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मुंंबई / शौर्यपथ / महाराष्ट्र के पालघर जिले में गरीबी से तंग आकर आदिवासी महिला ने अपनी छोटी बेटी के साथ फांसी लगा ली.घटना 22 जून शाम की है.पालघर के जव्हार पुलिस थाने में महिला के 35 साल पति दिलीप जानू वाघ के दर्ज बयान के मुताबिक, उनकी 30 साल की पत्नी मंगला वाघ 22 जून की शाम अचानक 3 साल की छोटी बेटी रोशनी के साथ लापता हो गई थी. दिलीप के अनुसार, मंगला उस समय घर मे मौजूद बड़ी बेटी नंदिनी को भी कुछ बताकर नही गई थी. बहुत तलाशने के बाद भी उन दोनों का पता नहीं चला. एक दिन बाद जब वे तलाश में जुटे थे तभी एक युवक ने उन्हें पेड़ पर फांसी लगाकर मां-बेटी की आत्महत्या का वीडियो दिखाया. वीडियो देखने के बाद उन्होंने इन दोनों की पहचान पत्नी और बेटी के रूप में की.
दिलीप के मुताबिक वह आदिवासी कातकरी समाज से है और झोपड़ी में रहते हैं. उनकी अपनी जमीन नही है और वे दूसरों के खेत में मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं. पत्नी मंगला परिवार की गरीबी की वजह से हमेशा परेशान रहती थी. गरीबी से तंग आकर ही उसने छोटी बेटी रोशनी को फंदे से लटकाकर खुद भी आत्महत्या कर ली. दिलीप की एक 7 साल की बेटी भी है. गौरतलब है कि पालघर जिले में जव्हार आदिवासी बहुल क्षेत्र है.यहां आदिवासी बहुत ही गरीबी में जीते हैं.
पालघर जिले के आदिवासियों के अधिकार और न्याय के लिए लड़ने वाले सामाजिक नेता विवेक पंडित के मुताबिक ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. इसकी सच्चाई जानने के लिए मुख्यमंत्री ने एक कमेटी बनाई है जिसके वो खुद अध्यक्ष हैं.विवेक पंडित का कहना है कि उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है. उस पर वो ज्यादा कुछ नही बोल सकते लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि शव को अस्पताल ले जाने के लिए उस परिवार को 1000 रुपये आस पड़ोस से उधार लेने पड़े इससे बड़ी दुखद स्थिति क्या हो सकती है?
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