August 04, 2025
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पिता ही है दुनिया पिता के सपनों को साकार करने में लगे हुए हैं इंदर सिंह Featured

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शौर्यपथ लेख। दुर्ग जिले में वीरा सेठ  को कौन नहीं जानता वीरा सेठ मतलब ट्रांसपोर्ट जगत के राजा जितने बड़े व्यक्ति थे उतना ही बड़ा उनका दिल गरीबों का ख्याल रखना मदद उनका मकसद रहा अपने जीवन काल में उन्होंने पैसा तो बहुत कमाया किंतु पैसे के साथ जो इज्जत शोहरत कमाई वो उनके जाने के बाद भी आज जीवित है आज भी वीरा सेठ का नाम दुर्ग जिले बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है ।
   आज वीरा सेठ को जीवित रखने में उनकी यादों को आम जनता के दिलो में कायम रखने में उनके पुत्र इंदर सिंह ने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है  । आज जहा दुनिया में पैसे के खातिर बेटा बाप का दुश्मन बन जाता है वही इंदर सिंह अपने पिता के द्वारा किए हुए कार्यों को ना सिर्फ अनवरत जारी रख रहे है बल्कि आगे भी बढ़ा रहे।आज जिस तरह से इस जमाने में जहा दूसरे लोग स्वास्थ के क्षेत्र में लूट खसोट कर रहे है वही उच्चतम स्तर की स्वास्थ्य सेवा एस बी एस हॉस्पिटल के माध्यम निम्मतम मूल्य पर उपलब्ध करा रहे है । अपने सैकड़ों स्टाफ के साथ हर उस व्यक्ति की मदद के लिए तैयार रहते है जो जरूरत मंद है सामाजिक क्षेत्र में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले इंदर सिंह उर्फ छोटू भैया आज भिलाई ही नही दुर्ग जिले की पहचान बन गए है । जो कार्य सरकार आम जनता के हित के लिए करती है वही कार्य छोटू भैया उर्फ इंदर सिंह कर रहे है । अपने पिता की पुण्यतिथि में 3 अक्टूबर को इंदर सिंह ने जिस तरह ट्रांसपोर्ट क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों के बेटियो के विवाह में 25 हजार की सहायता राशि देने का पुनीत कार्य का आगाज किया वह उनके पिता की आत्मा को सुकून ही देगा और आज इस ब्रम्हांड में जहा भी वीरा सेठ होंगे वह गर्व महसूस कर रहे होंगे और सीना चौड़ा कर कह रहे होंगे की वो देखो मेरा बेटा इंदर सिंह है मेरा बेटा है समाज को अपना समझने वाले वीरा सिंह बेटे के लिए बस मेरा बेटा है कहकर खुश हो रहे होंगे । सच में नमन है वीरा सेठ को जिन्होंने एक ऐसा बेटा समाज को दिया जो निरंतर सेवा भाव से समाज की सेवा कर रहा ऐसा बेटा की चाह आज हर व्यक्ति को होगा मेरी नजर में वीरा सेठ से ज्यादा आदर सम्मान आज इंदर सिंह के लिए है जिन्होंने अपने पिता के सपने को जीवित ही नहीं रखा बल्कि उसे निरंतर बढ़ा रहे है । सही मायने में देखा तो आज इन्दर सिंह से मुझे प्रेरणा मिलती है आज मेरे जीवन का लक्ष्य भी बस यही है कि मेरे शौर्य का ना इस दुनिया में हमेशा जीवित रहे और यही मेरे जीवन का मकसद है कहा तक सफल हो पाऊंगा ये तो नहीं पता पर कोशिश निरंतर ज़ारी रहेगी शोर्य तेरा पापा तेरे लिए कुछ नहीं कर पाया किन्तु तेरे नाम को जीवित रखना ही जिन्दगी का मकसद बन गया है .
लेख वीरा सेठ को समर्पित ??
शरद पंसारी ( संपादक शौर्यपथ दैनिक समाचार )

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