August 18, 2025
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जमीन नहीं अब आसमान से घुसपैठ करा रहा पाकिस्तान, 9 महीने में भेजे 191 ड्रोन

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       नई दिल्ली / शौर्यपथ  /बॉर्डर पर भारतीय सेना के जवानों की मुस्तैदी के बाद पाकिस्तान को भारत में घुसपैठ कराने की रणनीति बदलनी पड़ गई है। पाकिस्तान अब भारत में घुसपैठ कराने के लिए अब ड्रोन का सहारा ले रहा है। ड्रोन के जरिए ही पाकिस्तान घाटी में एक्टिव आतंकियों को हथियारों की सप्लाई करता है। भारत में घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तान कितना बेचैन रहता है इसका अंदाजा आप इसे से लगा सकते हैं कि पड़ोसी देश ने पिछले नौ महीने में 191 ड्रोन भेजे हैं। इनमें से सात ड्रोन को भारतीय सेना ने मार गिराया है जबकि बाकी भागने में सफल रहे।
केंद्र सरकार ने हाल ही में एक जानकारी साझा की है जिसमें सेना ने पाकिस्तान की ओर से भेजे गए ड्रोन के बारे में इनपुट साझा की है। इनपुट में बताया गया है कि बॉर्डर पर देखे गए 191 ड्रोनों में से 171 ने पंजाब सेक्टर के साथ-साथ भारत-पाकिस्तान सीमा के जरिए भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किए, जबकि 20 ड्रोन जम्मू-कश्मीर में देखे गए। यह विमान 1 जनवरी 2022 से 30 सितंबर 2022 के बीच देखे गए हैं।
अधिकांस ड्रोन भाग निकलने में सक्षम रहे
सरकार की ओर से न्यूज एजेंसी एएनआई को साझा की गई जानकारी के अनुसार, भारत में घुसपैठ करने वाले अधिकांश ड्रोन भाग निकलने में सक्षम रहे हैं। सात ड्रोन को सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने मार गिराया है। इन ड्रोनों का संचालन पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस की ओर से किया जा रहा है। जिन सात ड्रोन को बीएसएफ ने मार गिराया है वो पंजाब से लगे बॉर्डर के इलाके में उड़ते हुए नजर आए थे।
इस साल 18 जनवरी को मार गिराया था पहला ड्रोन
इनपुट्स के अनुसार, बीएसएफ ने पहला ड्रोन 18 जनवरी को पंजाब के अमृतसर में हवेलियां बॉर्डर आउट पोस्ट (BOP) के पास मार गिराया था। इसके बाद अगले महीने 13 फरवरी को सेना के जवानों ने एक और ड्रोन का मार गिराया था जो कि अमृतसर में सीबी चंद बीओपी के पास देखा गया था।
हेरोइन का पैकेट भी भेजा जाता है
सुरक्षा एजेंसियों, बीएसएफ के खुफिया इनपुट और जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, ड्रोन का इस्तेमाल घाटी और पंजाब में आतंकी अभियानों के वित्तपोषण के लिए अफगान हेरोइन के पैकेट गिराने के लिए भी किया जाता है। वहीं, ड्रोन के जरिए हथियारों, विस्फोटकों और नशीले पदार्थों के परिवहन के पीछे पाकिस्तान स्थिति लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकवादी संगठनों का हाथ है। इन संगठनों के अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शिविर हैं जिसको आईएसआई का सह मिला हुआ है।

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