा कि श्रम विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी अन्य ज़रूरतमंदों तक अवश्य पहुंचाएं, ताकि अधिक से अधिक श्रमिक इनका लाभ उठा सकें। उन्होंने श्रमिकों के लिए गर्म और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के साथ ही प्रदेश में संचालित अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी साझा की।
उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश चहुंमुखी विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इन डेढ़ वर्षों में "मोदी की गारंटी" के तहत सभी वादों को पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि आज विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 38 हजार 2 सौ श्रमिकों को 19.71 करोड़ रुपये एवं प्रवीण्य सूची में चयनित 31 विद्यार्थियों को 62 लाख रुपये की राशि प्रदान की जा रही है। श्री देवांगन ने बताया कि शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना के तहत 17 जिलों के 46 केन्द्रों में श्रमिकों को 5 रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और भविष्य में इसे सभी उद्योग प्रधान जिलों में लागू किया जाएगा। इसके साथ ही श्रमिकों के बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग सुविधा प्रारंभ करने की जानकारी भी दी।
श्रम मंत्री ने कहा कि नई उद्योग नीति के तहत उद्योगों की स्थापना के लिए नियमों को सरल बनाया गया है , जिससे निवेश बढ़ा है एवं युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष डॉ. राम प्रताप सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संकल्प के साथ प्रदेश विकास की नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है। मण्डल के माध्यम से प्रदेश में 31 जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनमें नोनी सशक्तिकरण, महतारी जतन, श्रमिक सियान सहायता जैसी योजनाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मण्डल प्रदेश के 29.47 लाख पंजीकृत श्रमिकों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक सहायता उपलब्ध करा रहा है। श्रमिक अपना पंजीकरण श्रमेव जयते ऐप, लोक सेवा केन्द्र या श्रम कार्यालय में करवा सकते हैं।
नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना ने बदली मजदूर परिवार के बच्चों की ज़िंदगी
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के सामने मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना से लाभान्वित बच्चों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए आभार व्यक्त किया। सभी बच्चों ने कहा कि वे मजदूर और गरीब परिवारों से हैं, लेकिन इस योजना ने उन्हें पढ़ाई का अवसर दिया। यह योजना श्रमिक परिवारों के सपनों को नई उड़ान दे रही है।
सूरजपुर जिले के भैयाथान के हीरा सिंह ने बताया कि आईआईआईटी से बी टेक की पढ़ाई पूरी कर अब जूनियर डेटा साइंस डेवलपर बन चुके हैं। इस योजना से उन्हें 4.10 लाख रुपए की सहायता मिली, जिससे उनकी पढ़ाई पूरी हो पाई थी।
इसी तरह बी.टेक अंतिम वर्ष के छात्र अमलेंद्र पैंकरा ने बताया कि उनका परिवार मजदूरी कर जीवन यापन करता है और इस योजना की मदद से कॉलेज की फीस भर पा रहे हैं।
एक अन्य छात्र दीपक पैंकरा ने सूरजपुर के छोटे से गांव से आईआईआईटी, रायपुर में एडमिशन तक के अपने संघर्ष भरे सफर को साझा किया। दीपक ने बताया कि योजना के माध्यम से अपने बीटेक की पढ़ाई की फीस भर रहे हैं और योजना से उन्हें लगभग 4 लाख रुपए की सहायता प्राप्त हो चुकी है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने सभी श्रमवीरों के बच्चों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
योजनाओं और उनके लाभार्थियों की संख्या और राशि का विवरण इस प्रकार है
मिनीमाता महतारी जतन योजना अंतर्गत 1,915 श्रमिकों को 3.83 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना अंतर्गत 279 श्रमिकों को 10.33 लाख रूपए, मुख्यमंत्री श्रमिक औजार सहायता योजना अंतर्गत 6,319 श्रमिकों को 2.19 करोड रूपए, मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना अंतर्गत 12 श्रमिकों को 94 हजार 800 रूपए, मुख्यमंत्री नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत 4,825 श्रमिकों को 96.17 लाख रूपए, मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना अंतर्गत 155 श्रमिक परिवार को 37.63 लाख रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक दीर्घायु सहायता योजना अंतर्गत 2 श्रमिकों को 40 हजार रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर सुरक्षा उपकरण सहायता योजना अंतर्गत 4,939 श्रमिकों को 74.08 लाख रूपए, निर्माण श्रमिकों के बच्चे हेतु उत्कृष्ट खेल प्रोत्साहन योजना अंतर्गत 1 श्रमिक को 50 हजार रूपए, दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना अंतर्गत 7 श्रमिकों को 7 लाख रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना अंतर्गत 264 श्रमिकों को 2.64 करोड रूपए़, मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण सहायता योजना अंतर्गत 2,486 श्रमिकों को 4.97 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री श्रमिक सियान सहायता योजना अंतर्गत 372 श्रमिकों को 74.40 लाख रूपए, निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु निशुल्क गणवेश एवं पुस्तक कॉपी हेतु सहायता राशि योजना अंतर्गत 15,066 श्रमिकों को 2.00 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना अंतर्गत 25 श्रमिकों को 25 लाख रूपए प्रदाय किए गए। यह पहल राज्य के निर्माण श्रमिकों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इस अवसर पर श्रम विभाग की संयुक्त सचिव डॉ. फरिहा आलम, प्रभारी श्रम आयुक्त श्री एस एल जांगड़े सहित श्रम विभाग के अधिकारी कर्मचारी और श्रमिक परिवारजन मौजूद रहे।