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नई दिल्ली /शौर्यपथ /तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच कर रहे पैनल ने उनकी सहयोगी वीके शशिकला को दोषी ठहराया है। 2016 में गठित न्यायमूर्ति ए अरुमुघस्वामी जांच आयोग ने अपनी समापन टिप्पणी में कहा कि वीके शशिकला की गलती ढूंढनी होगी। पैनल ने जांच की सिफारिश की है।
तमिलनाडु सरकार ने विधानसभा में जयललिता की मौत और थूथुकुडी में 2018 की पुलिस फायरिंग की परिस्थितियों की जांच कर रहे अलग-अलग जांच आयोगों की रिपोर्ट पेश की। पैनल ने शशिकला के साथ अन्य का भी नाम लिया है।
जस्टिस अरुणा जगदीशन कमीशन ऑफ इंक्वायरी ने 2018 में स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शनकारियों पर थूथुकुडी में पुलिस फायरिंग की जांच की। इस हादसे में 13 लोगों की जान गई थी। आयोग ने इसके लिए पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया है।
इससे पहले आयोग ने 27 अगस्त को पूर्व अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) सुप्रीमो के अस्पताल में भर्ती होने की परिस्थितियों के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि द्रमुक के नेतृत्व वाली सरकार को शशिकला, पूर्व मुख्य सचिव राम मोहन राव, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभास्कर और कुछ अन्य लोगों की जांच करनी चाहिए।
राज्य मंत्रिमंडल ने 600 पन्नों की रिपोर्ट पर चर्चा की और फैसला किया कि वे सिफारिशों के संबंध में कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेंगे। द्रमुक ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि वे जयललिता की मौत के बारे में सच्चाई सामने लाएंगे।
जयललिता को 22 सितंबर 2016 को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 5 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई थी। करीब 75 दिनों तक उनका इलाज चला था।
30 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट अपोलो अस्पताल की उस याचिका पर सहमत हो गया, जिसमें एम्स को अरुमुघस्वामी आयोग की सहायता के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया गया था। 2017 में गठित अरुमुघस्वामी आयोग को अपने कार्यकाल के लिए 24 अगस्त तक एक और विस्तार मिला। 20 अगस्त को एम्स मेडिकल बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि जयललिता को सही चिकित्सा उपचार दिया गया था और उन्हें प्राप्त चिकित्सा में कोई त्रुटि नहीं थी।
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