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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
रायपुर / शौर्यपथ / कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच राहत की भी खबर है। प्रदेश के विभिन्न कोविड अस्पतालों और आइसोलेशन सेंटर्स (कोविड केयर सेंटर्स) से पिछले एक सप्ताह में 1581 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया है। वहीं प्रदेश में अब तक कुल दस हजार 598 मरीज कोरोना को मात दे चुके हैं। इनमें से 3296 मरीज रायपुर जिले के हैं। पिछले एक हफ्ते में रायपुर जिले से 620, राजनांदगांव से 153, बिलासपुर से 127, दुर्ग से 95 और जांजगीर-चांपा जिले से 53 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं। अस्पताल से घर लौटने वाले मरीजों को सावधानीपूर्वक दस दिनों के होम आइसोलेशन में रहने कहा गया है।
राज्य शासन द्वारा कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए लगातार जांच और इलाज की सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। सरकार द्वारा तत्परता से उठाए जा रहे कदमों की वजह से रोज बड़ी संख्या में मरीज स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं। कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए सभी जिलों में सैंपल जांच की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। रोजाना दस हजार से अधिक सैंपलों की जांच की जा रही है। राज्य में अब तक दस हजार 598 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। इनमें रायपुर जिले के 3296, राजनांदगांव के 888, दुर्ग के 865, बिलासपुर के 788, जांजगीर-चांपा के 526, बलौदाबाजार-भाटापार के 428, कोरबा के 421, रायगढ़ के 291, जशपुर के 266, कांकेर के 260, सरगुजा के 252, बलरामपुर-रामानुजगंज के 245 तथा बस्तर के 231 मरीज शामिल हैं।
कोविड अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर्स में इलाज के बाद कबीरधाम जिले के 192, मुंगेली के 174, नारायणपुर के 172, महासमुंद के 171, दंतेवाड़ा के 144, बेमेतरा और कोरिया के 138-138, गरियाबंद के 118, कोंडागांव के 109, बालोद के 108, सूरजपुर के 101, सुकमा के 91, बीजापुर के 86, धमतरी के 62 और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के 31 मरीज पूर्णतः स्वस्थ हो चुके हैं। प्रदेश में वर्तमान में कोविड-19 की मृत्यु दर 0.94 प्रतिशत एवं रिकवरी दर 66.14 प्रतिशत है, जबकि इनका राष्ट्रीय औसत क्रमशः 1.93 प्रतिशत और 72.51 प्रतिशत है।
रायपुर / शौर्यपथ / शासन की गोधन न्याय योजना से पशुपालकों को अब सीधा लाभ मिलने लगा है और यह उनकी अतिरिक्त आमदनी का जरिया बन गई है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में गोधन न्याय योजना एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई है। इससे जहां एक ओर पशुपालकों को गोबर विक्रय से आमदनी होने लगी है। वहीं दूसरी ओर इसी गोबर से स्वसहायता समूह वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर आर्थिक लाभ अर्जित करने लगे है। इससे स्व-सहायता समूह की महिलाओं को स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार मिला है। किसानों को जैविक खेती के लिए अच्छी गुणवत्ता की वर्मी कम्पोस्ट भी सहजता से उपलब्ध होने लगी है। गोधन न्याय योजना से राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहन मिला है।
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के ग्राम चारभाठा के पशुपालक श्री प्रमोद यदु ने 5 हजार 758 किलो गोबर विक्रय किया है, जिससे उन्हें 11 हजार 516 रूपए की राशि प्राप्त होने पर उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद ज्ञापित किया है। इसी गांव के पशुपालक श्री अरूण कुमार यदु ने बताया कि गोधन न्याय योजना से उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि 3 हजार 908 किलो गोबर विक्रय कर चुके हैं और 7 हजार 816 रूपए की राशि उनके खाते में आ गई है। अब उन्हें दूध के अलावा गोबर बचने से भी लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि शासन की गोधन न्याय योजना पशुपालकों के लिए हितकारी है। छुरिया विकासखंड के ग्राम महराजपुर के पशुपालक श्री सतनाम सिंह ने बताया कि गोधन न्याय योजना में गोबर बेचने से तत्काल राशि मिल जाती है। जिससे इस राशि का उपयोग पशुओं के लिए अच्छा चारा और घरेलू कार्य में करेंगे। उन्होंने बताया कि 2 हजार 820 किलो गोबर बेच चुके हैं, जिससे 5 हजार 640 रूपए की राशि मिली है। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना से आर्थिक स्थिति में मदद मिली है। श्री सिंह ने प्रदेश के मुखिया के प्रति आभार व्यक्त किया है।
गोधन न्याय योजना से डोंगरगांव विकासखंड के झीका निवासी श्री दिनेश यादव ने 3 हजार 92 किलो गोबर विक्रय कर 6 हजार 184 रूपए प्राप्त कर गोधन योजना से लाभान्वित हुआ है। इसी तरह खैरागढ़ विकासखंड के कोटरीछापर निवासी श्री नेहरू ने 2 हजार 700 किलो गोबर विक्रय कर 5 हजार 400 रूपए, डोंगरगढ़ विकासखंड के मुरमुंदा निवासी श्री किसुन यादव ने 2 हजार 524 किलो गोबर बेचकर 5 हजार 48 रूपए तथा ग्राम खुर्सीपार निवासी श्रीमती सुमरिनबाई ने 1 हजार 804 किलो गोबर विक्रय कर 3 हजार 608 रूपए, छुईखदान विकासखंड के हनईबन निवासी श्री श्रीमती शकुन ने 2 हजार 182 किलो गोबर विक्रय कर 4 हजार 364 रूपए तथा ग्राम पथर्रा निवासी श्री सुजनदास ने 1 हजार 740 किलो गोबर विक्रय कर 3 हजार 480 रूपए, छुरिया विकासखंड के पांगरीखुर्द निवासी श्री माखनलाल ने एक हजार 48 किलो गोबर बेचकर 2 हजार 96 रूपए, मोहला विकासखंड के मोहला निवासी श्री भूषण प्रसाद ने 891 किलो गोबर बेचकर एक हजार 782 रूपए तथा ग्राम पलान्दुर निवासी श्रीमती यशोदाबाई ने 339 किलो गोबर विक्रय कर 678 रूपए प्राप्त कर गोधन न्याय योजना से लाभान्वित हुई है।
रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना के लाभ को देखते हुए गांवों में उत्साह का वातावरण बना है। इसके जरिए ग्रामीणों, पशुपालकों और महिला समूहों को होने वाली अतिरिक्त आमदनी के चलते पशुओं के संरक्षण और संवर्धन का एक अच्छा वातावरण तैयार होने लगा है। पशुओं के चारापानी और उनके देखभाल का बेहतर प्रबंध पशुपालक करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी से गोधन न्याय योजना को जोड़ देने से यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत कड़ी बन गई है। गौठानों के संचालन में जुड़े समूह अब गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीद कर बड़ी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करने लगे हैं, जिससे उन्हें रोजगार मिलने के साथ ही अतिरिक्त आमदनी भी होने लगी है। ऐसे गौठान जहां वर्मी खाद का निर्माण नहीं हो रहा था, गोधन न्याय योजना शुरू होते ही वहां भी वर्मी खाद तैयार करने में महिला समूह पूरे उत्साह से जुट गए हैं।
गोधन न्याय योजना का लाभ उठाते हुए जशपुर जिले के मनोरा विकासखंड के ग्राम पंचायत रेमने के गेड़ई गौठान की गांधी स्वसहायता समूह की महिलाएं अब जैविक खाद तैयार करने में जुट गई हैं। गोधन न्याय योजना शुरू होते हुए गांधी महिला समूह की महिलाओं ने गौठान में वर्मी कम्पोस्ट बनाने की तैयारी शुरू कर दी। गेड़ई गौठान में 32.86 क्ंिवटल गोबर की खरीदी पशुपालको से की गई है, जिसका भुगतान जिला प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है। पहले गांव के पशुपालक गोबर को अपने बाड़ी में फेंक दिया करते थे, परंतु इस योजना का लाभ उठाकर हर पशुपालक गोबर को गौठान में बेचने लगे हैं। गांधी स्वसहायता समूह की महिलाओं को कृषि विभाग द्वारा जैविक खाद निर्माण के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया गया है। गोबर से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया समूह द्वारा शुरू कर दी गई है।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की संस्कृति और सुख-समृद्धि के प्रतीक का त्यौहार तीजा-पोरा आज मुख्यमंत्री निवास में परम्परागत रूप से मनाया गया। मुख्यमंत्री ने विशाल शिवलिंग की पूजा कर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने नांदिया-बैला, चुकिया, पोरा, जांता की पूजा की और छत्तीसगढ़ के विशिष्ट व्यंजन चीला का भोग लगाया। उन्होंने कहा कि हमें कोरोना संक्रमण से बचते हुए तीजा मनाना है। गांवों में ग्रामीण व्यवस्था के तहत कोरोना से सुरक्षा के लिए मुनादी कराया गया होगा। हम ग्रामीण व्यवस्था का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में शासन द्वारा कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के प्रचार-प्रसार के लिए आज तीजा-पोरा के शुभ अवसर पर पांचों संभागों के लिए प्रचार रथ रवाना किए हैं। ये रथ सभी जिलों, विकासखण्ड़ों और गांवों में जाकर राम वन गमन पर्यटन परिपथ के बारे में एलईडी प्रर्दशनी के माध्यम से लोगों को बताएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनभागीदारी के लिए राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकास कोष का गठन किया गया है। इस कोष में एकत्रित राशि को देवालयों-देवगुडी के विकास में भी लगाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत की जा रही गोबर खरीदी की चर्चा दुनिया में हो रही हैं। यह योजना ग्रामीण समृद्धि के लिए है। अब गोबर कीमती हो गया है। लोग सायकल, मोटर-सायकल और कार में गोबर लेकर बेचने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी की जयंती पर आगामी 20 अगस्त को किसान न्याय योजना के तहत दूसरे किश्त की राशि के साथ ही गोबर खरीदी के भुगतान राशि और तेन्दूपत्ता बोनस की राशि एक साथ हितग्राहियों के खाते में डालेंगे। मुख्यमंत्री ने तीजा-पोरा मनाने प्रदेश भर से आयी महिलाओं को बधाई दी। उन्होंने कोरोना संक्रमण से बढ़ते आंकड़े पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि बचाव ही सुरक्षा है इसलिए सभी मास्क लगाएं और बार-बार सेनेटाईजर का उपयोग करें।
कार्यक्रम में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ के परम्परिक तीज त्यौहारों और यहां के रहन-सहन, आचार-विचार को जागृत करने का काम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया है। मुख्यमंत्री ने 150 साल पहले से मनाए जा रहे राजिम माघी पुन्नी मेला को फिर से शुरू किया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की संस्कृति की रक्षा के लिए विधानसभा में विधेयक भी पास कराया है। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया में कहा कि हम सभी तीजा-पोरा मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव का पालन करते हुए परम्परा के अनुरूप तीजा तिहार मनाना है। विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल हमारे पुरखों का सपना पूरा कर रहे हैं और छत्तीसगढ़ की गौरवशाली परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर निवास में आज लगातार दूसरे साल परंपरागत पोरा-तीजा का तिहार छत्तीसगढ़ी संगीतमय वातावरण में हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री बघेल ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती मुक्तेश्वरी बघेल के साथ कार्यक्रम में शामिल होकर भगवान शिव, नांदिया बैला और चुकियां-पोरा की पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। उन्होंने इस अवसर पर सभी माताओं और बहनों को त्यौहार की बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री निवास में पोरा-तीजा तिहार के लिए विशेष इंतजाम किये गये। मुख्यमंत्री निवास परिसर को छत्तीसगढ़ की परम्परा और रीति-रिवाज के अनुसार सजाया गया था। निवास पूरी तरह छत्तीसगढ़िया रंग में रंगा नजर आया। छत्तीसगढ़ी लोक संगीत, नृत्य, ठेठरी, खुरमी, चीला, मालपूआ जैसे पारंपरिक पकवान के इंतजाम किए गए थे। जिसे लेकर महिलाओं में बहुत उत्साह देखा गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने राम वन गमन पथ पर आधारित रथ को भी रवाना किया। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि आशीष सिंह और सुश्री शकंुतला साहू, राज्य सभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, श्रीमती फूलोदेवी नेताम, विधायक मोहन मरकाम, श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक, पूर्व सांसद श्रीमती करूणा शुक्ला सहित जनप्रतिनिधि और माताएं-बहनें उपस्थित थीं। कोविड -19 के प्रकोप को देखते हुए आयोजन में सीमित संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया था।
मुख्यमंत्री बघेल ने सभी माताओं-बहनों और प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से मुख्यमंत्री निवास पहुंची महिलाओं को तीजा-पोरा की बधाई देते हुए कहा कि पिछले साल रस्सा-खीच, जलेबी दौड़, मटका फोड़ जैसे कई आयोजन किये गए थे लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए आयोजन को सीमित रखा गया है। उन्होंने कहा कि त्योहार हमारी संस्कृति से जुड़े होते हैं, इसे मनाते हुए ‘जान है तो जहान है‘ इस बात का ध्यान भी रखना होगा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि तीजा में बहू-बेटियों को मायके न जाने संबंधी कोई संदेश शासन से जारी नहीं किया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से गांवों में ग्रामीणों ने इस तरह की व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए गांवों में जिस तरह की व्यवस्था पहले देखी गई है, वैसी शहरों में भी नहीं हुई। संक्रमण से बचाव के लिए ग्रामीण अपनी परिस्थतियों के अनुरूप व्यवस्था कर सकते हैं। हम उनकी व्यवस्था का सम्मान करते हैं।
मुख्यमंत्री ने तीजा-पोरा के अवसर पर राम वन गमन पथ पर आधारित रथ को भी रवाना किया। यह रथ प्रदेश के सभी संभागों में गांव-गांव जाकर लोगों को डिजिटल वीडियो के माध्यम से प्राचीन धरोहर, मंदिरों और रामवनगमन पथ से संबंधित जानकारी देगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवालयों के विकास के लिए ‘राम वन गमन कोष‘ बनाया जाएगा। यह कोष जनभागीदारी समिति के माध्यम से संचालित होगा, जिसमें अशासकीय लोग होंगे। कोष की धनराशि से प्रदेश में राम वन गमन पथ में आने वाले मंदिर, देवालय, आदिवासियों के गुड़ी का विकास और पुनरोद्धार किया जाएगा और खाने-रहने की व्यवस्था भी की जाएगी। उन्होंने लोगों से कोष में दान देने की भी अपील की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज दुनिया भर में छत्तीसगढ़ सरकार की गोबर खरीदी की चर्चा है। इससे गोबर कीमती हो गया है। हमारी योजनाएं गांव, गरीब, किसानों के लिए हैं। हमने गोबर की ही व्यवस्था नहीं की है बल्कि गौठानों में महिलाएं आटा मिल, तीखुर के छोटे प्लान्ट जैसे कई रोजगार का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि तीजा के एक दिन पहले करू-भात के दिन 20 अगस्त को हम किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत राशि, तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रोत्साहन पारिश्रमिक और गोधन योजना के तहत ग्रामीणों को गोबर विक्रय का भुगतान करेंगे, जिससे बहनों को किसी तरह की कमी न हो। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के प्रकोप को दखते हुए लोगों से कहा कि बचाव में ही सुरक्षा है इसलिए कड़ाई से नियमों का पालन करें।
महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया ने बहु-बेटियों हेतु इस आयोजन के लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी। उन्होंने कहा कि तीजा में बहू-बेटियों को मायके जाने की मनाही नहीं है,लेकिन संक्रमण को देखते हुए बहुओं को भी बेटियोें की तरह तीजा मनवाएं। इस अवसर पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री की विशेषता है कि आज मुख्यमंत्री निवास में भी हमें घर-परिवार सा माहौल लगता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन का काम शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी बोली को सहेजने के लिए भी प्रतियोगिता होनी चाहिए।
कार्यक्रम स्थल में पारंपरिक वेशभूषा और गहनों से सजी महिलाओं के कटआउट और नांदियां बैला के सेल्फी जोन बनाए गए थे। महिलाएं भी इन पारंपरिक कटआउट के साथ सेल्फी लेने के लिए खासी उत्साहित दिखीं। इसके साथ ही नांदिया बैला और चुकी-पोरा से सजाए स्टॉल के साथ भी महिलाओं ने सेल्फी ली। कार्यक्रम स्थल में लगे रइचुली झूला और चकरी झूला का भी महिलाओं ने आनंद लिया। पारंपरिक छत्तीसगढ़ी लोक गीतों और नृत्यों ने मुख्यमंत्री निवास में लोगों का उत्साह और बढ़ा दिया।
रायपुर / शौर्यपथ / राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण पण्डित जसराज के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। राज्यपाल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि पंडित जसराज के निधन से कला जगत को अपूरणीय क्षति पहुंची है। उन्होंने अपनी वाणी के माध्यम से शास्त्रीय संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राज्यपाल ने उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है और उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग, मंत्रालय द्वारा बिलासपुर जिले में अरपा नदी पर दो बैराजों के निर्माण के लिए 98 करोड़ 10 लाख 77 हजार रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति मुख्य अभियंता हसदेव कछार बिलासपुर को प्रदान की गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अरपा नदी पर शिव घाट के पास बैराज निर्माण के लिए 49 करोड़ 13 लाख 24 हजार रूपए तथा पचरीघाट के पास बैराज निर्माण के लिए 48 करोड़ 97 लाख 53 हजार रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज तीजा-पोरा तिहार पर छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों के साथ थिरके और छत्तीसगढ़ी जसगीत की लय पर ढोलक पर थाप भी दी।
मुख्यमंत्री निवास में आज तीजा-पोरा त्यौहार पर आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी गीतों की आकर्षक प्रस्तुति दिलीप षडं़ग़ी और साथियों ने दी। कार्यक्रम में महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। मुख्यमंत्री भी अपने आपको इस खुशी के मौके पर रोक नहीं पाए। उन्होंने कलाकारों का हौसला बढ़ाने के लिए उनके साथ जसगीत की लय पर ढोलक पर थाप दी और गीत की लय पर कलाकारों के साथ थिरके। इस अवसर पर उनका साथ महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिय़ा, विधायक मोहन मरकाम, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक, रायपुर नगर निगम के महापौर ऐजाज ढेबर ने भी दिया।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री निवास में विगत वर्ष से छत्तीसगढ़ी पर्वों को मनाने की शुरूआत की गई है। मुख्यमंत्री निवास में प्रदेश के विभिन्न स्थानों से बहनों को तीजा-पोरा पर्व के लिए आमंत्रित किया गया था। उनके लिए मुख्यमंत्री निवास में विशेष व्यवस्था की गई थी। महिलाओं को मुख्यमंत्री की ओर से लुगरा और छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का उपहार दिया गया।
छत्तीसगढ़ी को 8वी अनुसूची में शामिल किए जाने की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मांग का रमन विरोध कर रहे रायपुर / शौर्यपथ/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के लिए प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र का रमन सिंह द्वारा विरोध किये जाने को कांग्रेस ने रमन का छत्तीसगढ़ी विरोधी चरित्र बताया है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति से इतनी नफरत क्यो करते हैं ? इसी छत्तीसगढ़ के वे पन्द्रह साल मुख्यमंत्री रहे है। छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए उन्होंने कभी कोई सार्थक और ठोस पहल नही किया। रमन चाहते तो तो अपने शासन के पन्द्रह सालो में केंद्र सरकार पर इस हेतु दबाव बना सकते थे लेकिन कुछ नही किया। यह रमन और भाजपा की छत्तीसगढ़ की भाषा और संस्कृति के प्रति दुराव को जताता है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आज जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ी भाषा को देश की अधिकृत भाषाओं के बीच प्रतिष्ठा दिलवाने प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे तो इसमें भी रमन सिंह को पीड़ा हो रही वे इस पत्र का विरोध कर रहे जबकि चाहिए तो यह था कि जिस छत्तीसगढ़ की जनता ने उन्हें तीन बार का मुख्यमंत्री बनाया उस छत्तीसगढ़ी भाषा को उसका सम्मान दिलाने वे भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पत्र के समर्थन में प्रधानमंत्री को पत्र लिखते। यहाँ रमन सिंह की दलीय दुर्भावना छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति के ऊपर हावी हो गयी। कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेता है सम्भवतः उन्होंने अपने ही केंद्र सरकार की शिक्षा नीति का अध्ययन नही किया है। नई शिक्षा नीति में स्थानीय मातृ भाषा में अध्ययन पर जोर दिया गया है। जब छत्तीसगढ़ी भाषा देश की मान्यता प्राप्त संविधान की आठवीं अनुसूची के भाषाओं में शामिल ही नही रहेगी तब ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ी माध्यम में पढ़ाई का प्रश्न ही नही उठता। कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की भाषा संस्कृति तीज त्योहार को बढ़ावा दिया जा रहा उनका संरक्षण किया जा रहा है। रमनराज के पन्द्रह सालो में छत्तीसगढ़ की भाषा संस्कृति तीज त्योहार सब को हासिये में डाल दिया गया था। रमन सिंह को इसी बात की पीड़ा है कि जो वे दबाते रहे कांग्रेस की सरकार भूपेश बघेल उसी छत्तीसगढ़ी पहचान को प्रश्रय क्यां दे रहे?