August 03, 2025
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हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही गुरुवार सुबह तक के लिए स्‍थगित

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नई दिल्ली / शौर्यपथ / संसद का मॉनसून सत्र विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पेगासस और कृषि कानून के मुद्दे पर विपक्ष ने हंगामा कर संसद की कार्यवाही को लगातार बाधित किया है. बार-बार के व्‍यवधान के बीच कार्यवाही अगले दिन के लिए स्‍थगित होना अब रोज की बात हो गई है. बुधवार को भी लगातार हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11 बजे तक स्‍थगित करनी पड़ी. हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही बुधवार को 12 बजे और फिर 3:30 बजे और फिर गुरुवार सुबह 112 बजे तक स्‍थगित करनी पड़ी. उधर, राज्यसभा की बैठक बुधवार को दो बार स्थगित होने के बाद अपराह्न तीन बज कर पंद्रह मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. हालांकि हंगामे के बीच तीन विधेयकों को भी संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किया गया.राज्‍यसभा में आज अनुचित आचरण' के लिए छह विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित किया गया.लोकसभा की कार्यवाही जब सुबह 11 बजे शुरू हुई तो विपक्षी सांसदों का हंगामा भी शुरू हो गया फलस्‍वरूप कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी. लोकसभा की कार्यवाही फिर से शुरू होने के बाद भी हंगामा नहीं थमा तो कार्यवाही फिर टालनी पड़ी.
पूर्वाह्न 11 बजे राज्‍यसभा की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी के रामगोपाल वर्मा और विश्वंभर प्रसाद निषाद तथा माकपा के डॉक्टर वी शिवदासन की ओर से नियम 267 के तहत किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस मिले हैं. उन्होंने इस मुद्दे को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस पर अन्य नियम के तहत चर्चा की अनुमति दी जाती है.सभापति ने कहा कि कुछ अन्य सदस्यों की ओर से भी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं जिन्हें स्वीकार नहीं किया गया है. नायडू के इतना कहते ही कुछ विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आ गए और अपने अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा करने लगे। सभापति ने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. राज्‍यसभा में अनुचित आचरण' के लिए छह विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित किया गया. राज्‍यसभा चेयरमैन वेंकैया नायडू ने इन छहों सांसदों को दिनभर के लिए सदन छोड़ने को कहा है. ये सांसद राज्यसभा में सदन के भीतर प्ले कार्ड लेकर हंगामा कर रहे थे और चेयरमैन के बार-बार कहने के बावजूद सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहे थे. इन सांसदों में डोला सेन, नदीमुल हक़, अबीर रंजन बिश्वास, शांता क्षेत्री, अर्पित घोष और मौसम नूर (सभी टीएमसी) शामिल हैं. राज्यसभा सभापति ने वेल में प्लेकार्ड लेकर हंगामा कर रहे सांसदों का नाम राज्यसभा सचिवालय से मांगे थे.दोपहर दो बजे जब राज्‍यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्‍यों के निलंबन के विरोध में विपक्षी संसद वेल में पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी. वे कृषि कानूनों के खिलाफ भी, "काले कानून वापस लो, वापस लो" के नारे लगा रहे थे. संसद के मानसून सत्र का यह तीसरा सप्ताह है और विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन में अब तक एक बार भी शून्यकाल नहीं हो पाया है.
लोकसभा स्‍पीकर ने हंगामा कर रहे सांसदों को दी नसीहत
लोकसभा में हंगामे पर स्पीकर ओम बिरला ने कड़ा रुख दिखाते हुए हंगामा कर रहे सांसदों से कहा कि आपका तरीका ठीक नहीं है. सदन की गरिमा बनाए रखें, आपका तरीका बिल्कुल गलत है. उन्‍होंने कहा कि आप सदन की मर्यादा तोड़ने और आसन का अपमान करने का प्रयास नहीं करें. यह उचित नहीं है.
सपा सांसद रामगोपाल यादव बोले-हम तीन मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं
समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि हम तीन मुद्दों किसान आंदोलन, पेगासस और महंगाई पर राज्यसभा में चर्चा चाहते हैं. तीनों पर नियम 267 के अंतर्गत चर्चा होनी चाहिए.पता नहीं, चर्चा हो पाएगी या नहीं.
हरसिमरत कौर बादल और कांग्रेस के रवनीन बिट्टू में नोकझोंक
संसद भवन में गेट नंबर 4 पर शिरो‍मणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर और कांग्रेस के रवनीत सिंह बिट्टू के बीच तीखी झड़प हो गई. दोनों ने एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए किसानों के मुद्दे पर गंभीर नहीं होने की बात कही. गौरतलब है कि गेट नंबर 4 पर अकाली दल और बसपा के सांसद किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन करते हैं.
किसानों के हक और हितों को देख चर्चा तय करें सभापति : दीपेंद्र हुड्डा
कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा ने बातचीत में कहा कि हमने कृषि कानूनों पर नियम 267 के तहत चर्चा का नोटिस दिया है. राज्‍यसभा चेयरमैन चर्चा के लिए सहमत हो गए है लेकिन नियम 267 के तहत नहीं. दरअसल, नियम 267 केतहत सदन की कार्यवाही को रोककर चर्चा कराना जरूरी होता है और चर्चा का जवाब खुद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को देना होगा. हम देखना चाहते हैं कि राज्‍यसभा के चेयरमैन ने आखिरकार किस नियम के तहत चर्चा की मंजूरी दी है. हम चाहते हैं कि राज्यसभा के सभापति किसानों के हक और हितों को देखकर चर्चा तय करें

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