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नई दिल्ली / शौर्यपथ /संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में चीन के खिलाफ मतदान से परहेज को लेकर भारत ने बयान जारी किया है। केंद्र की मोदी सरकार ने कहा कि भारत की पुरानी परंपरा रही है कि वह किसी भी ‘देश विशिष्ट प्रस्ताव पर मतदान’ में हिस्सा नहीं लेता है। भारत ने शुक्रवार को कहा कि चीन के अशांत शिंजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए यूएनएचआरसी में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लेना ‘देश विशिष्ट प्रस्ताव पर मतदान में’ हिस्सा नहीं लेने के उसके दीर्घकालिक चलन पर आधारित है।
गौरतलब है कि भारत ने शिंजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए यूएनएचआरसी में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में संवाददाताओं से कहा कि यह किसी देश विशिष्ट प्रस्ताव पर मतदान में’ हिस्सा नहीं लेने के उसके दीर्घकालिक चलन पर आधारित है।
हालांकि भारत सरकार ने स्पष्ट कहा कि चीन के शिनजियांग प्रांत के लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "भारत सभी मानवाधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए बातचीत का पक्षधर है। हमने चीन के शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों की चिंताओं का OHCHR के आकलन का संज्ञान लिया है।"
गौरतलब है कि सैंतालीस सदस्यीय परिषद में यह मसौदा प्रस्ताव खारिज हो गया, क्योंकि 17 सदस्यों ने पक्ष में तथा चीन सहित 19 देशों ने मसौदा प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया। भारत, ब्राजील, मैक्सिको और यूक्रेन सहित 11 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। मसौदा प्रस्ताव का विषय था- ‘‘चीन के शिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर चर्चा।’’
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मसौदा प्रस्ताव कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, ब्रिटेन और अमेरिका के एक कोर समूह द्वारा पेश किया गया था, और तुर्की सहित कई देशों ने इसे सह-प्रायोजित किया था। चीन में उइगर और अन्य मुस्लिम बहुल समुदायों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोपों को 2017 के अंत से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार तंत्र के ध्यान में लाया जाता रहा है।
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