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नई दिल्ली/ शौर्यपथ / देश में लगातार दूसरे महीने थोक मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज हुई है. सोमवार को कॉमर्स मिनिस्ट्री की ओर से WPI पर ताजा आंकड़े जारी किए गए हैं, जिसमें मंत्रालय ने बताया है कि चालू वित्त वर्ष में जुलाई महीने में थोक मुद्रास्फीति घटकर 11.16 फीसदी पर आ गई है. पिछले महीने यानी जून में यह 12.07 फीसदी थी. हालांकि, जुलाई में लगातार तीसरे महीने थोक मुद्रास्फीति दो अंक यानी 10 प्रतिशत से ऊंची बनी हुई है. जुलाई, 2020 में WPI -0.25% पर चला गया था. ऐसे में इस निचले आधार के चलते मुद्रास्फीति डबल डिजिट में बनी हुई है.
मंत्रालय ने आज आंकड़े जारी करते हुए कहा कि खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज हुई है. हालांकि, इस दौरान विनिर्मित वस्तुओं और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी भी हुई है. कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति जुलाई में 40.28 प्रतिशत रही, जो जून में 36.34 प्रतिशत थी. विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति जुलाई में 11.20 प्रतिशत रही, जो जून में 10.88 प्रतिशत थी.
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘जुलाई, 2021 में मुद्रास्फीति की ऊंची दर की वजह निचला आधार प्रभाव और कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस; विनिर्मित उत्पादों मसलन मूल धातु, खाद्य उत्पादों, परिधान, रसायन और रसायन उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी है.' हालांकि, जुलाई में लगातार तीसरे महीने खाद्य वस्तुओं के दाम कम हुए हैं. जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति ‘शून्य' रही. यह जून में 3.09 प्रतिशत थी. हालांकि, इस दौरान प्याज महंगा हुआ. प्याज की मुद्रास्फीति 72.01 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर थी.
बता दें कि रिजर्व बैंक ने रिटेल इंफ्लेशन यानी खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए अपनी मौद्रिक नीति तय करता है. केंद्रीय बैंक ने इस बार भी नीतिगत दरों को रिकॉर्ड निचले स्तर पर कायम रखा है. वहीं, पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर 5.59 प्रतिशत पर दर्ज की गई है.
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