August 06, 2025
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6 गैर BJP शासित राज्यों की पुनर्विचार याचिका पर SC में आज सुनवाई, जानें 10 बड़ी बातें

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नई दिल्ली/ शौर्यपथ / NEET और JEE प्रवेश परीक्षा को लेकर बीजेपी और विपक्षी दल आमने-सामने हैं. विपक्षी पार्टियों ने परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. छह गैर-भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों ने परीक्षा कराए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. इन याचिकों पर आज सुनवाई होनी है. कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए परीक्षाएं स्थगित करने की मांग को लेकर दी गई दलीलों को खारिज करते हुए शीर्ष न्यायालय ने परीक्षा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका के बीच इंजीनियरिंग कॉलेजों में भर्ती के लिए आयोजित वाली JEE की परीक्षा मंगलवार को आयोजित की गई है. कोरोना को लेकर विभिन्न सावधानियों के बीच हजारों की संख्या में छात्र परीक्षा में शामिल हुए. मेडिकल एंट्रेस एग्जाम नीट की परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित होनी है.
जेईई-मेंस (संयुक्त प्रवेश परीक्षा) के लिए करीब 8.50 लाख छात्रों और NEET की परीक्षा के लिए 15.97 लाख स्टूडेंट्स ने पंजीकरण किया है. राष्ट्रीय परीक्षा एजेन्सी (एनटीए), जो दोनों परीक्षाओं का आयोजन करती है, जेईई मुख्य परीक्षा एक से छह सितंबर तक आयोजित कर रही है जबकि नीट की परीक्षाओं का आयोजन 13 सितंबर को होगा.
मंत्रियों का दावा था कि शीर्ष अदालत छात्रों के ‘जीने के अधिकार' को सुरक्षित करने में विफल रही है और उसने कोविड-19 महामारी के दौरान परीक्षाओं के आयोजन में आने वाली परेशानियों को नजरअंदाज किया है.
याचिका दायर करने वालों में पश्चिम बंगाल के मलय घटक, झारखंड के रामेश्वर ओरांव, राजस्थान के रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ के अमरजीत भगत, पंजाब के बी एस सिदधू और महाराष्ट्र के उदय रवीन्द्र सावंत शामिल हैं.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ चेंबर में पुनर्विचार याचिका पर विचार करेगी. पुनर्विचार याचिकाओं पर सामान्यतया पीठ के सदस्यों द्वारा न्यायाधीश ‘चेंबर' में ही ‘सर्कुलेशन' के जरिये विचार होता है जिसमे निर्णय होता है कि क्या यह विचार योग्य है या नहीं?
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान परीक्षा कराने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए थे, जिनके अनुसार निरूद्ध क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों और कर्मचारियों को परीक्षा केन्द्रों में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, मास्क लगाना और साथ ही स्वंय घोषणा पत्र देना अनिवार्य होगा.
SOP के अनुसार. कलम और कागज आधारित परीक्षाओं में इंविजिलेटर प्रश्नपत्रों अथवा उत्तर पुस्तिकाओं के वितरण से पहले अपने हाथों को सैनिटाइज करेगा और परीक्षार्थी भी इन्हें प्राप्त करने या जमा करने से पहले अपने हाथों को सैनिटाइज करेंगे.
कोरोना महामारी और बाढ़ एवं लॉकडाउन में परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में होनी वाली दिक्कतों का हवाला देते हए छात्रों ने परीक्षाओं को टालने की मांग की थी. छात्रों की इस मांग का कई राज्यों और राजनीतिक दलों ने समर्थन भी किया था.
कोर्ट के परीक्षा स्थगित करने से मना करने के बाद बंगाल, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों ने पिछले हफ्ते अदालत का रुख किया था और अपने फैसले की समीक्षा की मांग की थी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने परीक्षाओं को लेकर किए गए अपने ट्वीट में कहा था, "सभी स्टूडेंट्स के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है."

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