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बिलासपुर / शौर्यपथ / एक समय था जब न्यायालय के आदेश के बाद ऐसा माना जाता था कि अब आदेश के पालन में सरकारी अधिकारी कहीं कोई भूल चूक नहीं करेगा किंतु अब ऐसा नहीं है मस्तूरी क्षेत्र के थाना क्षेत्र पंचपड़ी के निवासी भूषण प्रसाद मधुकर जो स्वयं निर्वाचित जनप्रतिनिधि रहे हैं को मस्तूरी तहसीलदार शायद राजनैतिक दबाववश कब्जा नहीं दिला पा रहे है। पूरा मामला यह है कि भूषण प्रसाद मधुकर को पैतृक संपत्ति के बंटवारे में खसरा नंबर 262/7 रकबा 0.24 एकड़ भूमि प्राप्त हुई है। आवेदक की इस भूमि पर झड़ीराम और 12 अन्य लोग व्यवसाय संचालित करते हैं यह जमीन मुख्य मार्ग पर है भूषण प्रसाद मधुकर एसडीएम न्यायालय से लेकर व्यवहार न्यायालय, जिला सत्र न्यायालय और उसके बाद उच्च न्यायालय तक से प्रकरण जीत चुके हैं। आरंभ से लेकर उच्च न्यायालय तक झड़ीराम पिता समय लाल व अन्य 12 लोगों को मुंह की खानी पड़ी किंतु व्यवस्था है कि मधुकर को कब्जा नहीं मिल पाया .
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद तहसीलदार मस्तूरी ने काफी टालमटोल के बाद 22-07-2019 को बेदखली वारंट जारी किया वारंट के आधार पर जामदार तहसील कार्यालय मस्तूरी , अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण, बिलासपुर को ज्ञापन देकर पुलिस बल निवेदन किया गया तय तिथि पर पुलिस बल प्राप्त हुआ किंतु तहसीलदार किसी अन्य जगह चले गए और कब्जा दिलाने नहीं आए। माननीय उच्च न्यायालय ने 15-10-2019 को भूषण प्रसाद मधुकर के पक्ष में आदेश पारित किया था जिसमें स्पष्ट निर्देश था कि आदेश दिए जाने के 60 दिन के भीतर आवेदक को भूमि का कब्जा दिला दिया जाए किंतु तहसीलदार ने ज्ञापन तो जारी किया बेदखली वारंट जारी किया पर तय तिथि पर कब्जा दिलाने नहीं पहुंचे यह बात समझ के परे है कि एक तहसीलदार उच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी कैसे कर सकते है .
ऐसा भी नहीं है कि खसरा नंबर 262/ 7 का कोई प्रकरण न्यायालय में लंबित हो और उस पर स्थगन प्राप्त हो बिलासपुर जिले में नायब तहसीलदारों की मनमानी हद से ज्यादा बढ़ती जा रही है शायद इसके पीछे उन्हें प्राप्त राजनीतिक संरक्षण ही एकमात्र कारण है अब देखने लायक होगा कि मस्तूरी के इस नायब तहसीलदार के खिलाफ मस्तूरी के एसडीएम और जिला कलेक्टर बिलासपुर क्या रुख अख्तियार करते हैं । इसके पूर्व सरकारी जमीन को निजी खाते में डाल देना के कारण बिल्हा के नायब तहसीलदार को निलंबित किया जा चुका है ऐसा लगता है कि मस्तूरी में कोई अन्य कानून काम करता है तभी तो नायाब तहसीलदार पिछले 3 वर्ष से सरकारी नियमों को मनमर्जी लागू करते हैं या अनदेखा कर देते हैं किंतु उनके विरुद्ध कभी कोई कार्यवाही नहीं होती।
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