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बिलासपुर / शौर्यपथ /
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के उपलक्ष्य में महादेव नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं के लिए ‘आत्महत्या रोकथाम कार्यशाला सह परिचर्चा’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के विशेषज्ञों ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान और इसके निदान के संबंध में विस्तार से जानकारी दी साथ ही मानसिक अस्वस्थता की वजह से आत्महत्या जैसे विचार के आने और इन विचारों के निदान तथा तनाव प्रबंधन के बारे में भी जानकारी प्रदान की।
नर्सिंग छात्र छात्राओं को गतिविधि के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने और भविष्य में आने वाली परेशानियों को बेहतर ढंग से हल करनेके उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से तनाव से दूर रहने, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, आत्महत्या करने के पूर्व के लक्षणों की पहचान करने,तनाव एवं अवसाद होने पर अपनी पसंदीदा कार्य कर ध्यान को भटकाने, मेडिटेशन, योगा द्वारा जीवन प्रबंधन के संबंध में बताया गया। साथ ही जीवन अनमोल है, इसे संवारने के बारे में भी विस्तार से बताया। मानसिक चिकित्सालय सेंदरी की नर्सिंग ऑफिसर एंजलीना वैभव लाल ने बताया: “लंबे समय तक तनाव न केवल मानसिक स्वास्थ्य बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। एक चिकित्सक ही व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और व्यवहार संबंधी संकेतों के आधार पर तनाव का निदान कर सकता है। जैसे किसी व्यक्ति में ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता, याददाश्त में कमी या भूलने की बीमारी, चिंतातुर रहना, चिड़चिड़ापन रहना, नींद कम आना और लोगों से दूरी बनाकर रहना आदि लक्षणों को देखकर उसके मानसिक अस्वस्थता और तनाव की पहचान की जा सकती है। चिकित्सक इसको देखकर फौरन उस व्यक्ति को उचित परामर्श देता है।“ इस मौके पर स्पर्श क्लिनिक के प्रशांत पांडेय ने बताया: ”भागमभाग जिंदगी और तमाम तरह की समस्याओं की वजह से आज हर व्यक्ति तनावग्रस्त है। तनाव भी एक तरह की मानसिक समस्या है। इसकी वजह से कई बार व्यक्ति अपनी जिंदगी को समाप्त करने की कोशिश भी करता है। इसलिए तनाव प्रबंधन पर ध्यान देते हुए तनाव से दूर रहना चाहिए। तनाव के प्रबंधन का पहला चरण तनाव के मूल कारण का पता लगाना है क्योंकि तनाव प्रबंधन के तरीके तब तक प्रभावी नहीं होंगे जब तक मूल कारण की पहचान न हो जाए। तनाव को खत्म करने की कोशिश करना तनाव प्रबंधन का दूसरा कदम है। व्यवहार में बदलाव लाना और कुछ आसान तकनीकों जैसे समय प्रबंधन करना, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना, व्यायाम, मेडिटेशन कर, पर्याप्त नींद लेना, नकारात्मकता से बचना तथा संगीत सुनकर तनाव को खत्म किया जा सकता है।“
घबराएं नहीं, खुलकर करें बात - कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण, पहचान और उपचार के संबंध में बताया। उन्होंने बताया,"मानसिक अस्वस्थता की स्थिति हो तो घबराएं नहीं बल्किऐसी स्थिति में जिला अस्पताल के स्पर्श क्लीनिक के माध्यम से मानसिक रोगी निशुल्क परामर्श एवं उपचार प्राप्त कर सकता है। काउंसिलिंग के माध्यम से लोगों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निदान होता है। इसलिए मानसिक बीमारियों या समस्याओं को छिपाएं नहीं बल्कि इस पर खुलकर बात करें। चिकित्सकों, परिवार के लोगों या दोस्तों से इस संबंध में बातें करें। ताकि मानसिक समस्या का समाधान खोजा जा सके।"
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