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नई दिल्ली /शौर्यपथ /मुंबई की जिस विधानसभा सीट पर उपचुनाव चर्चा का विषय बना हुआ है वहां भाजपा ने अपने उम्मीदवार का नाम वापस लेने का फैसला कर लिया है। एक दिन पहले ही एमएनएस चीफ राज ठाकरे और एनसीपी चीफ ने भाजपा से इसके लिए अपील भी की थी। यह सीट यहां से शिवसेना विधायक रहे रमेश लटके के निधन के बाद खाली हो गई थी। वहीं शिवसेना के दो धड़ों में बंटने के बाद अंधेरी पूर्व की सीट एक तरह से दोनों गुटों के लिए युद्ध का मैदान बन गई थी।
क्या है गुजराती कनेक्शन?
भाजपा के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि पार्टी के सर्वे के मुताबिक यहां लोगों की संवेदना उद्धव ठाकरे गुट की उम्मीदवर ऋतुजा लटके के साथ थी। इसकी मुख्य वजह यही है कि वह यहां से पूर्व विधायक रमेश लटके की विधवा हैं। इसके अलावा नामांकन वापस लेने के पीछे गुजराती कनेक्शन भी हो सकता है। भाजपा के प्रत्याशी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा चल रही थी कि भाजपा 'मराठा अभिमान' के साथ समझौता करके एक गुजराती को यहां से टिकट दे र ही है। अंत में पार्टी को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का ही फैसला करना पड़ गया।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, स्थानीय लोगों में ऋतुजा के प्रति काफी सहानुभूति है। एक तो उनके पति का निधन हो गया था दूसरे बीएमसी के नाटक की वजह से उन्हें और भी लोकप्रियता और सहानुभूति हासिल हो गई। वह बीएमसी में क्लर्क के पद पर थीं लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा रहा था। कोर्ट के दखल के बाद ही उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया और वह अपना नामांकन दाखिल कर सकीं। वहीं भाजपा नेता का यह भी कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा पार्टी का नाम और निशान दिए जाने के बाद उद्धव ठाकरे के पक्ष में कुछ वर्गो में ध्रुवीकरण भी हुआ है। चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे के गुट को मशाल और एकनाथ शिंदे के गुट को ढाल-तलवार का निशान दिया है।
बताया जा रहा है कि भाजपा की राज्य और सिटी लीडरशिप इस फैसले में एकमत नहीं थी। कुछ नेताओं का मानना था कि पार्टी को बीएमसी चुनाव के लिए अपनी जमीन मजबूत करनी है। मुंबई भाजपा चीफ आशीष शेलार ने कहा कि आखिरी समय में इस तरह उम्मीदवारी वापस लेने से गलत संदेश जाता है। उन्होंने कहा कि अगर हम चुनाव लड़ते तो विधानसभा में पड़ने वाले 9 वॉर्ड में पकड़ मजबूत होती।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि के साथ बैठक में कई बड़े नेता शामिल हुए थे। पार्टी के स्टेट यूनिट चीफ चंद्रशेखऱ बावनकुले ने नागपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उम्मीदवार को हटाने का फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा कि राज्य में यह राजनीतिक परंपरा रही है कि किसी दिवंगत विधायक या सांसद के रिश्तेदार के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारा जाता है। हम किसी हार की डर से ऐसा नहीं कर रहे हैं।
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