August 18, 2025
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शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट

   "अगर केंद्र, राज्य और नगर निगम में एक ही पार्टी की सरकार होगी, तो विकास दौड़ेगा!"
    यह था भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री सरोज पांडे का वादा, जब उन्होंने दुर्ग की जनता से "ट्रिपल इंजन" का समर्थन मांगा था।
   लेकिन आज, जब ट्रिपल इंजन से चलने वाला दुर्ग शहर गड्ढों, गंदगी और गुटबाजी के दलदल में फंसा है, जनता खुद सवाल पूछ रही है - "वादा किया था रोशनी का, फिर क्यों पसरा है अंधेरा?"

 जब सरोज पांडे थीं महापौर: दुर्ग बना था विकास का पर्याय
   महापौर रहते सुश्री सरोज पांडे ने दुर्ग नगर निगम को विकास की दिशा में एक नई पहचान दी थी।चौड़ी सड़कें,सुव्यवस्थित बाजार,सुंदर उद्यान,और सफाई व्यवस्था -
उस दौर में दुर्ग को "छोटा स्मार्ट सिटी" कहने लगे थे लोग।
  आज उसी शहर में, जहां उन्होंने विकास की नींव रखी, वहीं अब बदहाल व्यवस्थाएं और टूटी उम्मीदें एक कटु सच्चाई बन चुकी हैं।
 आज का दुगर्: नालियां जाम, सड़कों पर जान का खतरा ,अतिक्रमण से जकड़े बाजार ,आवारा पशुओं से भरा शहर ,अधूरी सड़कें , और राजेंद्र चौक जैसे व्यावसायिक हब पर सरकारी सुस्ती ,नगर निगम की 6 महीने की सत्ता और राज्य सरकार के 20 महीनों के कार्यकाल में सुधार की बजाय गिरावट ही सामने आई है।
 नालियों की सफाई अब भी "प्रक्रिया में" है, पार्कों की घास सूख रही है, और जनता धूल, दुर्गंध और दुश्वारियों के बीच जूझ रही है।
 गुटबाजी का गड्ढा: महापौर बनाम विधायक
  शहर के दो जिम्मेदार चेहरे - महापौर और स्थानीय विधायक – आमने-सामने हैं। कोई काम अगर हो भी गया, तो उसका श्रेय लेने की राजनीतिक होड़ जारी है। सामंजस्य और टीमवर्क जैसे शब्द शहरी प्रशासन की डिक्शनरी से नदारद हो चुके हैं। विपक्ष को परिषद में बोलने तक का मौका नहीं देना लोकतांत्रिक मर्यादा का खुला उल्लंघन है।

 गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों को संरक्षण
  इंदिरा मार्केट हो या कपड़ा लाइन - जहां आम ठेलेवालों को हटाया जा रहा है, वहीं बड़े दुकानदारों द्वारा बरामदे पर कब्जा बरकरार है।
भाजपा नेता के संरक्षण में राम रसोई को गलत दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों की भूमि का आवंटन भी अब चर्चा में है, लेकिन कार्रवाई शून्य।

 जनता पूछ रही - "अब किससे लें जवाब?"
  क्या जवाब दें वो भाजपा संगठन जो विपक्ष में रहकर हर गड्ढे पर धरना देता था? या वो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे, जिन्होंने वादा किया था कि "ट्रिपल इंजन" से दुर्ग दौड़ेगा?"
अब जब वही इंजन धुएं में उलझ गया है, तो जनता सिर्फ इंतज़ार में है कि -"कोई आए, और इन सवालों का ईमानदारी से जवाब दे!"

 आईना देखिए, पोस्टर नहीं
  यह सिर्फ बदहाल दुर्ग की रिपोर्ट नहीं, बल्कि उन तमाम वादों का आइना है, जो वोट से पहले बड़े-बड़े मंचों पर बोले गए थे।
महापौर रहते सरोज पांडे का विकास मॉडल आज खुद सवाल कर रहा है - "क्या भाजपा की आज की नगर सरकार उस स्तर को भी छू पाई?"
अब जनता तय करेगी -बातों के ट्रिपल इंजन से शहर नहीं चलता, ज़मीन पर पसीने से काम करना होता है।

बिलासपुर, 2 अगस्त 2025 | छत्तीसगढ़ के शैक्षणिक परिदृश्य में एक बड़ा मोड़ आया जब बिलासपुर हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें वे अपनी फीस स्वतंत्र रूप से तय करने का अधिकार मांग रहे थे।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह सार्वजनिक हित में निजी विद्यालयों की फीस संरचना को विनियमित कर सके।

⚖️ मुख्य बिंदु:

? याचिका का विषय:

राज्य में संचालित कुछ प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों ने यह याचिका दायर की थी कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित “फीस विनियमन समिति” उनकी स्वायत्तता में हस्तक्षेप कर रही है।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि निजी संस्थानों को आर्थिक स्वायत्तता संविधान द्वारा प्रदत्त है, और शासन को सीधे तौर पर फीस तय करने का अधिकार नहीं है।

? हाईकोर्ट का फैसला:

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह स्पष्ट करते हुए याचिका खारिज की कि

> “शिक्षा एक सामाजिक जिम्मेदारी है, व्यावसायिक अवसर नहीं। राज्य सरकार को यह वैधानिक अधिकार है कि वह सार्वजनिक हित में निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण रख सके।”

कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21-A (निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार) तथा शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act 2009) का हवाला देते हुए यह टिप्पणी दी।

? फीस विनियमन समिति की वैधता बरकरार:

राज्य शासन द्वारा वर्ष 2023 में गठित फीस विनियमन समिति की संवैधानिकता को भी कोर्ट ने वैध ठहराया है। इस समिति में शिक्षा विशेषज्ञों, विधि विशेषज्ञों और अभिभावकों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।

? अब क्या होगा?

✅ अब सभी निजी स्कूलों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप फीस प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा।

✅ फीस वृद्धि से पहले समिति की अनुमति आवश्यक होगी।

✅ मनमानी फीस वसूली पर दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान रहेगा।

? राज्य शासन की प्रतिक्रिया:

छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा सचिव ने निर्णय का स्वागत करते हुए कहा:

> "यह फैसला छात्रों और अभिभावकों के हित में है। शिक्षा को व्यापार नहीं बनने दिया जाएगा। अब पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ फीस तय होगी।"

?‍?‍? अभिभावकों में खुशी, स्कूलों में असमंजस:

जहां अभिभावक संघों ने कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है, वहीं कई निजी स्कूल प्रबंधन समितियां अब इस आदेश की समीक्षा करने की बात कह रही हैं।

? पृष्ठभूमि में क्या हुआ था?

2022-23 सत्र में कई स्कूलों द्वारा 30% से 60% तक फीस बढ़ोतरी के बाद राज्यभर में विरोध शुरू हुआ था।

सरकार ने छत्तीसगढ़ निजी विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम 2023 पारित कर फीस नियंत्रण के लिए एक समिति का गठन किया।

इसी के खिलाफ स्कूलों की याचिका दाखिल हुई थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया।

? निष्कर्ष:

यह निर्णय छत्तीसगढ़ में निजी शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, संतुलन और सामाजिक जवाबदेही की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह स्पष्ट संकेत है कि शिक्षा को सेवा के रूप में देखा जाएगा, न कि केवल लाभ कमाने के माध्यम के रूप में।

 

    रायपुर / शौर्यपथ / क्रेडा अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी पर तीन प्रतिशत कमीशन मांगने और ठेकेदारों को धमकाने के आरोपों के बाद अब इस प्रकरण में सियासी तापमान और बढ़ गया है। जहां एक ओर कांग्रेस ने खंडन पत्रों को दबाव और डर के तहत कराया गया बताया है, वहीं भाजपा खामोश नजर आ रही है। कांग्रेस ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए भूपेंद्र सवन्नी को तत्काल पद से हटाने की मांग की है।
  प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने आज मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, "यह पहला मौका है जब किसी शिकायत की जांच नहीं की जा रही, बल्कि खंडन करवाया जा रहा है। मुख्यमंत्री को भेजी गई ठेकेदारों की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय ने स्वयं इस पर पत्र जारी कर पूरी जानकारी मांगी थी। बावजूद इसके, अब जो खंडन सामने आ रहे हैं, वो शिकायतकर्ताओं से नहीं, बल्कि अन्य ठेकेदारों से करवाए जा रहे हैं, जोकि बेहद गंभीर मामला है।"
  धनंजय ठाकुर ने सीधे तौर पर भूपेंद्र सवन्नी पर आरोप लगाया कि उन्होंने शिकायतकर्ताओं को धमका कर, दबाव बना कर खंडन के लिए विवश किया। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यही तरीका अगर मुख्यमंत्री तक की गई शिकायतों के साथ अपनाया जा रहा है, तो आम नागरिकों को न्याय की उम्मीद कैसे होगी?

    "क्या भूपेंद्र सवन्नी मुख्यमंत्री से भी ऊपर हैं, जो जांच के आदेश के बाद भी वह ठेकेदारों को धमका रहे हैं? क्या भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है?" – धनंजय ठाकुर

? पृष्ठभूमि में क्या है मामला?

इस पूरे विवाद की शुरुआत भूपेंद्र सवन्नी के खिलाफ ठेकेदारों की ओर से मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत के सोशल मिडिया में उजागर होने के बाद राजनैतिक रंग चढ़ा । शिकायत में आरोप था कि क्रेडा में कार्य कराने वाले ठेकेदारों से भूपेंद्र सवन्नी तीन प्रतिशत कमीशन मांगते हैं और मना करने पर काम में अड़चन डालने की धमकी देते हैं।
  शिकायत पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने विभागीय स्तर पर संज्ञान लेते हुए क्रेडा से विवरण मांगा था, लेकिन इसके तुरंत बाद ही कुछ ठेकेदारों के नाम से खंडन पत्र सामने आने लगे, जिनमें आरोपों को निराधार बताया गया।
  हालांकि, अब कांग्रेस का दावा है कि जो खंडन दिए जा रहे हैं, वे उन्हीं ठेकेदारों से नहीं हैं जिन्होंने शिकायत की थी। कांग्रेस इसे भाजपा द्वारा प्रशासनिक दबाव और राजनीतिक संरक्षण के तहत कराया गया ‘खंडन प्रबंधन’ बता रही है।
? कांग्रेस ने क्या मांग की है?

कांग्रेस की मांग है कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच हो। जब तक जांच पूरी न हो, भूपेंद्र सवन्नी को उनके पद से हटाया जाए। जिन ठेकेदारों ने शिकायत की है, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
  धनंजय सिंह ठाकुर ने आगे कहा, “भाजपा की सरकार में सुशासन की बात बेमानी हो चुकी है। जब मुख्यमंत्री तक की गई शिकायतों को दबाया जा रहा है तो यह संकेत है कि प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं खतरे में हैं। गुंडागर्दी की ये राजनीति अब उजागर हो रही है।”

तीन दिन में पूरी भर्ती प्रक्रिया, ढाई से तीन लाख रुपये में बेचे गए पद, कांग्रेस ने की परीक्षा रद्द करने की मांग

रायपुर, 29 जुलाई 2025।
समग्र शिक्षा विभाग में ठेका कंपनियों के माध्यम से हुई भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने इसे प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ "संस्थागत छल" बताया है। उन्होंने दावा किया कि भर्ती प्रक्रिया में गहरी अनियमितता, लेनदेन और पूर्व-निर्धारित चयन सूची जैसी तमाम खामियां उजागर हो चुकी हैं।

धनंजय सिंह ठाकुर ने प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि—

"ठेका कंपनियों ने युवाओं को नियुक्ति देने के नाम पर ढाई से तीन लाख रुपये वसूले। जिन युवाओं को चयनित करना था, उनसे पहले ही ₹10 के स्टांप में ‘लेनदेन नहीं करने’ का शपथ पत्र भरवाया गया, जो इस बात का साक्ष्य है कि सब कुछ पहले से तय था।"

उन्होंने कहा कि इस भर्ती में कोविडकाल में सेवा दे चुके उम्मीदवारों को 10% बोनस अंक देने का वादा किया गया था, लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया। इस तरह हजारों योग्य और अनुभवधारी उम्मीदवारों को बाहर कर दिया गया।

भर्ती में "तीन दिवसीय चमत्कार"
ठेका कंपनियों की कार्यप्रणाली पर तंज कसते हुए ठाकुर ने कहा—

"जेम पोर्टल से टेंडर लेकर ठेका कंपनियों ने महज तीन दिन में आवेदन, स्क्रूटिनी, परीक्षा, 35,000 से अधिक पेपरों की जांच, इंटरव्यू और रिजल्ट जारी कर दिया। ये पूरी प्रक्रिया शोध का विषय है या किसी साज़िश का पर्दाफाश?"

क्या कहते हैं अभ्यर्थी?
कई अभ्यर्थियों ने कांग्रेस के पास पहुंचकर आरोप लगाया कि—

  • आवेदन करने से पहले ही चयन की जानकारी संबंधित उम्मीदवारों को थी।

  • ठेका कंपनी ने भर्ती के लिए साइट चालू और बंद होने का समय भी "अपने लोगों" को पहले से बता दिया।

  • इंटरव्यू तक फिक्स कर लिए गए थे, जिनमें नियुक्ति पाने वाले लोग पहले से चयनित सूची में थे।

  • जो चयनित नहीं हुए, उनसे या तो मोटी रकम मांगी गई या प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।

कांग्रेस की मांगें
धनंजय ठाकुर ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मांग की कि—

  1. समग्र शिक्षा विभाग की इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए।

  2. संबंधित ठेका कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए।

  3. एफआईआर दर्ज कर जांच करवाई जाए कि किसके इशारे पर इतनी बड़ी भर्ती "सेटिंग" के आधार पर की गई।

  4. भविष्य की सभी संविदा भर्तियों में पारदर्शिता के लिए सीधा सरकारी पर्यवेक्षण हो और परीक्षा एजेंसियों का चयन स्वतंत्र संस्थाओं से हो।

राजनीतिक संदेश स्पष्ट
यह मुद्दा महज भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा नहीं है बल्कि आने वाले चुनावों से पहले युवाओं की नाराजगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष का आधार बन सकता है। कांग्रेस इसे एक "युवाओं के साथ विश्वासघात" के रूप में पेश कर रही है, जो भाजपा सरकार के लिए एक संवेदनशील और संभावित संकट का विषय बन सकता है।

   पाटन/शौर्यपथ — सावन मास के तीसरे सोमवार को भगवान शिव की भक्ति में लीन हजारों शिवभक्तों का कारवां बोल बम के जयघोष के साथ 28 जुलाई को पाटन से टोलाघाट की ओर भव्य कांवड़ यात्रा में शामिल होने जा रहा है। यह आध्यात्मिक यात्रा बोल बम कांवड़ यात्रा समिति के संयोजक शिवभक्त जितेन्द्र वर्मा के नेतृत्व में निकाली जाएगी, जो इस बार पहले से अधिक भव्य, अनुशासित और सामाजिक समरसता से परिपूर्ण होगी।

 यात्रा की शुरुआत:यात्रा की शुरुआत सुबह 8 बजे पाटन के ओग्गर तालाब में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना और पवित्र जल संग्रह के साथ होगी। तत्पश्चात शिवभक्त कांवड़ लेकर पैदल टोलाघाट के लिए प्रस्थान करेंगे।

यात्रा की विशेषताएं:

    धार्मिक आस्था के साथ सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का संगम
    मार्ग में आध्यात्मिक झांकियां, भजन-कीर्तन, सेवा शिविर
    भगवान शिव को जल अर्पण के साथ "जल संरक्षण" और "सर्वे भवन्तु सुखिनः" का संदेश
    प. कृष्ण कुमार तिवारी जी के सानिध्य में रुद्राभिषेक व जलाभिषेक

  "एक मुठ्ठी दान, भगवान शंकर के नाम": इस वर्ष समिति द्वारा एक अनूठी पहल — “एक मुठ्ठी दान भगवान शंकर के नाम” के तहत श्रद्धालुओं से चावल संग्रह कर महाप्रसाद तैयार किया जाएगा। यह प्रसाद हजारों शिवभक्तों को टोलाघाट में वितरित किया जाएगा, जिससे वे पुण्यलाभ अर्जित करेंगे।

 विशेष प्रस्तुति:टोलाघाट को शिवमय करने हेतु छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोकगायिका पायल साहु अपनी भक्ति संगीतमय प्रस्तुति के माध्यम से भगवान शिव की महिमा का गायन करेंगी।

 समिति की अपील:संयोजक जितेन्द्र वर्मा ने समस्त शिवभक्तों, युवा साथियों, सामाजिक संगठनों, माताओं-बहनों और ग्रामवासियों से आग्रह किया है कि इस पुण्य यात्रा में अधिक से अधिक संख्या में भाग लें और शिव आराधना के इस दिव्य संगम को आत्मसात करें।
 "बोल बम के जयकारों के साथ जब हजारों कांवड़िए पग-पग बढ़ाएंगे, तब टोलाघाट शिवमय हो उठेगा। यह यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान होगी, बल्कि सेवा, समर्पण और संस्कृति का जीता-जागता उदाहरण भी बनेगी।"

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