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शौर्यपथ लेख : आज देश भर में जहां कर्नाटक चुनाव के नतीजों की चर्चा चल रही है और दिन भर मीडिया समूह द्वारा चुनाव के नतीजों का इंतजार किया जाता रहा एवं पल-पल की खबर दी जाती रही किंतु जैसे-जैसे कांग्रेस पार्टी बहुमत की ओर बढ़ती गई भारत के मीडिया चैनल इस खबर को स्थान देने से कतरा ने लगे कई मीडिया चैनल यूपी में हुए निकाय चुनाव की खबरों को प्रमुखता से स्थान देते हुए निकाय चुनाव के बारे में चर्चा परिचर्चा करने एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए नजर आए. देश में निकाय चुनाव से बढ़कर असेंबली चुनाव होते हैं किंतु भारत के ऐसे कई टीवी चैनल से जो कांग्रेस की जीत को शायद पचा नहीं पा रहे हैं या फिर अपने आकाओं के दुख में साथ देने का और उनकी जी हुजूरी करने में लगे हैं .
भारत के लोकतंत्र में मीडिया समूह को चौथा स्थान के रूप में माना जाता है और निष्पक्ष समाचार ही इनकी प्रमुख पहचान होती है किंतु जिस तरह से देखने में आ रहा है कि कर्नाटक की जीत के बाद कई मीडिया समूह कर्नाटक से उत्तर प्रदेश की ओर अपना रुख कर लिए हैं और उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के खबरों को प्रमुखता से स्थान देते हुए योगी आदित्यनाथ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए नजर आ रहे हैं . ऐसा नहीं है कि यूपी निकाय चुनाव में योगी आदित्यनाथ का जादू नहीं चला हो उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में 17 में 17 निकायों में भाजपा की जीत ये संदेश देती है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ कि सरकार के कामकाज से आम जनता खुश है और मतों के द्वारा अभी भी योगी आदित्यनाथ के साथ है भाजपा के साथ है . देखा जाए तो उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में कोई बहुत बड़ा उलटफेर नहीं हुआ है पिछले चुनाव में 16 नगर निकाय चुनाव में 14 सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा और 2 सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है इस बार 17 निकाय चुनाव में 17 के 17 सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई .
वही अगर कर्नाटक की बात करे तो इससे बड़ा उलटफेर कर्नाटक में हो गया जहां विधानसभा की 224 सीटों में बहुमत के लिए जरूरी 113 सीटों से आगे बढ़ते हुए कांग्रेस ने 136 सीटों पर जीत हासिल कर एक बड़ा उलटफेर कर दिया कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को 39 सीटों का नुकसान हुआ है मतदान के बाद कई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी को 80 से 90 सीट किसी किसी मीडिया चेनल में 110 से 120 सीट मिलने का दावा किया जाता रहा किंतु उससे बड़ा उलटफेर होते हुए भारतीय जनता पार्टी के खाते में 65 सीट आई किंतु इतने बड़े उलटफेर के बाद भी कई मीडिया चैनल कर्नाटक से अपना रुख हटाते हुए अन्य छोटी बड़ी खबरों को दिखाने में व्यस्त हो गए .
क्या स्वतंत्र मीडिया अब भारत में संभव नहीं है क्या बिना आकाओं के अनुमति के सच्ची और निष्पक्ष खबरें दिखाना भी अब बंद होने लगेगा. भारत के 140 करोड़ की जनता को अब निष्पक्ष खबरें देखने के लिए किसी और साधनों का उपयोग करना पड़ेगा. मीडिया चौथा स्तंभ ना होकर एक कठपुतली के रूप में आम जनता की नजरों में और सोच में शामिल हो जाएगा.
सभी मीडिया चैनल को यह अधिकार है कि वह क्या खबर दिखाएं और क्या खबर नहीं दिखाएं किंतु आज भारतीय राजनीति में कई सालों बाद कर्नाटक में एक बड़ा उलटफेर हुआ है परन्तु इसे वह स्थान नहीं मिल पाया जिस की हकदार कांग्रेस पार्टी थी क्या इस तरह की प्रथा भविष्य में और विकराल रूप लेगी . क्या निष्पक्ष पत्रकारिता अब एक पुरानी बातें ही रह जाएंगी जिसे सिर्फ किताबों में ही पढ़ा जाएगा साक्षात रुप से कभी देखना मुनासिब ना होगा....
लेखक के निजी विचार
लेख - शरद पंसारी
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