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नई दिल्ली /शौर्यपथ/दिल्ली के उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के बीच में जारी घमासान बढ़ता ही जा रहा है। एलजी ने केजरीवाल सरकार को अब एक और मोर्चे पर घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने मंगलवार को दिल्ली के मुख्य सचिव को निजी बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस को 'आप' सरकार द्वारा दी जाने वाली बिजली सब्सिडी में कथित अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया है।
वहीं, एलजी के इस आदेश के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सक्सेना को चिट्ठी लिखकर पर बड़ा पलटवार किया है। सिसोदिया ने इस चिट्ठी में लिखा है कि उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार को बाईपास कर रहे हैं। सभी जांच गैरकानूनी और असंवैधानिक हैं।
सिसोदिया ने कहा कि जमीन, पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और सर्विसेज के अलावा अन्य किसी भी मामले में आदेश देने का आपके (उपराज्यपाल) पास अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि आपके सभी आदेश राजनीति से प्रेरित हैं। अब तक किसी भी जांच में कुछ नहीं निकला। आपसे आग्रह है कि आप संविधान के अनुरूप कार्य करें।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से बिजली सब्सिडी के भुगतान का क्रियान्वयन कथित रूप से नहीं होने की जांच करने के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने 2018 में सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में भेजने के आदेश दिए थे। उपराज्यपाल कार्यालय ने बताया कि मुख्य सचिव से सात दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
दरअसल, उपराज्यपाल सचिवालय को एक शिकायत मिली थी, जिसमें दिल्ली में केजरीवाल सरकार की बिजली सब्सिडी योजना में खामियों और विसंगतियों का मुद्दा उठाया गया है।
शिकायतकर्ताओं में प्रख्यात वकील और कानूनविद शामिल हैं। डीईआरसी ने 19 फरवरी 2018 को अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली सरकार बिजली सब्सिडी को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से उपभोक्ताओं को अंतरित करने पर विचार कर सकती है। उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार की ओर से निदेशकों और एक निजी बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) की नियुक्ति के बाद एक बड़ा घोटाला हुआ।
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