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नई दिल्ली /शौर्यपथ / भारतीय सेना और लेह में तिब्बती समुदाय के लोगों ने सोमवार को तिब्बती जवान नीमा तेन्जिन को अंतिम विदाई दी. तेन्जिन कभी गुप्त समूह रहे स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के कमांडो थे. यह फोर्स भारतीय सेना के अंडर में ऑपरेट में काम करती है. अगस्त के आखिरी महीने में नीमा तेन्जिन दक्षिणी पैंगॉन्ग में एक पुराने लैंडमाइन की चपेट में आ गए थे, जिससे हुए धमाके में उनकी जान चली गई थी.
उनके अंतिम संस्कार में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के महासचिव राम माधव शामिल हुए. उन्होंने इस दौरान की तस्वीरें शेयर कर एक ट्वीट भी किया था, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया. हालांकि, पिछले हफ्ते ही चीन और भारत के बीच हुई एक और झड़प के बाद बीजेपी नेता का तिब्बती जवान की अंतिम विदाई में शामिल होने को चीन को कड़े जवाब के रूप में देखा जा रहा है.
बता दें कि स्पेशल फ्रंटियर फोर्स दलाई लामा, तिब्बती और भारतीय झंडे से अपनी प्रतिबद्धता रखता है. यह फोर्स पहाड़ी युद्धों की विशेषज्ञ है और तिब्बत में दुश्मनों के बीच में ऑपरेट करने के लिए प्रशिक्षित है.
तिब्बती सैनिक नीमा तेन्जिंग के जान गंवाने के बाद इस प्रतिष्ठित लेकिन बहुत आम जानकारी से बहुत दूर रहने वाले ऊंचाइयों पर लड़ने वाले इन योद्धाओं की थोड़ी झलकियां सामने आई हैं. फोर्स अधिकतर तिब्बती शरणार्थियों को भर्ती करती है, जो 1959 में विफल रहे बगावत के बाद दलाई लामा के भारत में शरण लेने के बाद से भारत आ गए थे. बाकी कुछ भारतीय नागरिक हैं.
1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद इस कोवर्ट फोर्स का संगठन किया गया था. हालांकि, इस फोर्स के बारे में बहुत जानकारी सार्वजनिक नहीं है. अनुमान है कि इस फोर्स में 3,500 पुरुष सैनिक हैं.
बता दें कि पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने बताया था कि चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर दो बार 'आक्रामक सैन्य गतिविधियां' की थीं, लेकिन भारतीय जवानों ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया था.
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