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दुर्ग / शौर्यपथ / विधानसभा क्षेत्र में अगर दुर्ग विधानसभा की बात करें तो दुर्ग विधानसभा में दुर्ग की जनता किसे विधायक के रुप में देखना चाहती है इसके लिए आम जनता को भाजपा के उम्मीदवारों की तरफ ही देखना पड़ेगा जैसा कि पिछले 5-6 विधानसभा चुनाव से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में बिना किसी दावेदारी के स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के पुत्र एवं वर्तमान विधायक अरुण वोरा ही कांग्रेस से एकमात्र दावेदार एवं प्रत्याशी रहते थे वही स्थिति इस विधानसभा चुनाव में भी होने वाली है कांग्रेस से कांग्रेस से विधायक पद के दावेदार के रूप में कोई भी सामने नहीं आ रहा और ना ही आने वाले समय में सामने आएगा ऐसी चर्चा आम जनता में जोरों पर है वही आम जनता की अब निगाहें विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के ऊपर टिकी है कि भारतीय जनता पार्टी से कौन सा उम्मीदवार है मैदान में उतरेगा . चुनाव रोचक होगा या नहीं इसका सारा दारोमदार अब भारतीय जनता पार्टी के घोषित प्रत्याशी के ऊपर ही टिकी हुई है ।
यह तो सर्व विदित है कि दुर्ग भारतीय जनता पार्टी में अंदरुनी जंग के कारण विधानसभा चुनाव और नगरी निकाय चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है किंतु इस बार जिस तरह से संगठन में सक्रियता से जितेंद्र वर्मा का कार्यकाल चल रहा है और संगठन में रूठे हुए लोगों को मना कर एक बार फिर भाजपा एकजुट होने का प्रयास कर रही है उसमें कितनी सफलता मिलेगी या तो आने वाला समय ही बताएगा .
बंगले की पसंद का या संगठन की पसंद का होगा उम्मीदवार ....
दुर्ग की जनता ने सांसद सरोज पाण्डेय का भरपूर सहयोग किया किन्तु पाण्डेय गुट के उम्मीदवार पर आज भी दुर्ग की जनता विश्वास नहीं कर पा रही.. दुर्ग में पाण्डेय गुट के कार्यकर्त्ता पार्टी के प्रति समर्पित तो है किन्तु आम जनता की पहुँच से काफी दूर कुछ सालो से दुर्ग की जनता के बीच सांसद सरोज पाण्डेय की आम जनता से दुरी चर्चा का विषय है . पूर्व अध्यक्ष उषा टावरी और शिव तमेर के कार्यकाल में संगठन निष्क्रिय रहा जो कि जितेन्द्र वर्मा के कार्यकाल के बाद सक्रीय हुआ जिससे एक बार फिर संगठन में अंदरूनी जंग आरम्भ हो गयी जो केन्द्रीय गृह मंत्री के दुर्ग आगमन पर खुलकर सामने दिखने लगी . ऐसे में दुर्ग में भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी चयन और घोषित उम्मीदवार पर एक बार फिर गुटीय द्वन्द चुनावी परिणाम में असर डाल सकती है पिछले विधान सभा चुनाव में निष्क्रिय महापौर और गुटीय मतभेद से भाजपा प्रत्याशी की बुरी तरह हार हुई थी , निगम चुनाव में भी इसका असर देखने को मिला .
किंतु कहते हैं कि चुनाव के पहले दावेदार पोस्टर के माध्यम से सक्रिय हो जाते हैं वैसा ही नजर अब भारतीय जनता पार्टी के तरफ से भी देखने को मिल रहा है अचानक से दुर्ग शहर में तीन-चार नाम लगातार सामने आते जा रहे हैं और यह पोस्टरो के माध्यम से भी साफ नजर आ रहा है इसलिए नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के तात्कालिक सभापति राजकुमार नारायण से वार्ड पार्षद का चुनाव हारने के बाद संगठन में अपनी सक्रियता से दुर्ग जिला उपाध्यक्ष तक का सफर करने वाले के.एस चौहान के बारे में भी ऐसी चर्चा चल रही है कि वह भी दावेदारी के लिए प्रयासरत हैं शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति और व्यापारी चतुर्भुज राठी की सक्रियता भी बढ़ती जा रही है आम जनता के बीच में चर्चा का विषय है कि क्या चतुर्भुज राठी भी विधायक की दावेदारी के रूप में अपने आप को पेश कर रहे हैं सोशल मिडिया में राइजिंग पोल में पसंद के विधायक में चतुर्भुज राठी एवं अरुण वोरा के नाम से पोलिंग सर्वे भी शुरू हो गया किसने ये सर्वे शुरू किया यह तो ज्ञात नहीं किन्तु राजनीती में बिना आग के धुवा नहीं उठता .इसी प्रकार पोस्टर की राजनीति से दूर रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं राज्यसभा सांसद व भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे के करीबी कांतिलाल बोथरा भी अचानक पोस्टर की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं आज 5 अगस्त को उनके जन्मदिन है और सालों बाद ऐसा पहली बार देखने को मिलना है कि जगह-जगह उनके जन्मदिन के बधाई के पोस्टर लगे हुए हैं वही राज्य सभा सांसद डॉक्टर सरोज पांडे के उपाध्यक्ष बनने की बधाई के भी पोस्टर उनके द्वारा शहर भर में लगाए गए । आज के राजनीतिक परिवेश में दावेदारी का जो प्रथम चरण रहता है वह पोस्टर की राजनीति से ही आरंभ होता है आम जनता अपने पुराने अनुभव के अनुसार चौक चौराहों में आजकल इसी चर्चा में व्यस्त रहती है कि कौन सा व्यक्ति कितने पोस्टर लगा रहा है और क्या वह विधायक प्रत्याशी का दावेदार के रूप में अपने नेताओं को खुश कर रहा है ।
अभी विधानसभा चुनाव होने में 3 महीने का समय है आने वाले समय में अचानक ऐसे और नेता 15 अगस्त,नवरात्रि ,दशहरा ,दिवाली के समय बधाई संदेशों से पोस्टरों के माध्यम से अपनी दावेदारी को मजबूत करने की जुगत में रहेंगे पर टिकट किसे मिलेगी यह तो पार्टी आलाकमान ही तय करती है किंतु यह भी सत्य है कि छत्तीसगढ़ के वर्तमान परिपेक्ष में दुर्ग में अगर भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल करनी है तो छत्तीसगढ़िया मूल के किसी नेता को सामने लाना होगा उसके साथ यह भी जरूरी होगा कि उस प्रत्याशी को सभी गुटों का साथ मिले वरना हर बार की तरह आंतरिक जंग की वजह से एक बार फिर भाजपा की हार होगी.
डॉ.सरोज पाण्डेय के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष बनने के बाद नई चर्चा ने जन्म ले लिया कि इस बार भी प्रत्याशी का चयन पाण्डेय गुट के ही किसी व्यक्ति का होगा ऐसे में संगठन का और आम जनता का कितना साथ मिलता है प्रत्याशी को यह संशय का विषय है . भूपेश सरकार के अस्तित्व में आने के बाद छत्तीसगढ़ के अधिकतर विधानसभा क्षेत्र में जनता छत्तीसगढ़िया उम्मीदवार कि तरफ रुख करने का मन बना रही है यही कारण है कि सालो से छत्तीसगढ़ की राजनीती करने वाले नेता चाहे वो किसी भी दल के हो अपने आप को ठेठ छत्तीसगढ़िया बताने की असफल कोशिश कर रहे है .
लेख आम जनता से चर्चो के आधार पर ...
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